शिमला। हिमाचल प्रदेश के हर मंदिर व शक्तिपीठ में भक्तों की लंबी कतारें लगी हुई हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। प्रत्येक दिन मां के अलग-अलग रूप की उपासना होती है और हर रूप की अपनी विशेष शक्ति और महत्ता होती है।
मां स्कंदमाता का स्वरूप
आज नवरात्रि का पांचवां दिन है। नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। स्कंदमाता को भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता के रूप में जाना जाता है। उनके इस स्वरूप में देवी की चार भुजाएं होती हैं, जिनमें से एक में वह अपने पुत्र स्कंद को गोद में लिए होती हैं, जबकि अन्य हाथों में कमल के फूल और अभय मुद्रा होती है। स्कंदमाता को 'मां शक्ति' का प्रतीक माना जाता है और उनकी पूजा से भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
यह भी पढ़ें : हिमाचल : जल्द शुरू होगी प्री-नर्सरी टीचर्स की भर्ती, यहां जानें पूरी डिटेलॉ
स्कंदमाता की कथा
कथा के अनुसार, देवी स्कंदमाता भगवान शिव और देवी पार्वती की पुत्री हैं, जो भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं। देवताओं और दैत्यों के बीच युद्ध में, भगवान कार्तिकेय ने सेनापति के रूप में देवताओं का नेतृत्व किया और दैत्यों का संहार किया।
मां स्कंदमाता अपने पुत्र के साथ युद्ध में उसका संबल बनीं और उसकी रक्षा की। स्कंदमाता को 'मां शक्ति' के रूप में पूजा जाता है, जो भक्तों की सभी समस्याओं को दूर करती हैं और उन्हें सुरक्षा प्रदान करती हैं।
यह भी पढ़ें : हिमाचल : दुकान बंद करके जा रहा था नरेश, रास्ते में व्यक्ति ने किया सिर पर वार और...
उनकी कथा इस बात का प्रतीक है कि मां अपने पुत्र की रक्षा के लिए कितनी समर्पित होती हैं। उन्होंने भगवान कार्तिकेय को दानवों के राजा तारकासुर को मारने के लिए तैयार किया, जिससे संसार में शांति और समृद्धि स्थापित हो सकी।
स्कंदमाता का महत्व
मां की ममता का प्रतीक- स्कंदमाता अपने पुत्र कार्तिकेय को अपनी गोद में बिठाकर ममता और प्रेम की मूर्ति के रूप में पूजी जाती हैं।
आध्यात्मिक उन्नति- उनकी उपासना से साधक को आत्मज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। वे भक्तों को संसारिक कष्टों से मुक्त कर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती हैं।
यह भी पढ़ें : हिमाचल के बेटे को BSF में मिली बड़ी जिम्मेदारी, किसान पिता का चौड़ा किया सीना
सुख और समृद्धि- मां की पूजा से घर में सुख, समृद्धि, और शांति आती है। वे भक्तों को संतान सुख और आरोग्य प्रदान करती हैं।
अभय और आत्मविश्वास- मां स्कंदमाता की कृपा से भय, चिंता, और नकारात्मकता का नाश होता है, और भक्तों में आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
स्कंदमाता की पूजा विधि
नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। पूजा विधि इस प्रकार है-
स्नान और शुद्धिकरण- प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को साफ करें।
व्रत का संकल्प- मां स्कंदमाता की पूजा के लिए व्रत का संकल्प लें।
मूर्ति या चित्र स्थापना- मां स्कंदमाता की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
पूजन सामग्री- फूल, नारियल, लाल कपड़ा, अक्षत (चावल), कुमकुम, धूप, दीप, गंगा जल, शहद, और फल रखें।
यह भी पढ़ें : हिमाचल : 10 वर्षीय बेटे के साथ सैर करने गई थी महिला, नहीं लौटी वापस
ध्यान और आवाहन- मां स्कंदमाता का ध्यान करते हुए उनका आवाहन करें। इसके बाद "ॐ देवी स्कंदमातायै नमः" मंत्र का जाप करें।
अभिषेक- मां स्कंदमाता को गंगा जल, दूध, शहद और पंचामृत से स्नान कराएं।
पूजा- मां को लाल या पीले फूल अर्पित करें, और चंदन व कुमकुम से तिलक करें। धूप और दीप जलाकर माँ की आरती करें।
भोग- उन्हें फल, मिठाई, और खीर का भोग अर्पित करें।
प्रसाद वितरण- पूजा के बाद प्रसाद सभी को वितरित करें।