कुल्लू। हिमाचल के कुल्लू जिला में पिछले दिनों बंजार के जंगलों में भारी संख्या में हरे पेड़ों को काटने का मामला सामने आया था। या यूं कहें कि बंजार के विधायक सुरेंद्र शौरी ने इस मामले को उजागर किया था। विधायक सुरेंद्र शौरी ने आरोप लगाया था कि बंजार के जंगलों में सैंकड़ों पेड़ काटे गए हैं। सूखे और गिर चुके पेड़ों को काटने की आड़ में ठेकेदार ने हरे पेड़ों को काट दिया।
जंगल में पेड़ कटान मामले में बड़ी कार्रवाई
मामला सामने आने के बाद विभाग ने अब इसमें बड़ी कार्रवाई की है। उपमंडल बंजार में सुराग शिल्ह के जंगल में देवदार के हरे पेड़ काटने के मामले में अब डिप्टी रेंजर और वन रक्षक पर इसकी गाज गिरी है। वन निगम ने इन दोनों को ही निलंबित कर दिया है।
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वन निगम ने दोनों ही कर्मचारियों पर यह कार्रवाई उनकी लापरवाही बरतने पर की है। वहीं इस मामले की विभागीय जांच भी शुरू करवा दी गई है। इसके साथ ही ठेकेदार पर भी भारी भरकम जुर्माना लगाया गया है। ठेकेदार पर विभाग ने 99 लाख रुपए का जुर्माना ठोका है।
ठेकेदार ने काटे 358 पेड़, जिसमें कई हरे पेड़ों का कर दिया कटान
बताया जा रहा है कि वन विभाग ने बंजार उपमंडल के सुराग शिल्ह के जंगल में 836 सूखे पेड़ों को काटने की अनुमति दी थी। इन पेड़ों को काटने का टेंडर एक ठेकेदार को दिया गया था। लेकिन ठेकेदार ने जंगल में 358 पेड़ ही काटे, जिसमें से भी उसने कई हरे पेड़ों को काट दिया। इसकी शिकायत लोगों ने भी वन विभाग से की थी।
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विधायक ने खुद जंगल में जाकर की थी जांच
मामला सामने आने के बाद कुल्लू जिला के बीजेपी नेताओं ने इस मामले को मीडिया के समक्ष उठाया। यहां तक कि बंजार के विधायक सुरेंद्र शौरी ने खुद जंगल में जाकर इसकी जानकारी जुटाई और मीडिया के सामने आकर कई खुलासे किए। सुरेंद्र शौरी ने आरोप लगाए थे कि सरकार और बड़े अधिकारियों की मिलीभगती से जंगल में अवैध कटान हुआ है।
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भाजपा विधायक ने उजागर किया था मामला
सुरेंद्र शौरी ने कहा था कि एक तरफ सुक्खू सरकार हिमाचल में पौधारोपण कर प्रदेश को ग्रीन हिमाचल बनाने और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रही है। वहीं दूसरी तरफ उनके वन माफिया जंगलों को खत्म करने में जुटे हुए हैं। बंजार के भाजपा विधायक सुरेंद्र शौरी ने जंगल में जाकर वहां हो रही हरे पेड़ों की अवैध कटाई का सच सबके सामने पेश किया था।
भाजपा विधायक ने क्यों उठाए थे जांच पर सवाल
जब इस मामले की जांच शुरू की गई तब भी विधायक सुरेंद्र शौरी ने जांच पर सवाल उठाए थे। विधायक सुरेंद्र शौरी ने कहा था कि जिस डीएफओ के क्षेत्र में अवैध कटान हुआ है, उसी को जांच का जिम्मा सौंपा गया है। जबकि इस मामले की जांच उच्च स्तरीय होनी चाहिए थी। बीजेपी विधायक के बार बार इस मामले को उठाने के बाद अब वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है।
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डिप्टी रेंजर और वन रक्षक पर गिरी गाज
वन निगम के मंडलीय प्रबंधक वनीश कुमार ने बताया कि वन कटान के मामले में डिप्टी रेंजर और वन रक्षक को लापरवाही बरतने पर निलंबित कर दिया गया है। हरे पेड़ों के कटान की जांच चल रही है। यह जंगल 6800 बीघा में फैला हुआ है। जिसकी जांच में समय लगेगा।
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अब तक की जांच में वन विभाग ने 10 हरे पेड़ों के अवैध कटान की शिकायत बंजार थाना में दर्ज करवाई है। जिस पर कार्रवाई करते हुए विभाग ने हरे पेड़ काटने पर ठेकेदार को 99 लाख रुपए से भी अधिक का जुर्माना लगाया गया है।
भाजपा विधायक ने क्या किया था दावा
बता दें कि करीब 15 दिन पहले भाजपा विधायक सुरेंद्र शौरी ने इस मामले को उठाया था। भाजपा विधायक ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि जंगल में सुखे, रोगग्रस्त और उखड़े हुए पेड़ों की आड़ में 400 हरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाई गई है। जिसकी गवाही दिमांचरी के एक गोदाम में पड़े 10 हजार से भी अधिक स्लीपर दे रहे हैं। दिमांचरी के गोदाम में 400 से अधिक हरे पेड़ों के स्लीपर पड़े हुए हैं। भाजपा विधायक ने इस अवैध कटान के पीछे कुछ बड़े अधिकारियों की मिलीभगत के भी आरोप लगाए थे।
पेड़ कटान से क्या हो रहा नुकसान
हिमाचल में विकास के नाम पर हर साल लाखों पेड़ों को काटा जा रहा है। पेड़ काटने से जहां पहाड़ खोखले हो रहे हैंए वहीं इसका पर्यावरण पर भी असामान्य प्रभाव पड़ रहा है। हिमाचल में पेड़ काटने से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रहा है। यही नहीं पेड़ों के कटान से मिट्टी की पकड़ कमजोर हो रही हैए जिसका ही नतीजा है कि प्रदेश में हर मानसून सीजन में भारी भूस्खलन हो रहे हैं। पेड़ कटान से जल चक्र में बदलाव होता है और हिमाचल में जलप्रलय जैसी आपदा आनी शुरू हो गई है।
पेड़ काटने के क्या हैं नियम
हिमाचल में जंगलों को काटने के सरकार ने कुछ नियम बनाए हैं। जिसके अनुसार जंगलों से केवल सूखे हुए पेड़, रोगग्रस्त पेड़ ही काटे जा सकते हैं। इसके अलावा जो पेड़ उखड़ गए हैं, उन पेड़ों को काटने का प्रावधान है। इसी तरह से अपनी निजी भूमि पर भी पेड़ कटान के नियम तय किए गए हैं। बीते वर्ष सुक्खू सरकार ने ही 19 में से छह प्रजातियों के पेड़ों को काटने पर पूर्ण रोक लगा दी थी। जिसमें आम, बान, पाजा, तूणी, रीठा और त्रियांबल किस्में शामिल हैं।
हिमाचल के पास कितनी है वन संपदा
हिमाचल के पास आज के समय में कुल 3.12 करोड़ की वन सम्पदा है। लेकिन अब यह वन संपदा वन माफिया के चलते कम होती जा रही है। वन माफिया लगातार अवैध कटान कर रहे हैं। जिसका एक उदाहरण कुल्लू के बंजार के जंगल में देखने को मिला है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि इतने बड़े स्तर पर अवैध कटान की जानकारी गार्डए वन विभाग या सरकार को क्यों नहीं है।