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October 2, 2024

शारदीय नवरात्रि- अब की बार पालकी में सवार होकर आई मां दुर्गा, माना जा रहा अशुभ

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शिमला। देवभूमि हिमाचल के शक्तिपीठों और अन्य मंदिरों में शारदीय नवरात्रि की धूम मची हुई है। शारदीय नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। आज शारदीय नवरात्रि शुरू हो गए हैं। इस बार नवरात्र में मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आई हैं, जिसे धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।

पालकी में आने का महत्व-

मान्यताओं के अनुसार, जब मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आती हैं, तो इसे शुभ नहीं माना जाता। शास्त्रों के अनुसार, यह संकेत होता है कि आने वाले समय में प्राकृतिक आपदाएं, सामाजिक अशांति और कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। यह भी पढ़ें: कंगना ने लिखा- देश के पिता नहीं, लाल होते हैं: बयान से मचा बवाल पालकी पर सवार होकर मां दुर्गा का आना विश्व में उथल-पुथल का सूचक हो सकता है। ऐसे में भक्तों को माता की आराधना विशेष विधि-विधान से करनी चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से बचा जा सके और माता की कृपा बनी रहे।

मां दुर्गा की अन्य सवारियां-

मां दुर्गा हर नवरात्रि में अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं, जिनका भी अलग-अलग महत्व होता है-
  • हाथी पर आने का मतलब समृद्धि और खुशहाली से है।
  • घोड़े पर आना सत्ता परिवर्तन और सामाजिक उथल-पुथल का सूचक होता है।
  • नाव पर सवार होकर आना शुभ और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
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क्या है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त?

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं। अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ आज सुबह 12:19 पर होगा और इसका समापन 4 अक्टूबर यानी कल सुबह 2:58 पर होगा।
  • कलश स्थापना का पहला शुभ मुहूर्त आज सुबह 6:19 से 7:23 तक है।
  • दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 11:40 से 12:33 तक रहेगा।
भक्त इन दोनों समय में अपने घर में कलश स्थापना कर सकते हैं और नवरात्रि का शुभारंभ विधि-विधान से कर सकते हैं। यह भी पढ़ें : शिमला से डगशाई जेल तक -10 बार शिमला आए थे महात्मा गांधी, यहां जानें अनसुने किस्से

पहला नवरात्रि है खास

पहला नवरात्रि विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन शुभारंभ के लिए कलश स्थापना की जाती है, जिसे घटस्थापना भी कहा जाता है। यह पूजा विशेष नियमों और विधियों के साथ की जाती है ताकि माता दुर्गा की कृपा प्राप्त हो। पहले नवरात्रि का दिन मां दुर्गा की शक्ति और सृष्टि के प्रथम स्वरूप की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन की पूजा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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