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August 27, 2024

सुक्खू सरकार पर इस विभाग के सेवानिवृत्तों की भारी देनदारी, चुकाने हैं 972.20 करोड़

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शिमला। हिमाचल के आर्थिक हालात काफी खराब होते जा रहे हैं। प्रदेश के विकास के रथ का पहिया कर्ज के सहारे धकेला जा रहा है। कर्ज लेकर भी सरकार पुरानी देनदारियां नहीं चुका पा रही है। हिमाचल सरकार पर सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के डीएए एरियर का बोझ बढ़ता जा रहा है। पेंशनरों के वित्तीय लाभों के रूप् में भी सरकार पर करोड़ों की देनदारियां हैं। अकेले बिजली विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारियों और अधिकारियों का 970.20 करोड़ का भुगतान अभी सरकार को करना है।

बिजली बोर्ड के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की कितनी देनदारियां बाकी

यह जानकारी आज हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधायक सुखराम चौधरी के सवाल के जवाब में लिखित रूप् में दी गई। मानसून सत्र में पांवटा साहिब से भाजपा विधायक सुखराम चौधरी ने सरकार से हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के सेवानिवृत अफसरों व कर्मचारियों की पेंशन बकाया और अन्य लाभों के बारे में जानकारी मांगी थी।

28,206 सेवानिवृत्तों की 972.20 करोड़ की देनदारी बाकी

सुखराम चौधरी के इस सवाल के जवाब में लिखित जवाब में सीएम सुक्खू ने बताया कि बिजली बोर्ड के कुल 28,206 अधिकारियों और कर्मचारियों की 972.20 करोड़ रुपए की देनदारियां बाकी हैं। जवाब में यह भी बताया गया कि इस राशि को चरणबद्ध तरीके से पेंशन व अन्य मदों में भुगतान किया जा रहा है। ये पैसा पेंशनए अंतरिम राहतए लीवण्एनकैशमेंटए ग्रेच्युटी आदि का है।

आयुष विभाग में 999 पद खाली

इसी तरह से हमीरपुर सदर के विधायक आशीष शर्मा ने सवाल पूछा था कि आयुष विभाग में कितने पद मंजूर हैं और उनमें से कितने पद अभी खाली हैं। जिसके जवाब में जानकारी दी गई कि आयुष विभाग में विभिन्न श्रेणियों के 999 पद खाली हैं। यह जवाब भी लिखित रूप् में दिया गया था। जवाब में बताया गया कि आयुष विभाग में 4813 पद मंजूर हैं और उनमें से 999 खाली हैं।

सुक्खू सरकार ने किसका कर्ज माफ किया

दरअसल सदन में आज भाजपा के वरिष्ठ सदस्य सतपाल सिंह सत्ती ने एक सवाल पूछा था। जिसमें उन्होंने सरकार से कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक के उन कर्जदाताओं की सूची मांगी थी, जिनके कर्ज सुक्खू सरकार ने दो साल के कार्यकाल में वन टाइम सेटलमेंट के तहत माफ किए हैं। लेकिन सपाम सिंह सत्ती को उनके इस सवाल का जवाब नहंी मिला। उनकी मांगी गई सूची में सिर्फ सरकार की तरफ से इतना ही जवाब मिला कि इसको लेकर सूचना एकत्रित की जा रही है। यह भी पढ़ें: JBT की बैचवाइज भर्ती का परिणाम घोषित, 1122 अभ्यर्थी हुए चयनित

प्रदेश सरकार की बैंक में कितनी संपत्ती 

वहीं एक अन्य सवाल का जवाब भी सुक्खू सरकार सदन में नहीं दे पाई है। यह सवाल सुक्खू सरकार के ही एक विधायक ने उठाया था। शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया सवाल के रूप् में यह जानना चाहते थे कि हिमाचल सरकार की विभिन्न बैंकों मंे कितनी एफडीआर (फिक्स्ड डिपॉजिट रिसिप्ट) हैं। इन एफडीआर से सरकार को हर साल कितना ब्याज मिल रहा है। लेकिन केवल सिंह पठानिया को भी सतपाल सिंह सत्ती वाला ही जवाब दिया गया। यानी जवाब में सरकार की तरफ से सिर्फ इतना कहा गया कि इस बारे में सूचना एकत्रित की जा रही है। यह भी पढ़ें: हिमाचल का सपूत देश सेवा करते हुआ शहीद, शादी के सपने संजो रही थी मां

कई बार नहीं मिलती है इसकी जानकारी

बता दंे कि सदन में कई ऐसे सवाल होते है, जिनके बारे में सरकार की तरफ से यही कहा जाता है कि इसको लेकर सूचना एकत्रित की जा रही है। लेकिन कई बार तो यह सवाल एक सत्र से दूसरे सेशन में भी पहुंच जाते हैं, लेकिन तब भी उनका यही जवाब होता है कि सूचना एकत्रित की जा रही है। यह भी पढ़ें: सिग्नल तोड़ भाग रहे थे 5 यार, ट्रैफिक पुलिस पर की गाड़ी चढ़ाने की कोशिश

विपक्ष ने सुबह की हर दिया था वाकआउट

बता दें कि आज सुबह से ही विधानसभा का पहला दिन हंगामेदार रहा। मानसून के शुरू होने के बाद विपक्ष ने सदन में स्थगन प्रस्ताव लाया गया। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने बिगड़ती कानून व्यवस्था पर चर्चा की मांग की। स्पीकर ने इस पर चर्चा की इजाजत नहीं दी। इसके बाद विपक्ष नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चला गया।

किसान आंदोलन पर कंगना के खिलाफ नारेबाजी

जिसके बाद मानसून सत्र में कांग्रेस विधायकों ने किसान आंदोलन पर मंडी की भाजपा सांसद द्वारा दिए गए बयान का मुद्दा उठाया और सदन में ही कंगना के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए। जिस पर विपक्ष ने भी हंगामा किया और सदन में दोनों पक्षों के बीच तीखी नोक झोंक भी हुई। यह भी पढ़ें: JBT की बैचवाइज भर्ती का परिणाम घोषित, 1122 अभ्यर्थी हुए चयनित

एक विधेयक हुआ पारित

इसी तरह से आज विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन एक विधेयक भी पारित हुआ है। मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने सदन में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से 21 साल किए जाने का प्रस्ताव रखा। जिसे बिना चर्चा के ही सर्वसम्मति के पास कर दिया गया। यानी अब राज्यपाल की मंजूरी के बाद हिमाचल में लड़कियों की शादी 21 वर्ष से पूर्व करना कानूनी अपराध माना जाएगा।

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