शिमला। देवभूमि हिमाचल में जगह-जगह मां के जागरण किए जा रहे हैं। मंदिरों और शक्तिपीठों में भक्तों के तांता लगा हुआ है। वैसे तो सालभर देवभूमि के शक्तिपीठों में भक्तों की भीड़ लग रहती है। मगर नवरात्रों में अलग ही धूम देखने को मिलती है।
मां कालरात्रि का स्वरूप
आज नवरात्रि का सातवां दिन है। आज के दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है। कालरात्रि को सभी प्रकार के भय और नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। इनका रूप बहुत ही भयंकर होता है, लेकिन ये भक्तों के लिए शुभ फलदायी होती हैं, इसलिए इन्हें "शुभंकरी" भी कहा जाता है।
इस दिन साधक अपनी साधना में ध्यान, मन, और आत्मा को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं, ताकि जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिल सके। सप्तमी का यह दिन विशेष रूप से आत्मबल और साहस को बढ़ाने का प्रतीक माना जाता है।
मां कालरात्रि की पूजा विधि-
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। इस दिन साधक पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से मां की आराधना करते हैं। कालरात्रि की पूजा विधि इस प्रकार है-
- स्नान और शुद्धिकरण- प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को शुद्ध जल से साफ करें।
- मां की प्रतिमा या चित्र स्थापना- पूजा स्थान पर माँ कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- घी का दीपक जलाएं- देवी की पूजा के दौरान घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
- पूजा सामग्री- फूल, धूप, अक्षत (चावल), गंध, चंदन, रोली और नैवेद्य (भोग) अर्पित करें।
- मंत्र जप- मां कालरात्रि का ध्यान करते हुए उनके बीज मंत्र का जाप करें। उनके मंत्र हैं- "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ कालरात्र्यै नमः"
- भोग- देवी को गुड़ या हलवे का भोग अर्पित करें, क्योंकि इसे उन्हें प्रिय माना जाता है।
- आरती- अंत में मांं की आरती करें और प्रसाद सभी भक्तों में वितरित करें।
मां कालरात्रि की कथा
मां कालरात्रि के बारे में एक प्राचीन कथा प्रचलित है। कहते हैं कि जब दानव रक्तबीज ने देवताओं को परेशान करना शुरू किया, तब मां दुर्गा ने कालरात्रि के रूप में अवतार लिया। रक्तबीज के पास यह वरदान था कि जब भी उसकी एक बूंद रक्त धरती पर गिरती, तो उससे एक और रक्तबीज जन्म लेता।
मां कालरात्रि ने अपनी शक्ति से इस दानव का अंत किया। उन्होंने अपने विकराल रूप से रक्तबीज के रक्त को पी लिया और उसे मार डाला, जिससे उसका कोई और पुनर्जन्म नहीं हो सका।
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मां कालरात्रि का महत्व
मां कालरात्रि को सभी बुरी शक्तियों, डर और नकारात्मकता का नाश करने वाली देवी माना जाता है। इनके पूजन से जीवन में आने वाले सभी भय, बुरी शक्तियों और विपत्तियों से मुक्ति मिलती है। भक्तों को यह विश्वास होता है कि मां कालरात्रि की कृपा से सभी दु:ख, क्लेश और समस्याओं का अंत हो जाता है। इनका विकराल रूप बुराई का नाश करता है, लेकिन यह रूप केवल दुष्टों के लिए भयावह होता है। मां कालरात्रि भक्तों के लिए सदा ही शुभ फल देने वाली और कल्याणकारी होती हैं।
मां कालरात्रि की पूजा विशेष रूप से साहस, आत्मविश्वास और शक्ति के लिए की जाती है। जीवन में आने वाले हर प्रकार के संकट और बुराई को दूर करने के लिए इनकी आराधना अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है।