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September 26, 2024

हिमाचल : इस मंदिर में शनिदेव के 12 खंभों से पूरी होती हैं भक्तों की मुरादें

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कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित बैजनाथ का महाकाल मंदिर शनिदेव के आशीर्वाद और चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर की अनूठी विशेषता इसके 12 खंभे हैं, जिन्हें भक्त कच्चा धागा बांधकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए पूजा करते हैं। मान्यता है कि इन खंभों पर कच्चा धागा बांधने से शनिदेव का प्रकोप समाप्त हो जाता है और ग्रहों की टेढ़ी चाल से मुक्ति मिलती है। यह मंदिर शनिदेव की शक्ति और उनकी विशेष कृपा के कारण विशेष धार्मिक महत्व रखता है। यह भी पढ़ें : हिमाचल : सरकार जल्द करवाएगी प्री-नर्सरी टीचर्स की भर्ती, जानिए कहां पहुंची फाइल

मुराद पूरी करने वाले खंभे

महाकाल मंदिर में लगे खंभों को साधारण खंभे नहीं माना जाता है। ये खंभे भक्तों की मुरादें पूरी करने वाले और चमत्कार दिखाने वाले माने जाते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी राशि के खंभे पर कच्चा धागा बांधते हैं और शनिदेव से अपनी मनोकामना पूर्ण करने का वरदान मांगते हैं। मान्यता है कि शनिदेव अपनी कृपा से भक्तों को कभी निराश नहीं करते और उन्हें जीवन की हर कठिनाई से मुक्त करते हैं।

शनिदेव का आशीर्वाद और ग्रह दोष से मुक्ति

शनिदेव को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है, जो व्यक्ति के कर्मों के आधार पर उन्हें फल प्रदान करते हैं। बैजनाथ के इस महाकाल मंदिर में शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है, जिससे शनि के प्रकोप को कम किया जा सकता है। यह भी पढ़ें: हिमाचल : सस्ते राशन में कोई कटौती नहीं, इन परिवारों को मिलेगा पूरा राशन यहां विशेष रूप से उन लोगों के लिए यह पूजा महत्वपूर्ण मानी जाती है, जो साढ़ेसाती, ढैय्या या अष्टम शनि के प्रभाव में होते हैं। मान्यता है कि शनिदेव के मंदिर में सात सप्ताह तक सरसों का तेल चढ़ाने और पूजा करने से ग्रहों की टेढ़ी चाल से मुक्ति मिलती है।

शनि-शिव का अटूट रिश्ता

महाकाल मंदिर में शनिदेव की पूजा का एक गहरा धार्मिक कारण है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शनिदेव ने इसी स्थान पर महाकाल शिव की तपस्या की थी और उनसे शक्तिशाली होने का वरदान प्राप्त किया था। महाकाल शिव ने शनिदेव को शक्ति और पहचान प्रदान की, जिसके कारण शनिदेव के इस मंदिर को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां पर शिव और शनिदेव की एक साथ पूजा की जाती है, जिससे भक्तों को दोनों देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह भी पढ़ें : हिमाचल का एक और युवक झील में डूबा, साथियों के साथ गया था पिकनिक मनाने

हर राशि का खंभा

मंदिर में शनिदेव के 12 खंभे हर राशि का प्रतीक हैं। भक्त अपनी राशि के अनुसार खंभे पर कच्चा धागा बांधकर प्रार्थना करते हैं, ताकि उनके जीवन की समस्याओं का समाधान हो सके। चाहे साढ़ेसाती हो, अष्टम शनि का संकट हो या फिर ग्रहों की विपरीत स्थिति, भक्तों का विश्वास है कि इस मंदिर में शनिदेव की पूजा करने से सभी प्रकार की समस्याएं समाप्त हो जाती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

शनिदेव का वरदान और शिवभक्तों की आस्था

मंदिर में आने वाले भक्त महाकाल शिव और शनिदेव की एक साथ पूजा करते हैं। सरसों का तेल और कच्चा धागा चढ़ाने की परंपरा यहां विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। भक्त मानते हैं कि शनिदेव पर सरसों का तेल चढ़ाने से उनके कष्टों का निवारण होता है और वे शनि के प्रकोप से बच जाते हैं। इसके साथ ही, शिव से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है, जो भक्तों के जीवन को सुखमय बनाता है। यह भी पढ़ें: हिमाचल में एक साथ गायब हुई मां-बेटी, खोज में दर-दर भटक रहा परिवार

शनिदेव की तपस्या और शक्ति प्राप्ति की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, शनिदेव सूर्य और छाया के पुत्र हैं, लेकिन उनका रंग काला होने के कारण सूर्यदेव को उन पर संदेह हो गया। सूर्यदेव ने छाया और शनिदेव का त्याग कर दिया। शनिदेव ने इस अपमान को सहन किया और महाकाल मंदिर में आकर शिव की तपस्या की। उनकी घनघोर तपस्या ने शिव को प्रसन्न किया, और महाकाल ने उन्हें शक्तिशाली बनने का वरदान दिया। इसके बाद से शनिदेव सभी देवताओं में सबसे शक्तिशाली माने गए, और उन्हें शिव का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

बैजनाथ का महाकाल मंदिर और पर्यटन

यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि बैजनाथ के पर्यटन में भी इसका विशेष स्थान है। बैजनाथ में स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु महाकाल मंदिर में भी आकर शनिदेव का आशीर्वाद लेते हैं। मंदिर परिसर में पुरानी मूर्तियां और ऐतिहासिक वास्तुकला यहां के सांस्कृतिक महत्व को भी दर्शाती हैं। विशेष अवसरों और धार्मिक उत्सवों के दौरान यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है, और यह मंदिर दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।

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