शिमला। हिमाचल प्रदेश इस समय आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। प्रदेश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हर संभव प्रयास कर रहे है। सीएम सुक्खू जहां प्रदेश में आर्थिकी बढ़ाने के संसाधनों को जुटाने में लगे हुए हैं। वहीं हिमाचल के हक को वापस पाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
पंजाब और हरियाणा ने 4500 करोड़ पर मारी है कुंडली
दरअसल प्रदेश के पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा हिमाचल के 4500 करोड़ रुपए पर कुंडली मार कर बैठे हैं। दोनों राज्यों से हिमाचल को एरियर के रूप में 4500 करोड़ रुपए मिलने थे। करीब 13 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी हिमाचल के हक में अपना फैसला सुनाया था, बावजूद इसके दोनों राज्यों ने अभी तक हिमाचल के पैसे को नहीं लौटाया है। अपने पैसे को वापस लेने के लिए अब सीएम सुक्खू ने प्रयास तेज कर दिए हैं।
यह भी पढ़ें: हिमाचल : कहता था- शादी करूंगा, 4 साल साथ में रखा फिर छोड़ दिया
बीबीएमबी से एरियर के रूप में मिलने हैं 4500 करोड़
बता दें कि बीबीएमबी यानी भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड से हिमाचल को 4500 करोड़ का एरियर मिलना था। बीबीएमबी एरियर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने करीब 13 साल पहले हिमाचल के हक में अपना फैसला सुनाया था। लेकिन 13 साल बीत जाने के बाद भी इसे लागू नहीं किया गया। अब सीएम सुक्खू ने दोबारा सुप्रीम कोर्ट गए हैं और 11 सितंबर बुधवार को इस मामले की सुनवाई होगी।
सीएम सुक्खू ने दिल्ली भेजी अपनी अफसरशाही
इसी सुनवाइ को लेकर सीएम सुक्खू ने अपने अधिकारियांे को दिल्ली भेज दिया है। ताकि वह केस की सुनवाई से पहले भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल से लेकर एडवोकेट से चर्चा कर लें। हालांकि अधिकारियों ने इससे पहले पिछले माह अगस्त में भी भारत के अटॉर्नी जनरल से बैठक की थी। उस बैठक में पंजाब और हरियाणा के अधिकारी भी शामिल हुए थे।
यह भी पढ़ें: हिमाचल : शेड बना रहे थे 2 सगे भाई, छोटे ने बड़े की आंखों के सामने ली अंतिम सांस
13 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल के हक में दिया था फैसला
हालांकि 13 साल पहले जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था, तब से यानी 2011 के बाद से हिमाचल को बढ़ी हुई हिस्सेदारी पर बिजली मिलना शुरू हो गई है, लेकिन बीबीएमबी के प्रोजेक्ट्स के तहत 1966 से भाखड़ा डैम, 1977 से डैहर बिजली परियोजना और 1978 से पोंग डैम प्रोजेक्ट से एरियर मिलना अभी भी बाकी है। जिसे बार बार की वार्ता के बाद भी दोनों राज्य हिमाचल को नगद देने को तैयार नहीं हैं।
यह भी पढ़ें: हिमाचल में घर बनाना हुआ महंगा: कंपनियों ने एक बार फिर बढ़ाए सीमेंट के दाम
पड़ोसी राज्य 1300 करोड़ यूनिट बिजली देने पर हो रहा राजी
बताया जा रहा है कि दोनों राज्य 4500 करोड़ की बजाय हिमाचल केा बिजली देने के लिए राजी हुए हैं। अगर ऐसा होता है तो हिमाचल को 1300 करोड़ यूनिट बिजली का भुगतान होगा। अगर बात बन जाती है तो इससे हिमाचल की कांग्रेस सरकार को काफी फायदा होगा। अगर दोनों राज्य अगले 15 साल में भी बिजली की दरों का भुगतान करते हैं तो भी हिमाचल सरकार को हर साल 500 से 700 करोड़ अतिरिक्त मिलना शुरू हो जाएंगे।
यह भी पढ़ें: हिमाचल : सड़क से 1500 मीटर नीचे लुढ़क गई कार, चार थे सवार, एक ही बचा
इन बिंदूओं से जाने पूरा मामला
- सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में हिमाचल के हक में दिया था फैसला
- हिमाचल की बिजली में हिस्सेदारी को बढ़ाया गया था।
- सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल को बीबीएमबी के प्रोजेक्ट्स के तहत 1966 से भाखड़ा डैम, 1977 से डैहर बिजली परियोजना और 1978 से पोंग डैम प्रोजेक्ट से एरियर देने के आदेश दिए थे।
- पंजाब और हरियाणा से हिमाचल को एरियर के रूप् में मिलने हैं 4500 करोड़
- दोनों राज्य नगद देने को नहीं हो रहे तैयार
- दोनों राज्य एरियर के बदले में बिजली देने को जता रहे सहमति
- दोनों राज्य हिमाचल को देंगे 1300 करोड़ यूनिट बिजली
इन बिंदुओं पर है हिमाचल का दोनों पड़ोसी राज्यों से गतिरोध
- बीबीएमबी एरियर को लेकर पुराने बिजली प्रोजेक्ट की निर्माण लागत शेयर करने का गतिरोध है।
- सुक्खू सरकार प्रोजेक्ट की निर्माण लागत में हिस्सेदारी देने को है तैयार
- हिमाचल की पड़ोसी राज्यों से बिजली की ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस कॉस्ट को लेकर अभी चल रही बात
- मरम्मत आदि की यह लागत प्रति यूनिट 10 पैसे से 67 पैसे तक जा सकती है