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November 26, 2024

हिमाचल शहीद की पत्नी को सरकार ने नहीं दिया रोजगार, हाईकोर्ट ने लगाई कॉस्ट

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शिमला। देश के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले शहीद राजेंद्र गौतम की पत्नी को रोजगार ना देने पर हिमाचल हाईकोर्ट प्रदेश सरकार को 25 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई है। इसके अलावा हाईकोर्ट ने शहीद की पत्नी को रोजगार के रूप में भाषा शिक्षक के पद पर नियुक्ति प्रदान करने के भी आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि यह अदालत देश के शहीद सैनिक की पत्नी के साथ इस तरह का व्यवहार करने के प्रतिवादियों के रवैये की निंदा करता है।

हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार

शहीद की पत्नी को रोजगार देने को लेकर सरकार के रवैये पर टिप्पणी करते हुए हिमाचल हाईकोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नीति के आधार पर मृतक कर्मचारी के आश्रितों को नियुक्ति देने और शहीद सैनिकों के पात्र आश्रितों को रोजगार सहायता प्रदान करने की पेशकश के बीच अंतर किया जाना चाहिए। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए सरकार के रवैये पर यह सख्त टिप्पणी की। यह भी पढ़ें : हिमाचल : महिला प्रधान से दो सगे भाइयों ने की मारपीट, उप प्रधान को भी पीटा

जवान के सर्वोच्च बलिदान का सरकार को करना चाहिए सम्मान

हिमाचल हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता के दिवंगत पति ने अपने कर्त्तव्य का निर्वहन करते अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दे दिया। शहीद के इस बलिदान का सम्मान करते हुए उसके परिवार के प्रति सरकार कम से कम इतना तो कर ही सकती थी कि याचिकाकर्ता को इस अनावश्यक मुकद्दमें में घसीटने की बजाय उसे सम्मान पूर्वक भाषा शिक्षक का पद प्रदान किया जाता। यह भी पढ़ें : हिमाचल : घास लेने गई थी मां, चूल्हे की चिंगारी में झुलसी बेटी- IGMC में तोड़ा दम

शहीदों के आश्रितों को सम्मान के रूप मं देना चाहिए रोजगार

कोर्ट ने कहा कि 23 अप्रैल 2016 को सरकार द्वारा जारी शहीद के आश्रितों को रोजगार देने से जुड़ी नीति के अवलोकन में पाया कि इस नीति में अनुकंपा शब्द का प्रयोग नहीं किया गाय है। कोर्ट ने कहा कि नीति में अनुकंपा शब्द का प्रयोग इस कारण नहीं किया गया है कि शहीद सैनिक कि शहीद सैनिकों के पात्र आश्रितों को रोजगार देने की पेशकश स्वयं अनुकंपा के कारण नहीं है। यह भी पढ़ें : हिमाचल में मिली व्यक्ति की देह, पड़ चुके थे कीड़े- परिवार का नहीं चला पता

23 फरवरी 2019 को हुआ था जवान शहीद

शहीद के आश्रितों को रोजगार उपलब्ध करवाना उस शहीद के प्रति सम्मान और कर्त्तव्य है जिसके चलते उस जवान ने अपने कर्त्तव्य का निर्वहन करते हुए अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया। बता दें कि हिमाचल का जवान राजेंद्र गौतम एक बुजुर्ग महिला को डूबने से बचाने के दौरान 23 फरवरी 2019 को शहीद हो गए थे। जिसके बाद शहीद की पत्नी चंचलो देवी ने रोजगार के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। यह भी पढ़ें : CM सुक्खू बोले- कड़े फैसलों से गरीबों को आंच नहीं, पर्सनल टारगेट कर रही BJP

डूब रही महिला को बचाते हुए शहीद हुआ था जवान

जवान राजेंद्र गौतम बीएसएफ में तैनात थे, बाद में उन्हें पटना स्थित 9वीं वाहिनी एनडीआरएफ में भेज दिया था। जवान की ड्यूटी कुंभ मेला में लगी थी। 19 फरवरी 2019 को उनकी ड्यूटी मेला स्थित सेक्टर 20 के सोमेश्वर घाट पर थी। सुबह एक महिला श्रद्धालु स्नान करने के दौरान डूबने लगी। जिसे बचाने के लिए जवान ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए नदी में छलांग लगा दी। जवान ने महिला को तो बचा लिया पर खुद बुरी तरह से घायल हो गए थे। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां पर उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई थी।

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