शिमला। हिमाचल के हमीरपुर जिला का चैरिटेबल अस्पताल भोटा अब बंद नहीं होगा। इस खबर को सुनते ही पिछले तीन दिन से धरना प्रदर्शन कर रहे लोगों ने राहत की सांस ली है। कल यानी सोमवार से एक बार फिर चैरिटेबल अस्पताल भोटा पहले की ही तरह लोगों को स्वास्थ्य लाभ देना शुरू कर देगा। इसको लेकर ब्यास प्रबंधन की तरफ से अस्पताल प्रशासन को आदेश जारी कर दिए गए हैं।
आज सीएम सुक्खू की अध्यक्षता में हुई बैठक
बता दें कि आज मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ओक ओवर में राधा स्वामी सत्संग ब्यास चैरिटेबल अस्पताल भोटा के संबंध में एक हाई लेवल बैठक बुलाई थी। इस बैठक में भूमि हस्तांतरण के मामले पर चर्चा हुई। बैठक में सीएम सुक्खू ने संशोधन विधेकय का मसौदा तैयार करने के निर्देश दे दिए हैं। कुल मिलाकर अब भोटा में स्थित राधा स्वामी चैरिटेबल अस्पताल की जमीन स्थानांतरण का रास्ता साफ हो गया है।
शीतकालीन सत्र के पहले दिन विधानसभा में लाएगी विधेयक
बैठक में सीएम सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार राधा स्वामी सत्संग ब्यास चैरिटेबल अस्पताल भोटा को राहत प्रदान करने तथा अस्पताल को कार्यशील रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अस्पताल को कार्यशील रखना चाहती है ताकि आसपास के निवासियों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिलती रहें।
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इसके लिए आगामी 18 दिसंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के पहले दिन विधानसभा में विधेयक लाएगी। सरकार लैंड सीलिंग एक्ट-1972 में संशोधन करेगी।
क्या बोले अस्पताल के प्रशासक
आज की बैठक के बाद अस्पताल के प्रशासक जितेंद्र जग्गी ने बताया कि कल से चैरिटेबल अस्पताल भोटा पहले की तरह ही स्वास्थ्य सुविधाएं देना जारी कर देगा। इसके लिए सिकंदरपुर रवाना किए गए स्टाफ को भी वापस लौटने के आदेश दिए गए हैं। लोगों को कम दरों पर इस अस्पताल में इलाज मिलता रहेगा।
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क्या है मामला
बता दें कि हमीरपुर जिला के भोटा में स्थित राधा स्वामी सत्संग ब्यास अस्पताल को प्रबंधन अपग्रेड करना चाहता है। लेकिन उपकरण खरीदने के लिए भारी भरकम जीएसटी चुकाना पड़ रहा है। इस पूरे मामले में हिमाचल सरकार का लैंड सीलिंग एक्ट 1972 आड़े आ रहा है।
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राधा स्वामी सत्संग ब्यास अस्पताल की जमीन को महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसाइटी को ट्रांसफर करना चाहती है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उन्हें हर साल 2 करोड़ रुपए जीएसटी देना पड़ रहा है। जबकि वह मुफ्त में लोगों का इलाज कर रहे हैं। ऐसे में प्रबंधन चाहता है कि जमीन को उनकी सिस्टर कन्सर्न संस्था को ट्रांसफर कर दिया जाए।
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अस्पताल के गेट पर लगा था बंद करने का नोटिस
इसी मामले को लेकर अस्पताल प्रबंधन ने अस्पताल के गेट पर एक नोटिस भी लगा दिया था। जिसमें अस्पताल को पहली दिसंबर से बंद करने की सूचना दी गई थी। इसी बीच 30 नंबवर को अस्पताल प्रशासन ने अस्पताल के स्टाफ और चिकित्सकों को दूसरे अस्पताल भी भेज दिया था।
अस्पताल बंद होने की सूचना जब स्थानीय लोगों को मिली तो वह सड़कों पर उतर आए थे। करीब पांच दिन से महिलाएं और पुरुष अस्पताल को बंद ना करने को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे और सुक्खू सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे थे।