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August 15, 2024

पुत्रदा एकादशी व्रत कल : एक क्लिक में जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

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नई दिल्ली। हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और व्रत को बहुत महत्व दिया जाता है। हर व्रत किसी ना किसी भगवान को समर्पित है। हिंदू धर्म ग्रथों में एकादशी तिथि की विशेष मान्यता है। एकादशी व्रत को परम पवित्र और फलदायी व्रत के रूप में व्रणित किया गया है। साल में कई एकादशी व्रत होते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग एकादशी तिथि का व्रत रखते हैं- उनके घर में खुशहाली आती है।

क्या है पुत्रदा एकादशी व्रत?

ऐसा ही एक एकादशी का व्रत ऐसा है- जिसे रखने से नि:संतानों को संतान का सुख मिलता है। इस व्रत को पुत्रदा एकादशी के नाम से जान जाता है। पुत्रदा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह भी पढ़ें: “हिमाचल पुलिस ने कुछ नहीं किया, अपनी बेटी को हमने खोजा- CBI जांच हो”

किसे समर्पित है पुत्रदा एकादशी व्रत?

पुत्रदा एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत में भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भक्तजन इस व्रत को रखते हैं ताकि भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें संतान सुख की प्राप्ति हो और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे।

कितने होते हैं पुत्रदा एकादशी व्रत?

पुत्रदा एकादशी का व्रत साल में दो बार रखा जाता है-
  • पौष मास (दिसंबर-जनवरी) में- जिसे शुक्ल पक्ष की एकादशी कहा जाता है।
  • दूसरा श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) में- जिसे श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाता है।

कब है पुत्रदा एकादशी व्रत?

हिंदू पंचाग के अनुसार, इस बार सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत 16 अगस्त यानी कल रखा जाएगा। जबकि, व्रत का पारण 17 अगस्त के दिन सुबह 5 बजकर 15 मिनट से लेकर 8 बजकर 5 मिनट के बीच किया जाएगा। यह भी पढ़ें: जेजों खड्ड हाद*सा: चौथे दिन रेत में दबे मिले बाढ़ में बहे जीजा-साली के श*व

क्यों रखा जाता है पुत्रदा एकादशी व्रत?

पुत्रदा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष रूप से संतान प्राप्ति की कामना के लिए रखा जाता है। इस व्रत को-
  • संतान प्राप्ति की इच्छा
पुत्रदा एकादशी का व्रत मुख्य रूप से उन दंपतियों द्वारा रखा जाता है-जो संतान प्राप्त करना चाहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु की कृपा से दंपतियों को संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • संतान की भलाई और लंबी आयु के लिए
जो दंपति पहले से ही संतान सुख प्राप्त कर चुके हैं, वे भी इस व्रत को रखते हैं ताकि उनकी संतान स्वस्थ, लंबी आयु वाली और धर्मपरायण हो। इस व्रत के प्रभाव से संतान के जीवन में आने वाली बाधाओं और कष्टों का निवारण होता है।
  • पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति
धार्मिक मान्यता के अनुसार, पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के पिछले जन्मों के पापों का नाश होता है। यह व्रत करने से व्यक्ति को पुण्य का लाभ मिलता है। इस व्रत को करने से आत्मा की शुद्धि होती है और मोक्ष की प्राप्ति की दिशा में प्रगति होती है।
  • भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति
इस व्रत के दौरान भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और व्रतधारी पर अपनी कृपा बरसाते हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
  • धार्मिक और पारिवारिक समृद्धि
पुत्रदा एकादशी व्रत पारिवारिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस व्रत से परिवार में एकता, शांति, और समृद्धि बनी रहती है। परिवार के सभी सदस्यों के बीच आपसी प्रेम और सद्भाव बढ़ता है।
  • स्वास्थ्य और मानसिक शांति
उपवास करने से शरीर का शुद्धिकरण होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है। धार्मिक ग्रंथों में इसे आत्मसंयम और मन की शुद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण माना गया है। यह भी पढ़ें: कौन हैं ASI रंजना शर्मा? क्यों मिल रहा विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक!

क्या है पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा?

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भद्रावती नामक एक नगर में महिजित नाम का एक राजा राज करता था। राजा बहुत धनी और प्रजा का ध्यान रखने वाला था, लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी। इस कारण वह और उसकी पत्नी बहुत दुखी रहते थे। उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए कई यज्ञ और पूजा-अर्चना की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। एक दिन राजा महिजित ने अपने राज्य के ऋषियों और विद्वानों को बुलाया और उनसे संतान प्राप्ति के लिए उपाय पूछा। ऋषियों ने राजा को श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी (पुत्रदा एकादशी) का व्रत करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से भगवान विष्णु की कृपा से संतान की प्राप्ति होती है। राजा और रानी ने पुत्रदा एकादशी का व्रत विधिपूर्वक किया। उनकी भक्ति और व्रत से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए और संतान का वरदान दिया। कुछ समय बाद रानी ने एक सुंदर और योग्य पुत्र को जन्म दिया, जो बड़ा होकर एक महान राजा बना। इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति के लिए अत्यधिक प्रभावी माना गया है। इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उपवास रखते हैं और व्रत की कथा का पाठ करते हैं। इस व्रत को करने से न केवल संतान प्राप्ति होती है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है। यह भी पढ़ें: हिमाचल के बैंक में हुआ करोड़ों का घोटाला, लोगों के FD वाले पैसे खा गया असिस्टेंट मैनेजर

क्या हैं पुत्रदा एकादशी व्रत की पूजा विधि?

  • पुत्रदा एकादशी की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान करें।
  • पीले रंग के साफ-सुथरे कपड़े पहनें- ऐसा करना बेहद शुभ होता है।
  • भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें।
  • पूजा के लिए चौकी सजाएं और उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
  • चौकी पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
  • घी का दीपक जालकर पंजीरी, पंचामृत, पीले फूल और आम के पत्ते चढ़ाएं।
  • पंचमेवा, धूप, फल, पीले वस्त्र और मिठाई आदि भगलाव को समर्पित करें।
  • पूजा के बाद मंत्रों का जाप करें।
  • फिर भोग लगाकर पूजा संपन्न करें और सभी को प्रसाद बांट दें।

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