#धर्म

October 30, 2024

हैप्पी दिवाली- यहां जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और कथा

शेयर करें:

शिमला। देवभूमि हिमाचल में दिवाली की धूमधाम से तैयारी की जा रही है। लोग अपने घरों को रोशनी से सजाने में व्यस्त हैं, वहीं बाजारों में भी भीड़ बढ़ गई है। मिठाई, दीये और पटाखों की खरीददारी जोरों पर है। हिमाचल में लोग स्थानीय मंदिरों में जाकर देवी-देवताओं की पूजा करते हैं और परिवार के साथ मिलकर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।

हिमाचल में दिवाली की धूम

हिमाचल की संस्कृति में दिवाली का विशेष स्थान है- जो खुशी और समृद्धि का प्रतीक है। हिमाचल प्रदेश में दिवाली का त्यौहार बहुत ही उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। खास बात यह है कि लोग एक दूसरे के घरों में जाकर मिठाई बांटते हैं और साथ मिलकर त्योहार की खुशियां मनाते हैं। यह भी पढ़ें हिमाचल : दादा को बताकर बावड़ी से पानी लाने गया भार्गव, नहीं लौटा घर वापस
दिवाली का यह त्योहार हिमाचल में बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है, जो पूरे राज्य को एक खुशनुमा और भक्ति-भाव से ओतप्रोत माहौल में रंग देता है।

दिवाली की पूजा का शुभ मुहूर्त?

इस बार दिवाली पर अमावस्या आ रही है। अमावस्या तिथि आज दोपहर 3 बजकर 52 बजे से शुरू होगी और अगले दिन यानी 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 बजे समाप्त होगी। लक्ष्मी पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त आज शाम 5 बजकर 36 बजे से 6 बजकर 16 बजे तक रहेगा, जो प्रामाणिक समय (प्रदोष काल) में आता है। इस समय देवी लक्ष्मी की पूजा करने से धन-धान्य और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने की मान्यता है। यह भी पढ़ें : हिमाचल के श्रापित गांव में नहीं मनाई जाती दिवाली, जानिए क्या है वजह

दिवाली की पूजा विधि-

दिवाली की पूजा विधि में लक्ष्मी माता, श्री गणेश की पूजा और घर को पवित्र करने की प्रक्रिया शामिल होती है।
  • घर की अच्छी तरह से सफाई करके घर के मुख्य द्वार को रंगोली, दीपक और फूलों से सजाएं। ऐसा करना समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है।
  • पूजा स्थल को साफ करके उसे फूलों और दीपों से सजाएं। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर गणेश जी और लक्ष्मी जी की मूर्तियां रखें।
  • घर के सभी कमरों में दीप जलाएं- ऐसा करना अंधकार को दूर करने और जीवन में उजाला लाने का प्रतीक है।
  • पूजा की शुरुआत में गणेश जी और लक्ष्मी जी को जल, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (मिठाई) और फलों का भोग लगाएं। फिर लक्ष्मी जी की आरती करें और उनके साथ गणेश जी की भी आरती गाएं। इस दौरान परिवार के सभी सदस्य उपस्थित रहना शुभ माना जाता है।
  • पूजा के बाद दीपावली के प्रसाद में मिठाई और अन्य पकवानों का भोग लगाया जाता है। पूजा समाप्ति पर सभी में प्रसाद का वितरण होता है। साथ ही पटाखे जलाकर खुशियां मनाई जाती हैं।
यह भी पढ़ें हिमाचल में दो पैराग्लाइडर्स ने गंवाई जा*न, ये बताया जा रहा कारण

दिवाली से जुड़ी कथाएं-

रामायण की कथा- दिवाली के पर्व का मुख्य संबंध भगवान राम के वनवास समाप्ति और अयोध्या आगमन से है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान राम, सीता, और लक्ष्मण 14 वर्ष के वनवास के बाद रावण का वध करके अयोध्या लौटे, तो अयोध्यावासियों ने खुशी के प्रतीक के रूप में पूरे नगर में दीप जलाए और उल्लास के साथ उनका स्वागत किया। तब से, दिवाली को अच्छाई की बुराई पर विजय का पर्व माना जाता है। समुद्र मंथन की कथा- मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक अमावस्या के दिन लक्ष्मी जी का अवतरण हुआ था। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है, ताकि धन, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त हो सके। यह भी पढ़ें हिमाचल : बेटियों ने देवता को चढ़ाया 11 लाख का सोना, देखते रह गए लोग महाभारत की कथा- दिवाली का संबंध महाभारत से भी है। जब पांचों पांडव 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास समाप्त करके अपने राज्य लौटे, तो हस्तिनापुरवासियों ने खुशी में दीप जलाकर उनका स्वागत किया। नरकासुर वध- एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था, जिससे लोगों को उसके आतंक से मुक्ति मिली। इस घटना की स्मृति में दीप जलाकर दिवाली का पर्व मनाया जाता है।

पेज पर वापस जाने के लिए यहां क्लिक करें

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख