शिमला। हिमाचल प्रदेश में सरकारी स्कूलों को मर्ज करने के फैसले के बाद अब शिक्षकों के ट्रांसफर का सिलसिला जारी है। ऐसे टीचर को उनके स्टेशन अलॉट किए जा रहे हैं जो पहले उन स्कूलों में अपनी तैनाती देते थे जो बंद हो गए हैं।
ऐसे में कल यानी सोमवार से प्रदेश भर में मर्ज किए गए 419 स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की कक्षाएं नजदीकी स्कूलों में लगेंगी।
शिक्षा विभाग ने करवाए दाखिले
बता दें कि स्कूल मर्ज की प्रकिया को पूरा कर विभाग द्वारा विद्यार्थियों को आसपास के स्कूलों में पंजीकृत करवा दिया है। अब 9 सितंबर से बच्चे नए स्कूल में बढ़ने जाएंगे, जहां उनकी पढ़ाई सुचारू रूप से चलेगी।
प्राइमरी स्कूल के बच्चों को 2 किलोमीटर की दूरी और मिडल स्कूल के बच्चों को 3 किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूलों में दाखिले दिए गए हैं।
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गुणात्मक शिक्षा के लिए फैसला जरूरी
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में घटते शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए यह फैसला आवश्यक था। वहीं संस्थानों की मजबूती के लिए कई कड़े फैसले लेने की जरूरत महसूस हुई, जिसके चलते ये फैसला लिया गया है।
आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। वहीं, जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है वह भी दूर की जाएगी।
शिक्षकों को मिला नया स्कूल
उधर, शिक्षा विभाग द्वारा 65 मिडिल स्कूलों में तैनात TGT शिक्षकों को दूसरे स्कूलों में ट्रांसफर कर दिया गया है। प्रारंभिक शिक्षा विभाग की ओर से इन तमाम शिक्षकों को ट्रांसफर के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
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आदेशों में लिखा है कि यह सभी TGT वहां सेवाएं देंगे जहां स्कूलों को मर्ज किया गया है। यानि अब शिक्षकों का नया ठिकाना दूसरे स्कूल जहां पर कम एनरोलमेंट वाले बच्चों को मर्ज किया गया है, वहां पर होगा।
400 से अधिक स्कूल मर्ज
बता दें कि पिछले कुछ ही दिनों में प्रदेश सरकार ने शिक्षा विभाग में 400 से अधिक स्कूलों को कम एनरोलमेंट के चलते बंद कर दिया था। इसके बाद स्टाफ की तैनाती को लेकर सवाल खड़ा हो गया। अब सरकार द्वारा 65 मिडिल स्कूलों में तैनात शिक्षकों को दूसरे स्कूल जाने का आदेश जारी कर दिया है।
कैबिनेट में हुआ था फैसला
कैबिनेट बैठक में 99 प्राथमिक स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया गया था। इन स्कूलों में छात्रों की संख्या जीरो थी। वहीं पांच से कम विद्यार्थी संख्या वाले करीब 400 स्कूलों को नजदीकी क्लस्टर विद्यालयों में मर्ज करने का फैसला लिया था।
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इसी तर्ज पर प्रदेश के मिडल स्कूल भी मर्ज हुए। तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले कम बच्चों वाले स्कूलों का विलय हुआ। जिसके बाद अध्यापकों के लिए नए स्टेशन दिए गए।