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July 3, 2024

कर्ज के बोझ में दब रहे देश के पहाड़ी राज्य, हिमाचल का नाम सबसे ऊपर

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शिमला। देश के पहाड़ी राज्य कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं। यहां की सरकारें सत्ता हथियाने के लिए जनता को सब्सिडी और मुफ्त की रेवड़ियां बांटती हैं। सत्ता में आने के बाद उन रेवड़ियों को बांटने के चक्कर में कर्ज पर कर्ज लिया जाता है और हालात यह हो जाते हैं कि कर्ज को चुकाने के लिए भी कर्ज लेने की नौबत आ जाती है। आज हिमाचल भी उसी स्थिति में पहुंच चुका है।

इस वित वर्ष के अंत तक 94992 करोड़ का हो जाएगा कर्ज

देश के पहाड़ी राज्यों की बात करें तो इनमें सबसे अधिक कर्ज लेने में हिमाचल का नाम सबसे ऊपर है। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा वित वर्ष की समाप्ति तक हिमाचल पर 94992 करोड़ का कर्ज हो जाएगा। हिमाचल के मुख्यमंत्री इस बात को मान चुके हैं कि हिमाचल के पास पैसा नहीं है। यहां तक कि पहले के लिए कर्ज को चुकान के लिए भी सरकार को और कर्ज लेना पड़ रहा है। यह भी पढें: परिवार ने खो दिया इंजीनियर बेटा: कारण तलाश रहे हैं पुलिस और घरवाले

सरकारों की लोकलुभावन घोषणाओं से बढ़ा कर्ज

हिमाचल प्रदेश के पूर्व वित्त सचिव केआर भारती का मानना था कि हिमाचल में आय के साधन कम हैं और खर्च ज्यादा है। वहीं दूसरी तरफ नेता सत्ता हथियाने के लिए कई तरह के वादे जनता से करते हैं और बाद में उन्हें कर्ज लेकर पूरा किया जाता है। जिससे प्रदेश पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। केआर भारती का कहना है कि हिमाचल सहित अन्य राज्यों को बेवजह के खर्चों के साथ.साथ लोकलुभावन घोषणाओं पर भी लगाम लगानी होगी। यह भी पढें: पंजाब से परेशान हिमाचल के ड्राइवर: तोड़े जा रहे शीशे, मंत्री से मिलने पहुंचे- मांगी मदद

सरकार को जुटाने चाहिए आर्थिक संसाधन

इसके साथ ही नेताओं को सब्सिडी और मुफ्त बिजली, पानी बांटने की बजाय आर्थिक संसाधन जुटाने की ओर गंभीरता से सोचना चाहिए। हिमाचल में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, बागवनी, कृषि और पर्यटन जैसे कई क्षेत्र हैं, जिससे हिमाचल की आर्थिकी मजबूत हो सकती है। सरकारों को इसकी ओर ध्यान देना चाहिए और इन संसाधनों को और विकसित करने पर जोर देना चाहिए। यह भी पढ़ें: आशीष शर्मा को हमने 135 करोड़ का ठेका दिया मगर वो बिक गए: CM सुक्खू

हिमाचल के बाद उत्तराखंड है दूसरे नंबर पर

कर्ज में पहला स्थान हासिल कर चुके हिमाचल के बाद नंबर आता है उत्तराखंड का। उत्तराखंड पर साल 2024-25 के अंत तक 89466 करोड़ का कर्ज हो जाएगा। तीसरे नंबर पर त्रिपुरा, चौथे नंबर पर अरुणाचल प्रदेश का नंबर आता है। वहीं पांचवे नंबर पर मेघालय और छठे नंबर पर मणिपुर का नाम शामिल है। इसी तरह से सातवे नंबर पर नागालैंड, आठवें नंबर पर सिक्किम और नौवे नंबर पर मिजोरम का नाम आता है।

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