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December 2, 2025
हिमाचल के एक और बड़े मंदिर के कपाट बंद, अब 134 दिन बाद खुलेंगे- जानें खास परंपरा
अब 134 दिन बाद बैसाखी पर ही खुलेंगे द्वार
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चंबा। देवभूमि हिमाचल की ऊंची-ऊंची चोटियों पर बसे मंदिर केवल आस्था के केंद्र नहीं, बल्कि सदियों पुरानी परंपरा और रहस्यमयी मान्यताओं के संरक्षक भी हैं। ऐसी ही दिव्यता और परंपरा से भरा हुआ है- चंबा जिले भरमौर में स्थित भगवान कार्तिक स्वामी (केलंग वजीर) का मंदिर, जिसके कपाट सर्दियों के लिए विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए हैं। अब यह पवित्र धाम अगले वर्ष बैसाखी यानी 134 दिन के बाद ही खोला जाएगा।
भरमौर के पुजारी स्वामी भुवनेश्वर शर्मा ने सैकड़ों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में मंत्रोच्चारण और भजनों के बीच मंदिर के कपाट बंद किए। भगवान कार्तिकेय भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र का यह मंदिर कुगती गांव से लगभग 5 किमी की कठिन पैदल चढ़ाई पर स्थित है, जहां हर साल देशभर से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। बता दें कि मणिमहेश यात्रा के दौरान भी यहां हजारों भक्त उमड़ते हैं।
मंदिर की सबसे खास और प्राचीन परंपरा है कलश स्थापना। कपाट बंद करने से पहले मंदिर के अंदर एक जल से भरा कलश रख दिया जाता है। जब बैसाखी पर कपाट खोले जाते हैं, तब-
कई पंडितों का मानना है कि पूरे देश के पहाड़ी मंदिरों में सर्दियों के दौरान कपाट बंद करने की परंपरा प्राकृतिक कारणों से भी जुड़ी है। सर्दियों में यहां भारी बर्फबारी होती है, जिससे पुजारियों का मंदिर तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। इसलिए 3–4 महीनों के लिए कपाट बंद कर दिए जाते हैं, ताकि पूजा-पाठ की पवित्रता बनी रहे और आने वाले महीनों में मंदिर सुरक्षित रहे।
कार्तिक स्वामी मंदिर से कुछ और ऊंचाई पर भगवान कार्तिकेय की बहन माता मराली का मंदिर भी है, जहां भक्त विशेष रूप से माथा टेकने जाते हैं। यह पूरा क्षेत्र देव संस्कृति से भरा है और ऊंची पहाड़ियों पर बसे ये मंदिर मानो आकाश की गोद में विराजमान हों।
परंपरा के अनुसार, 14 अप्रैल (बैसाखी) को मंदिर के कपाट फिर भक्तों के लिए खोले जाएंगे। तब तक देवता शीतकालीन विश्राम में रहेंगे और स्थानीय मान्यताओं के अनुसार पूरे क्षेत्र पर दिव्य संरक्षण बनाए रखेंगे। बता दें कि सर्दियों के शुरूआत में ही हिमाचल के कई बड़े मंदिरों को बंद कर दिया जाता है। हाल ही में हिमानी चामुंडा माता के मंदिर यात्रा को कुछ महीनों के लिए बंद कर दिया गया है। ताकि बर्फबारी के समय पर्यटक गलती से मंदिर ट्रैक पर ना निकल जाएं।