शिमला। आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल की कांग्रेस सरकार को केंद्र से मिलने वाली हर सौगात किसी संजीवनी से कम नहीं है। अब केंद्र की मोदी सरकार ने हिमाचल को एक बार फिर बड़ी सौगात दी है। हालांकि इस सौगात के साथ ही केंद्र सरकार ने कुछ शर्तें और चेतावनी भी जोड़ दी है। जिसके बाद से हिमाचल की सुक्खू सरकार सतर्क हो गई है।
बीएडीपी के तहत किए करोड़ों रुपए
दरअसल केंद्र सरकार ने चीन सीमा से सटे हिमाचल प्रदेश के राज्यों के लिए बजट जारी किया है। यह बजट हिमाचल के किन्नौर और लाहौल स्पीति जिला के सीमावर्ती क्षेत्रों पर खर्च किया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बीएडीपी) के तहत हिमाचल को 21.40 करोड़ रुपए की राशि जारी की है।
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केंद्र सरकार ने रखी कड़ी शर्तें
इस राशि को जारी करते हुए केंद्र ने कड़ी शर्तों के साथ चेतावनी भी दी है। केंद्र ने दोटूक कहा है कि अगर इस बजट को नियमानुसार खर्च नहीं किया गया तो इसे हिमाचल को मिलने वाले अगले बजट में से काट लिया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सीमा प्रबंधन विभाग ने इन्हीं निर्देशों के साथ राज्य सरकार को यह बजट जारी किया है।
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चेतावनी भी दी
केंद्र सरकार ने यह धनराशि केंद्रीय भाग के रूप में जारी की है, जबकि हिमाचल प्रदेश सरकार को इसके लिए अपने हिस्से के 2 करोड़ 37 लाख 80 हजार रुपए खर्च करने को कहा गया है। केंद्र सरकार ने चेतावनी दी है कि हिमाचल सरकार इस बजट पर किसी तरह की कोई कमाई करने या ब्याज उगाहने का प्रयास नहीं करेगी। अगर ऐसा किया गया तो बजट को भारत सरकार के कंसोलिडेटिड फंड में जमा करना होगा।
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कहां खर्च होता है यह बजट
यही नहीं इस बजट को किसी अन्य योजना, प्रोजेक्ट पर भी खर्च नहीं किया जा सकेगा। चाहे वह योजना या प्रोजेक्ट केंद्र सरकार का ही क्यों ना हो। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सीमा प्रबंधन विभाग ने चेतावनी दी है कि अगर भविष्य में यह पाया जाता है कि इस योजना के तहत रखी गई शर्तों के तहत बजट को खर्च नहीं किया गया है तो जारी किए जाने वाले बजट के साथ इसे एडजस्ट कर दिया जाएगा।
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बता दें कि सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम बीएडीपी के तहत जारी किए गए बजट को अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से सटे दुर्गम और दूरदराज इलाकों में रहने वाले लोगों की जरूरतों पर खर्च करना होता है। इस पैसे से बुनियादी ढांचे का विकास किया जाता है, जिससे वहां के लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकें।
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इन सुविधाओं पर खर्च होता है बजट
सीमावर्ती क्षेत्रों में आदर्श गांवों का विकास, इन गांवों में बेहतर कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य, शिक्षा, जल आपूर्ति, स्वच्छता जैसी सुविधाएं भी इसमें शामिल होती हैं। इनमें जैविक खेती को बढ़ावा, सौर, पर्यटन स्थलों पर पार्किंग, कैंटीन जैसी सुविधाएं देना, सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण भी शामिल हैं।