शिमला। हिमाचल प्रदेश में आज बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरांे ने प्रदेश की सुक्खू सरकार के खिलाफ अपने संघर्ष का आगाज कर दिया। इन कर्मचारियों ने आज पूरे प्रदेश के 61 जगहों पर धरने प्रदर्शन किए। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की और बिजली बोर्ड में पदों को खत्म करने की अधिसूचना वापस लेने के साथ साथ निकाले गए 81 आउटसोर्स चालकों को फिर से नौकरी पर रखने की मांग की।
प्रदेश भर में गरजे बिजली बोर्ड कर्मचारी
राजधानी शिमला में बोर्ड मुख्यालय कुमार हाउस के बाहर सैकड़ों कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। प्रदेशभर में आयोजित इस प्रदर्शन में बिजली बोर्ड के पेंशनर भी शामिल हुए। कर्मचारियों और अभियंताओं ने उनकी मांगों को ना मानने पर जहां ब्लैक आउट की चेतावनी दी।
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वहीं आने वाले समय में अपने आंदोलन को उग्र करने की बात कही। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि आने वाले समय में बिजली बोर्ड के कर्मचारियों और सरकार के बीच टकराव देखने को मिलेगा।
क्या हैं कर्मचारियों की मांगे
- विद्युत कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की बहाली
- इंजीनियरों के समाप्त किए गए 51 पदों की बहाली
- नौकरी से हटाए गए 81 ड्राइवरों को वापस नौकरी देना
दिवाली तक टाला आंदोलन
संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष लोकेश ठाकुर ने कहा कि दिवाली के त्यौहार को देखते हुए आंदोलन कुछ दिन के लिए टाला गया है और सरकार को 15 दिन का और समय दिया गया है।
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यदि इस बीच सरकार इन मुद्दों का कोई समाधान नहीं करती तो संयुक्त मोर्चा एक बड़े एलान की ओर आगे बढ़ेगा, जिसकी दिवाली के बाद अधिसूचित कर दी जाएगी। बता दंे कि संयुक्त मोर्चा इससे पहले मांगे पूरी नहीं होने की सूरत में दिवाली के बाद प्रदेश में ब्लैक आउट की चेतावनी दे चुका है।
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सरकार के किन फैसलों से गरमाया मुद्दा
संयुक्त मोर्चे के सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने कहा कि बिजली बोर्ड के कर्मचारी 21 महीने से पुरानी पेंशन योजना की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस बीच सरकार ने 2 ऐसे फैसले लिए हैं, जिससे बिजली बोर्ड के कर्मचारियों में रोष है।
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उन्होंने बताया कि इंजीनियरों के 51 पद समाप्त करने और 81 ड्राइवरों को नौकरी से हटाने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। इसे वापस नहीं लिया गया तो कर्मचारी काम छोड़कर उग्र आंदोलन करेंगे।