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September 25, 2024

हिमाचल के इस मंदिर में है 5000 साल पुराना अग्निकुंड, कम-ज्यादा नहीं होती राख

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मंडी। हिमाचल का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में सबसे पहला ख्याल आता है पहाड़ और खूबसूरत वादियां। मगर बहुत सारे लोग यहां सिर्फ पहाड़ और वादियों का दीदार करने नहीं आते हैं। लोगों की हिमाचल में स्थापित मंदिरों से भी गहरी आस्था जुड़ी हुई है। इसी के चलते देवभूमि के मंदिरों में सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है।

हिमाचल का अनोखा मंदिर

ये तो आप सब जानते हैं कि हिमाचल के हर मंदिर के पीछे एक अनोखी कहानी छिपी हुई है। कई मंदिर तो आजतक रहस्यमयी बने हुए हैं। हिमाचल में कई ऐसे मंदिर हैं- जो आज भी विज्ञान के लिए पहेली बने हुए हैं। यह भी पढ़ें: हिमाचल में 8वीं पास को मिलेगी नौकरी, भरे जाएंगे 1000 पद, जानें पूरी डिटेल

क्या आप गए हैं ममलेश्वर मंदिर?

आज अपने इस लेख में हम आपको ऐसे ही एक अद्भुत मंदिर के बारे में बताएंगे। जिसके बारे में जानकर आप यहां जरूर जाना चाहेंगे। हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश प्राचीन मंदिर ममलेश्वर महादेव मंदिर की।

बोले बाबा का प्राचीन मंदिर

ममलेश्वर महादेव मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के करसोग में स्थित एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और अपनी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है। करसोग घाटी का यह मंदिर प्राकृतिक सुंदरता के बीच स्थित है और श्रद्धालुओं के बीच काफी लोकप्रिय है। यह भी पढ़ें: हिमाचल : 14 वर्षीय बहन के साथ दो साल से नीचता करता रहा भाई, स्कूल में बिगड़ी तबीयत

5000 साल से जल रहा अग्निकुंड

मान्यता है कि इस मंदिर का संबंध महाभारत काल से है। इस मंदिर में पांडवों द्वारा पूजा की जाती थी। कहा जाता है कि भीम ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। पांच हजार साल पहले पांडवों ने यहां एक अग्निकुंड जलाया था- जो कि आज भी जल रहा है।

अनोखा है अग्निकुंड का रहस्य

ममलेश्वर महादेव मंदिर में मौजूद अग्निकुंड हमेशा जलता रहता है। हैरान कर देने वाली बात ये है कि इस अग्निकुंड से निकलने वाली राख कभी कम या ज्यादा नहीं होती है। लोगों की इस मंदिर पर अटूट आस्था है। यह भी पढ़ें: हिमाचल : बच्चा गोद देने के नाम पर ठगी, एडवांस में लिए पैसे और फिर मुकरा

लोगों की लगती है भीड़

कहा जाता है कि सावन के महीने में यहां पार्वती और भगवान शिव कमल पर बैठकर मंदिर में मौजूद रहते हैं। महाशिवरात्रि और श्रावण मास में इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं।

मंदिर से जुड़ी कथा

ममलेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा महाभारत काल की है। इस कथा के अनुसार, जब पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान हिमालय क्षेत्र में घूम रहे थे, तो वे करसोग घाटी में भी आए थे। माना जाता है कि भीम ने यहां आकर भगवान शिव की उपासना की और शिवलिंग की स्थापना की। इस शिवलिंग की स्थापना भीम द्वारा की गई होने के कारण ही इसे ममलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। यह भी पढ़ें: हिमाचल के 11 हजार विद्यार्थियों को नहीं मिली स्कॉलरशिप, जानें क्या रही वजह
कथा का विवरण इस प्रकार है-
करसोग घाटी के लोगों को एक विशाल राक्षस "मम" का आतंक झेलना पड़ रहा था। वह राक्षस लोगों को परेशान करता और उनसे बलि के रूप में जीवित मनुष्यों की मांग करता था। लोगों ने भगवान शिव से इस राक्षस से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। कहा जाता है कि पांडवों के आगमन के समय भी यही समस्या बनी हुई थी। भीम ने राक्षस के सामने बलि देने का निर्णय लिया और स्वयं बलि के रूप में राक्षस के समक्ष गए। अपनी शक्ति और बुद्धि से भीम ने राक्षस मम को पराजित किया और उसे मार दिया। इसके बाद भीम ने भगवान शिव की कृपा के रूप में इस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की, जिसे आज ममलेश्वर महादेव के नाम से पूजा जाता है। इस कथा के साथ ही यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। हर साल यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। पेज पर वापस जाने के लिए यहां क्लिक करें
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