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September 14, 2024

अनंत चतुर्थी कब? एक क्लिक में जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

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नई दिल्ली। हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और व्रत को बहुत महत्व दिया जाता है। हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी को बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। भादो मास में गणेश चुतर्थी से अनंत चतुर्थी तक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है।

10 दिन मनाया जाता है गणेश उत्सव

भाद्रपद मास भगवान गणेश को समर्पित होता है। पूरे दस दिनों तक गणेश उत्सव मनाया जाता है। फिर गणेज विसर्जन किया जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी का शुभारंभ 7 सितंबर, शनिवार को हुआ था। यह भी पढ़ें: हिमाचल : कार और बाइक की जोरदार टक्कर, बुझ गया एक घर का चिराग आज हम आपको बताएंगे कि गणेश विसर्जन करने का शुभ दिन क्या है और गणेश विसर्जन करने की प्रक्रिया क्या है। इसके अलावा बताएंगे की अनंत चतुर्दशी कब है और क्या है।

क्या है अनंत चतुदर्शी?

अनंत चतुदर्शी हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है, जो गणेशोत्सव के अंतिम दिन आता है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है और गणपति विसर्जन भी किया जाता है। श्रद्धालु गणपति बप्पा को विदाई देते हैं और अगले साल उनके फिर से आगमन की कामना करते हैं। यह भी पढ़ें: हिमाचल : शादी के दिखाता था सपने, कई बार की नीचता और फिर छोड़ दिया

कब है अनंत चतुर्दशी?

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 16 सितंबर, सोमवार को दोपहर 3 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन 17 सितंबर, मंगलवार को दिन में 11 बजकर 44 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर को मनाई जाएगी। यानी गणेश विसर्जन 17 सितंबर को किया जाएगा।

कौनसे बन रहे योग?

इस साल अनंत चतुर्दशी के दिन-
  • रवि योग
  • धृति योग
  • शूल योग बन रहा है।
  • रवि योग सुबह 6 बजकर 7 मिनट से दोपहर 1 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। रवि योग में ही अनंत चतुर्दशी की पूजा होगी। रवि योग में सभी प्रकार के दोष मिट जात हैं। दरअसल, इसमें सूर्य का प्रभाव अधिक होता है। यह एक शुभ योग है।
  • धृति योग सुबह सवेरे से लेकर सुबह 7 बजकर 48 मिनट तक है।
  • फिर शूल योग शुरू होगा- जो कि 18 सितंबर को सुबह 3 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
अनंत चतुर्दशी पर शतभिषा नक्षत्र सुबह से दोपहर 1 बजकर 53 मिनट तक है। फिर उसके बाद पूर्व भाद्रपद नक्षत्र है। यह भी पढ़ें: हिमाचल का वीर जवान आतंकी मुठभेड़ में हुआ शहीद, डेढ़ साल का बेटा छूटा पीछे

कैसे मनाई जाती है अनंत चतुर्दशी?

  • भगवान विष्णु की पूजा-
इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। पूजा में भक्त भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की आराधना कर अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। अनंत चतुर्दशी पर भक्त एक धागा (अनंत धागा) धारण करते हैं, जिसे अनंत सूत्र कहा जाता है। यह धागा 14 गांठों वाला होता है, जो भगवान विष्णु की शक्ति का प्रतीक होता है। यह धागा पुरुष अपने दाहिने हाथ पर और महिलाएं बाएं हाथ पर बांधती हैं और यह जीवन में अनंत समृद्धि, खुशहाली और संकटों से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है।
  • अनंत सूत्र की विधि-
अनंत सूत्र की पूजा के लिए एक साफ स्थान पर चौकी लगाई जाती है और उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित किया जाता है। पूजा के समय जल, पुष्प, धूप, दीप, चंदन, अक्षत (चावल) और मिठाई अर्पित की जाती है। फिर अनंत सूत्र (धागा) पर 14 गांठें बांधकर भगवान विष्णु के सामने रखा जाता है। इस दौरान विष्णु के "अनंताय नमः" मंत्र का जाप किया जाता है। पूजा के बाद यह धागा पुरुष अपने दाहिने हाथ पर और महिलाएँ बाएं हाथ पर धारण करती हैं। यह भी पढ़ें: हिमाचल में नहीं थम रहा मस्जिद विवाद, सुन्नी में हिंदू संगठनों का प्रदर्शन आज
  • गणेश विसर्जन-
गणेशोत्सव की शुरुआत गणेश चतुर्थी से होती है और यह अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन के साथ समाप्त होती है। 10 दिनों तक की गई गणपति बप्पा की पूजा के बाद गणेश प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है। लोग नाच-गाकर, जयकारे लगाते हुए, ढोल-ताशे के साथ गणपति बप्पा को जलाशयों (नदी, तालाब या समुद्र) में विसर्जित करते हैं। विसर्जन के समय लोग "गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ" के जयकारे लगाते हैं और भगवान गणेश से अगले साल फिर से आगमन की कामना करते हैं।
  • व्रत और उपवास-
कई भक्त अनंत चतुर्दशी के दिन उपवास रखते हैं। उपवास के दौरान सिर्फ फलाहार या सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है। यह उपवास भगवान विष्णु और गणपति बप्पा की कृपा पाने के लिए रखा जाता है। व्रत रखने वाले भक्त पूजा के बाद ही अन्न ग्रहण करते हैं। यह भी पढ़ें: CM सुक्खू के गृह जिला में फिर ED की रेड, निशाने पर स्टोन क्रशर कारोबारी
  • अनंत चतुर्दशी की लोक मान्यताएं-
मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और अनंत सूत्र धारण करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। गणपति विसर्जन के साथ यह विश्वास किया जाता है कि भगवान गणेश सभी विघ्नों और बाधाओं को साथ लेकर जाते हैं और भक्तों को सुख, शांति और सफलता का आशीर्वाद देते हैं।
  • समुदाय और उत्सव-
अनंत चतुर्दशी विशेष रूप से महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, गुजरात और उत्तर भारत में धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन सार्वजनिक स्थानों पर बड़े पैमाने पर गणपति विसर्जन के आयोजन किए जाते हैं, जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। लोग अपने घरों और पंडालों से गणपति प्रतिमाओं को बड़े जलाशयों तक ले जाते हैं, जहाँ उनका विसर्जन होता है।

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