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January 20, 2025

हिमाचल के किसान की बेटी ने जीता वर्ल्ड कप, बनी खो-खो चैंपियन

पहले ही वर्ल्ड कप में बनी चैंपियन

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Kho Kho World Cup Champion

कुल्लू। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की रहने वाली नीता ठाकुर ने अपने बचपन के शौक को करियर में बदला और आज वह खो-खो विश्व कप की विजेता भारतीय टीम का हिस्सा बन गई हैं। बता दें कि नीता को हमेशा से ही दौड़ने का शोक था, लेकिन उनके बड़े भाई को खो-खो खेलते देख उन्हें भी इस खेल में रुचि पैदा हुई। कभी नहीं सोचा था कि यह शौक उन्हें इतना बड़ा मुकाम दिलाएगा और वह विश्व विजेता टीम का हिस्सा बन जाएंगी।

विश्व कप में ऐतिहासिक जीत

हाल ही में हुए खो-खो विश्व कप में भारत की टीम ने ऐतिहासिक जीत हासिल की। इस जीत में नीता ठाकुर का योगदान बेहद महत्वपूर्ण था। वह इस टीम की एकमात्र हिमाचली खिलाड़ी थीं, जो भारत की ओर से खेलते हुए इस ऐतिहासिक उपलब्धि का हिस्सा बनीं। उनकी यह सफलता न केवल व्यक्तिगत है, बल्कि हिमाचल प्रदेश के लिए भी गर्व का क्षण है, क्योंकि इस खेल में प्रदेश का नाम रोशन करने वाली वह पहली खिलाड़ी बनीं।

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पंजाब से लिया प्रशिक्षण

नीता ने अपनी जीत के बाद अपनी यात्रा के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह पंजाब गईं, जहां उन्होंने अपने खेल को बेहतर बनाने के लिए प्रशिक्षण लिया। हालांकि, वहां भी उन्हें वह सुविधाएं नहीं मिलीं जो एक उच्च स्तर के खिलाड़ी को मिलनी चाहिए थीं। इसके बाद, उन्होंने प्रदेश से बाहर जाकर बेहतर प्रशिक्षण हासिल करने का निर्णय लिया। वर्तमान में नीता लवली विश्वविद्यालय से एमपीएड की पढ़ाई कर रही हैं और खेल के साथ-साथ अपनी शिक्षा में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं।

खो-खो के लिए सुविधाओं की कमी

नीता ने प्रदेश में खो-खो के लिए उचित सुविधाओं और प्रशिक्षण केंद्रों की कमी महसूस की और कहा कि  प्रदेश में इस खेल को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उनका मानना है कि अगर प्रदेश में खो-खो के लिए प्रशिक्षण केंद्र खोले जाएं, तो यहां के खिलाड़ी न केवल राज्य, बल्कि देश का नाम भी रोशन कर सकते हैं।

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खिलाड़ियों को उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता

नीता ने कहा कि प्रदेश में कई बेहतरीन खो-खो खिलाड़ी हैं, लेकिन उन्हें सही मार्गदर्शन और सुविधाएं नहीं मिल पातीं। उन्होंने उदाहरण के तौर पर हैंडबॉल, कबड्डी और हॉकी जैसे खेलों का नाम लिया और कहा कि इन खेलों की तरह खो-खो के लिए भी प्रदेश में प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना होनी चाहिए। अगर ऐसा होता है तो यह न केवल प्रदेश, बल्कि पूरे देश के खिलाड़ियों के लिए फायदेमंद साबित होगा। नीता का कहना था कि खेलों को लेकर सही दिशा और मार्गदर्शन मिलने से युवा खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को और निखार सकते हैं।

कोच संदीप का योगदान

नीता ने अपनी सफलता के पीछे अपने कोच संदीप का अहम योगदान बताया। उन्होंने कहा कि कोच संदीप ने उन्हें खो-खो के खेल में तकनीकी और मानसिक दोनों स्तर पर निखारा। कोच की मेहनत और मार्गदर्शन के बिना वह इस मुकाम तक नहीं पहुँच पातीं। नीता की मेहनत और कोच की दिशा ने ही उन्हें आज एक बेहतरीन खिलाड़ी बना दिया।

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परिवार का साथ और समर्थन

नीता के परिवार का भी उनके इस सफर में अहम योगदान है। उनके पिता किसान हैं और माता गृहिणी, लेकिन उनके समर्थन से नीता ने हमेशा अपने सपनों को आगे बढ़ाया। नीता का मानना है कि परिवार का साथ किसी भी खिलाड़ी के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, और उन्हें अपने माता-पिता से हमेशा प्रेरणा मिलती रही।

अगला लक्ष्य और भविष्य की योजनाएं

नीता ठाकुर का अगला लक्ष्य अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक सफलता हासिल करना है। उनका कहना है कि अब वह खो-खो के खेल में और अधिक उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए लगातार मेहनत करती रहेंगी। उनका मानना है कि अगर किसी को अपनी मेहनत और सपनों पर विश्वास हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।

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