ऊना। हिमाचल प्रदेश में कल यानी पहली जून को 4 लोकसभा और 6 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है। इसके लिए एक दिन पहले ही पोलिंग पार्टियां पोलिंग स्टेशन के लिए रवाना हो गई हैं। पोलिंग पार्टियों के खाने और रहने की व्यवस्था स्थानीय प्रशासन द्वारा की जाती है। प्रशासन ने इसके लिए मिड-डे मील कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है कि, वह पोलिंग पार्टियों का भोजन तैयार करें।
मिड-डे मील कार्यकर्ताओं ने किया विद्रोह
लेकिन खबर सामने आई है कि, जिला ऊना में मिड-डे मील वर्कर्स यूनियन और सीटू कार्यकर्ताओं ने लोकसभा चुनाव के दौरान पोलिंग पार्टी के लिए खाना बनाने की ड्यूटी पर अपनी आपत्ति जाहिर की है।
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इस मामले में एक प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन अधिकारी जतिन लाल को ज्ञापन सौंपकर मिड-डे मील वर्कर्स के लिए अतिरिक्त वेतन या खाना बनाने की ड्यूटी न लगाने की मांग की है।
प्रतिदिन 700 रुपए की रखी मांग
मिड-डे मील वर्कर्स यूनियन की प्रधान बलविंद्र कौर और सीटू के सचिव गुरनाम सिंह ने बताया कि जिला ऊना के निर्वाचन अधिकारी द्वारा पोलिंग पार्टी को खाना बनाने के लिए मिड-डे मील वर्कर्स की ड्यूटी लगाई जा रही है। जिसमें वेतन का कोई उल्लेख नहीं है। इसके बावजूद अधिसूचना जारी कर दी गई है।
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उन्होंने कहा कि यह मिड-डे मील वर्कर्स के साथ अन्याय है। उन्होंने मांग की है कि खाना बनाने के लिए उन्हें प्रतिदिन 700 रुपये का मुआवजा दिया जाए। अन्यथा ड्यूटी को रद्द किया जाए। इस मुद्दे पर चंचला देवी, पूनम देवी, आशा देवी, अनु देवी, मीना देवी आदि ने भी अपनी आपत्ति जाहिर की।
निर्वाचन अधिकारी को सौंपा ज्ञापन
यह विवाद उठने के बाद निर्वाचन अधिकारी जतिन लाल के पास एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा ज्ञापन सौंपा गया है। इसमें मिड-डे मील वर्कर्स के लिए अतिरिक्त वेतन देने या उन्हें ड्यूटी से बाहर रखने की मांग है। प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो उन्हें पोलिंग पार्टी के लिए खाना बनाने की ड्यूटी को तत्काल रद्द किया जाए।