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December 7, 2024

पौंग बांध विस्थापितों को राहत, हिमाचल हाईकोर्ट ने 4 सप्ताह में जमीन देने के दिए निर्देश

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शिमला। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में करीब 57 साल पहले शिवालिक पहाड़ियों में ब्यास नदी पर पौंग बांध का निर्माण किया गया था। इसका नाम महाराणा प्रताप सागर रखा गया। यह पौंग बांध साल 1975 में बन कर तैयार हुआ था। लेकिन इस पौंग बांध को बनाने के लिए 20 हजार से अधिक परिवारों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा था। यह लोग अपने घर जमीन, मकान यहां तक कि रिश्तेदारों से भी दूर हो गए थे।

हिमाचल हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत

इन पौंग बांध विस्थापितों को जमीन ना मिलने पर हिमाचल हाईकोर्ट ने बड़ा संज्ञान लिया है। पौंग बांध विस्थापितों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हिमाचल हाईकोर्ट कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने चार सप्ताह में याचिकाकर्ता को जमीन आवंटित कराने के निर्देश दिए हैं। ऐसा नहीं होने पर राजस्थान के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित रहने को कहा है।

हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

हाईकोर्ट में दायर याचिका में प्रतिवादियें की ओर से अदालत में हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता को जमीन आवंटित करने के लिए कोई निर्विवाद भूमि उपलब्ध नहीं है। जिस पर हाईकोर्ट ने कहा कि राजस्थान सरकार की नाक के नीचे गंगानगर की जमीन पर अतिक्रमण किया गया और सरकार चुपचाप बैठी रही। हिमाचल हाईकोर्ट ने राजस्थान के मुख्य सचिव और अन्य उत्तरदाताों को अतिक्रमणकारियों से जमीन वापस लेने के निर्देश दिए हैं।

8 जनवरी को होगी अगली सुनवाई

हाईकोर्ट ने गंगानगर की चयनित जमीन को याचिकाकर्ता को आवंटित करने को कहा है। हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि जिसने अपने प्रदेश में अपना चूल्हा चौकाए जमीन और घर खो दिया है, उसे अपनों से बहुत दूर की जगह पर जमीन लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसके बावजूद जमीन नहीं दी जा रही है। इस मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी।
पौंग बांध विस्थापितों को मिली जमीन पर भू माफिया ने किया कब्जा
बता दें कि पौंग बांध विस्थापितों को राजस्थान में जमीन देने का वादा किया गया था। लेकिन यह वादा कागजों तक ही सीमित रह गया। हालंाकि कुछ विस्थाापितों को राजस्थान में जमीन दी भी गई, लेकिन उस जमीन पर भी भू माफिया ने कब्जा कर लिया और इन विस्थापितों के हाथ फिर खाली रह गए। यह विस्थापित भू माफिया से अपनी जमीन वापस पाने के लिए सालों से कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं। यह भी पढ़ें : एसपी इल्मा अफरोज की बढ़ी मुश्किलें! सुक्खू सरकार ने मांगी जांच रिपोर्ट
पौंग बांध के लिए 339 गांव के 20722 परिवार हुए थे प्रभावित
बता दें कि हिमाचल प्रदेश की पौंग बांध परियोजना के लिए वर्ष 1966-67 में 75,268 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इस परियोजना के लिए 339 गांवों का अधिग्रहण किया गया और 20,722 परिवार प्रभावित हुए थे। भूमि आवंटन के लिए 16,352 परिवार पात्र पाए गए थे। यह भी पढ़ें : हिमाचल: दो माह पहले दूल्हा बना जवान, आज तिरंगे में लिपटा आएगा घर उधर, 4,370 परिवारों के पास भूमि नहीं थी, जोकि प्लॉट आवंटन के लिए पात्र पाए गए। प्रदेश सरकार ने 15,385 परिवारों को पात्रता प्रमाण पत्र जारी किए हैं। 6,736 परिवारों का अभी पुनर्वास किया जाना हैं। गौरतलब है कि राजस्थान को पानी देने के लिए यह परियोजना बनाई गई थी।

हाई लेवल कमेटी ने भी सौंपी है रिपोर्ट

पौंग बांध विस्थापितों के राहत एवं पुनर्वास के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट राजस्व, बागवानी, जनजातीय विकास एवं जन शिकायत निवारण मंत्री जगत सिंह नेगी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। समिति में उपायुक्त (राहत एवं पुनर्वास) डॉ. संजय कुमार धीमान, उपमंडलाधिकारी ज्वाली विचित्र सिंह और तहसीलदार देहरा कर्म चंद कालिया शामिल रहे। यह भी पढ़ें : हिमाचल में खुलेंगे चार नए केंद्रीय विद्यालय, मोदी सरकार ने दिया तोहफा

6736 परिवारों को भूमि आवंटन की है सिफारिश

डॉ संजय धीमान कुमार की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने रिपोर्ट में 6,736 परिवारों को भूमि आवंटन की सिफारिश की है। इसके अलावा अधोसंरचना संबंधित समस्याओं और अन्य सुविधाओं के लिए शिकायत निवारण सेल गठित करने का भी सुझाव दिया है।

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