शिमला। हिमाचल प्रदेश को विश्वभर में वीरभूमि के नाम से भी जाना जाता है। चूंकि देश की सीमाओं की सुरक्षा हेतु प्रदेश के जवान अपना बलिदान देने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। ऐसे ही एक बलिदानी वीर सपूत राइफलमैन कुलभूषण मांटा को जीवन का सर्वोच्च बलिदान करने के लिए “शौर्य चक्र” दिया गया है।
बलिदानी सपूत की मां दुर्मा देवी व पत्नी नीतू कुमारी ने गर्व भरे चेहरे पर धैर्य के भाव लिए ये सम्मान ग्रहण किया। यह सम्मान देश की राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू ने गैलेंट्री अवार्ड-2024 समारोह में राष्ट्रपति भवन में प्रदान किया है।
ऑपरेशन रक्षक के दौरान हुए थे शहीद
बात दें कि, राजधानी शिमला के तहत आते उपमंडल चौपाल के गौंठ गांव निवासी राइफलमैन कुलभूषण मांटा ने साल 2022 माह अक्टूबर में मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया था।
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उस समय कुलभूषण नॉर्थ कश्मीर के बारामूला जिले में ऑपरेशन रक्षक अपने साथियों के साथ तैनात थे। आतंकियों के खात्मे के लिए कुलभूषण मांटा के नेतृत्व में सेना एक तलाशी दल सतर्क था। इस बीच सेना की वह टुकड़ी दो आतंकवादियों के नजदीक पहुंच गई।
एक आतंकी को पकड़ा था जिंदा
राइफलमैन कुलभूषण के रूप में अपने काल को समीप आते देख दोनों आतंकियों ने वहां से भागने का प्रयास किया। मगर कुलभूषण मांटा ने एक आतंकी को पकड़ लिया। कुलभूषण कुछ समझ पाते इससे से पहले दूसरे आतंकी ने गोलीबारी शुरू कर दी।
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मुठभेड़ में राइफलमैन कुलभूषण मांटा घायल हो गए लेकिन उन्होंने बहादुरी के साथ ऑपरेशन जारी रखा। कुलभूषण ने अपनी आखिरी सांस तक सेना की शौर्य परंपरा को निभाया और एक आतंकी को जिंदा पकड़वाया था।
27 साल की उम्र में हुए थे शहीद
कुलभूषण ने जिस समय अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया उस समय उनकी उम्र मात्र 27 साल की थी। कुलभूषण देश सेवा के लिए वर्ष 2014 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे। मालूम हो कि जिस समय कुलभूषण की पवित्र पार्थिव देह उनके पैतृक गांव शिमला के गौंठ में पहुंची थी तो उनकी पत्नी नीतू कुमारी ने अद्भुत साहस व धैर्य का परिचय देते हुए बहादुर पति की देह को सैल्यूट किया था।
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राष्ट्रपति भवन में सम्मान ग्रहण करते समय भी कुलभूषण की मां व पत्नी ने उसी साहस व धैर्य का परिचय दिया। शौर्य के इस सम्मान के समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।