शिमला। देवभूमि हिमाचल में नवरात्रि के दौरान अलग ही धूम देखने को मिलती है। राज्य के शक्तिपीठों में भक्तों का तांता लगा हुआ है।
आज नवरात्रि का आठवां दिन है। नवरात्रि के आठवें दिन को अष्टमी या महाअष्टमी के नाम से जाना जाता है।
यह दिन नवरात्रि का एक महत्वपूर्ण और पवित्र दिन होता है। इस दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। महागौरी को शांति, पवित्रता और करुणा का प्रतीक माना जाता है।
मां महागौरी का स्वरूप
माना जाता है कि मां महागौरी ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्राप्त किया था, जिससे उनका रंग अत्यंत गोरा हो गया। उनके इस स्वरूप की पूजा से साधक को शुद्धता, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
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महाअष्टमी के दिन मां दुर्गा के प्रति आस्था और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए व्रत और पूजा की जाती है। इसे कई लोग शक्ति की प्राप्ति और बुराई पर विजय का प्रतीक भी मानते हैं। अष्टमी के दिन कई स्थानों पर कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है।
इस पूजा में नौ कन्याओं को मां दुर्गा के नौ रूपों के प्रतीक के रूप में आमंत्रित किया जाता है और उनका पूजन, आरती और भोजन कराया जाता है। इन कन्याओं को भोजन में हलवा, पूड़ी और चने परोसे जाते हैं और उपहार व दक्षिणा दी जाती है। कुछ स्थानों पर कन्या पूजन नवमी के दिन भी किया जाता है, जिसे कन्या नवमी कहा जाता है।
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महाअष्टमी व्रत और पूजा विधि-
- प्रातः स्नान के बाद व्रतधारी स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा करते हैं।
- पूजा के दौरान मां महागौरी की प्रतिमा या तस्वीर पर जल, फूल, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित किया जाता है।
- दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है।
- कन्या पूजन और हवन का आयोजन किया जाता है।
- अष्टमी के दिन विशेष रूप से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए दुर्गा सहस्रनाम का जाप भी किया जाता है।
मां महागौरी की कथा
कथाओं के अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनके तप से उनका शरीर काला हो गया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें स्वीकार किया और उनके शरीर को गंगाजल से धोकर साफ किया, जिससे उनका रंग अत्यंत गोरा और चमकदार हो गया। इस रूप के कारण उन्हें "महागौरी" कहा गया। महागौरी का यह रूप तप, समर्पण और शुद्धता का प्रतीक है।
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मां महागौरी का महत्व
पवित्रता और शांति- महागौरी की पूजा से मानसिक शांति, शुद्धता और संतुलन की प्राप्ति होती है। उनके आशीर्वाद से साधक के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति मिलती है।
कष्टों का निवारण- मां महागौरी को सभी प्रकार के दुखों और परेशानियों को दूर करने वाली देवी माना जाता है। उनके पूजन से भक्त के जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का नाश होता है।
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विवाह और दांपत्य जीवन- जिन स्त्रियों को विवाह में समस्याएं आ रही हों या जिनका वैवाहिक जीवन कठिन हो, उन्हें मां महागौरी की विशेष पूजा करनी चाहिए। उनके आशीर्वाद से विवाह में आ रही समस्याएं समाप्त होती हैं और दांपत्य जीवन सुखमय होता है।