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September 21, 2024

हिमाचल के इस मंदिर में एक साथ दर्शन नहीं कर सकते पति-पत्नी, मिलती है सजा

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शिमला। देवभूमि कहलाए जाने वाले छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में कई सारे मंदिर स्थापित हैं। यहां के हर मंदिर का इतिहास और मान्यताएं बेहद रोचक हैं। सूबे में बहुत सारे मंदिर हैं जो कि आज तक रहस्यमयी बने हुए हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक अद्भुत मंदिर के बारे में बताएंगे।

हिमाचल का अनोखा मंदिर

इस मंदिर में पति-पत्नी का एक साथा आना वर्जित है। यानी इस मंदिर में स्थापित मूर्ति के पति-पत्नी एक साथ दर्शन नहीं कर सकते हैं। हालांकि, अगर वो ऐसा करते हैं तो उन्हें सजा भुगतनी पड़ती है। यह भी पढ़ें: हिमाचल : बच्चों के साथ स्कूल से लौट रहा था शिक्षक, खाई में गिर गई कार हम बात कर रहे हैं शिमला के रामपुर में स्थित मां दुर्गा के एक मंदिर की। इस मंदिर को श्राई कोटि माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर से स्थानीय लोगों की काफी आस्था जुड़ी हुई है।

एक साथ दर्शन नहीं कर सकते पति-पत्नी

कहा जाता है कि इस मंदिर में आने वाले हर पति-पत्नी को अकेले-अकेले माता के दर्शन करने पड़ते हैं। एक मंदिर के बाहर खड़ा होकर दूसरे के आने का इंतजार करता है और फिर वो अकेले जाकर दर्शन करता है। हालांकि, अगर कोई शादीशुदा जोड़ा ऐसा ना करे तो उनका अलग होना निश्चित होता है। यह भी पढ़ें: 10 दिनों से लापता किन्नौर DC के पिता की खोज पूरी, परिवार की टूटी आस

क्या है श्राई कोटि माता मंदिर का इतिहास?

मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों गणेश और कार्तिकेय को समग्र भ्रमांड का चक्कर काटने को कहा था। उस समय कार्तिकेय तो भ्रमण पर चले गए थे, लेकिन गणेश भगवान ने माता-पिता के चक्कर लगा कर ही यह कह दिया था कि माता-पिता के चरणों में ही ब्रह्मांड है। जब कार्तिकेय वापिस पहुंचे तब तक गणपति का विवाह हो चुका था यह देख कर कार्तिकेय महाराज ने कभी विवाह ना करने का निश्चय किया था। श्राईकोटी में आज भी द्वार पर गणपति अपनी पत्नी के साथ विराजमान है। यह भी पढ़ें: लड़कियों की रोल मॉडल बनी धाकड़ लेडी सिंघम- नाम से ही क्रिमिनल खाते हैं खौफ

सहना पड़ता है वियोग

माना जाता है कि कार्तिकेय ज के विवाह ना करने के प्रण से माता बहुत दुखी हुई थी। इसी के चलते उन्होंने यह कहा कि जो भी पति-पत्नी यहां उनके दर्शन करेंगे उस दंपति का अलग होना तय होगा। यही कारण है कि आज भी यहां पति-पत्नी एक साथ पूजा नहीं करते। अगर फिर भी कोई ऐसा करता है मां के श्राप अनुसार उसे ताउम्र एक-दूसरे का वियोग सहना पड़ता है।

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