#यूटिलिटी

September 21, 2024

हिमाचल में कम हो जाएंगे युवा- बेहद ही चौंकाने वाले हैं आंकड़े

शेयर करें:

शिमला। हिमाचल प्रदेश में गिरते TFR यानी कुल प्रजनन दर ने चितां को बढ़ा दिया है। किसी भी देश का कुल प्रजनन दर गिरना कभी भी अच्छे संकेत नहीं देता और हिमाचल प्रदेश में गिरता कुल प्रजनन दर इस ओर की ओर इशारा कर रहा है कि हमारे राज्य में जवान लोगों की संख्या कम होती जा रही है और बूढ़े लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। हिमाचल में यह परेशानी या तो प्रजन्न में समस्या के कारण उत्पन्न हुई है या हिमाचल में विवाह दर में गिरावट हुई है। इसके पीछे का एक और कारण हो सकता है वो है दंपति बच्चों को जन्म देने में कम दिलचस्पी दिखा रहे है या एक ही बच्चे को जन्म दे रहे है।

TFR घटने से समस्या

इन सभी मानकों को देख प्रदेश में अब दर को सुधारने के लिए विमर्शन शुरू हो गया है। आपको बता दें कि प्रदेश का वर्तमान कुल प्रजनन दर लगभग 1.7 है। बता दें कि यह दर रिप्लेसमेंट लेवल से कम है, जो कि 2.1 TFR होता है, और इससे जनसंख्या स्थिरता पर प्रभाव पड़ सकता है​। ऐसे में टीएफआर में आई कमी राज्य की जनसंख्या में स्थिरता और कम जन्म दर को दर्शाता है। यह भी पढ़ें: खतरे में हिमाचल का ये गांव- कंपनी पर गलत तरीके से ब्लास्टिंग के आरोप बड़ी बात ये है कि यदि ये ग्राफ बढ़ा नहीं तो हिमाचल में हिमाचलियों का ग्राफ़ कम हो जाएगा। यह हालात सिर्फ हिमाचल में देखने को नहीं मिल रहे बल्कि कई राज्य ऐसे है जहां TFR तेजी से गिर रही है।

ये राज्य भी चपेट में

  • पंजाब: पंजाब में TFR 1.6 है। यहां कृषि आधारित समाज और शहरीकरण के साथ-साथ परिवार नियोजन नीतियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • महाराष्ट्र: महाराष्ट्र का TFR 1.7 है। यहाँ तेजी से शहरीकरण और स्वास्थ्य सेवाओं की अच्छी उपलब्धता ने TFR में गिरावट की वजह बनाई है।
  • दिल्ली: दिल्ली का TFR 1.5 है। शहरी क्षेत्र होने के कारण यहाँ जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास सफल रहे हैं।
  • पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल का TFR 1.6 है। यहां भी प्रजनन दर में तेजी से गिरावट आई है, जो शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के कारण संभव हो पाया है।
  • केरल: केरल का TFR 1.7 है, जो रिप्लेसमेंट लेवल 2.1 से नीचे है।
  • तमिलनाडु: तमिलनाडु का TFR 1.6 है, जो पिछले कुछ वर्षों में और कम हुआ है।
  • कर्नाटक: कर्नाटक में TFR 1.7 के आसपास है।
यह भी पढ़ें: हिमाचल में ‘सांसद’ पर टूट पड़ी अमेरिकन महिला- चीन की साजिश

TFR दर में गिरावट से नुकसान

यदि TFR दर गिरता ही रहा तो बुजुर्गों की आबादी में वृद्धि, श्रमशक्ति में कमी, और सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों पर दबाव पड़ना शुरू हो जाएगा। वहीं, समाज के सामने चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। सरकार को हर राज्य को TFR दर के लिए अलग अलग तरह से कार्यक्रम चलाने होंगे। क्योंकि प्रत्येक महिला यदि 2 बच्चों को जन्म देती है तो यह दर देश में जनसंख्या स्थिरता की ओर संकेत करती है, क्योंकि यह रिप्लेसमेंट लेवल प्रजनन 2.1 के करीब है। ऐसे कई देशों का उदाहरण है जिनके टोटल फर्टिलिटी रेट लगातार गिर रहे हैं। आबादी कम होने से उनके अस्तित्व पर प्रभाव पड़ा रहा है। यह भी पढ़ें: हिमाचल : गरीब परिवार की बेटी ने किया कमाल, मां का दर्द देख आया ऐसा विचार
  • इटली: इटली का TFR 1.24 के करीब है।यहां युवा आबादी में कमी देखी जा रही है।
  • स्पेन: स्पेन का TFR लगभग 1.3 है।
  • जर्मनी: जर्मनी का TFR लगभग 1.5 है।
  • चीन: चीन का TFR हाल के वर्षों में 1.2 तक गिर गया है।
  • जापान: जापान का TFR काफ़ी कम है, लगभग 1.3 जनसंख्या तेजी से बूढ़ी हो रही है।
  • दक्षिण कोरिया: दक्षिण कोरिया का TFR दुनिया में सबसे कम है, जो लगभग 0.78 है।
इन देशों में गिरता हुआ TFR वृद्धावस्था, कामकाजी लोगों की कमी, और आर्थिक तथा सामाजिक सेवाओं पर भारी दबाव डालता नजर आ रहा है। यह भी पढ़ें : हिमाचल में बेरोजगारों का प्रदर्शन : युवा कर रहे नौकरियों की मांग

तमिलनाडु ने की पहल

तमिलनाडु में गिरती TFR को लेकर योजनाएं बनाई गई हैं। बता दें कि 2020 में, तमिलनाडु का TFR 1.4 तक गिर गया था। इसके बाद अब सरकार द्वारा वहां पर जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को TFR की दिक्कतों से जागरूक करवाया जा रहा है।

क्या होता है TFR

TFR का मतलब "Total Fertility Rate" है। यह एक जनसांख्यिकी माप है, जो किसी विशेष जनसंख्या में महिलाओं द्वारा अपने प्रजनन काल में औसतन कितने बच्चों को जन्म देने की संभावना दर्शाता है। यह भी पढ़ें: हिमाचल : बीमा कंपनी ने इंश्योरेंस देने से किया मना, अब चुकाने पड़ रहे 1.03 लाख

टीएफ़आर के बारे में प्रमुख बातें:

महत्व: यह माप जनसंख्या वृद्धि और जनसांख्यिकीय परिवर्तनों का आकलन करने में मदद करता है। गणना: टीएफ़आर को जन्मों की संख्या के औसत के रूप में मापा जाता है, और यह एक जनसंख्या में सभी महिलाओं के लिए गणना की जाती है। समाजशास्त्रीय प्रभाव: टीएफ़आर का स्तर समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, आर्थिक स्थिति, और सांस्कृतिक मानदंडों को भी दर्शाता है। आर्थिक नीतियाँ: टीएफ़आर का आंकड़ा सरकारों के लिए जनसंख्या नीतियों और सामाजिक योजनाओं को बनाने में सहायक होता है।

पेज पर वापस जाने के लिए यहां क्लिक करें

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख