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October 28, 2024

धनतेरस पर 100 साल बाद बन रहा महासंयोग, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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शिमला। देवभूमि हिमाचल में चारों ओर दिवाली की धूम मची हुई है। हिंदू धर्म में हर त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली की शुरुआत धनतेरस से होती है। धनतेरस के दिन सोना, चांदी, कांसा, पीतल या तांबा से बनी चीजें खरीदना बहुत शुभ होता है। आज अपने इस लेख में हम आपको बताएंगे कि इस साल धनतेरस कब है और धनतेरस क्यों मनाया जाता है। साथ ही धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है। यह भी पढ़ें : हिमाचल : बड़ी कंपनियों की फ्रैंचाइजी दिलवाने के दिखाए सपने, एडवांस में लिया 12 लाख

100 साल बाद बन रहा ऐसा महासंयोग

इस साल धनतेरस पर 100 साल बाद त्रिग्रही योग यानी त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग, वैधृति योग और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है।

क्यों मनाया जाता है धनतेरस?

हिंदू धर्म में धनतेरस के त्योहार का बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान धनवंत्रि के साथ धन की देवी माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। धनतेरस का एक और विशेष महत्व स्वास्थ्य से भी जुड़ा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे, इसलिए धनतेरस स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्रार्थना का दिन भी माना जाता है। यह भी पढ़ें : हिमाचल : बीड़ी सुलगाकर युवक ठीक कर रहा था गाड़ी, हुआ धमाका

कब है धनतेरस?

आपको बता दें कि धनतेरस का त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर यानी आज सुबह 10 बजकर 31 मिनट पर होगी। जबकि, इस तिथि का समापन 31 अक्टूबर, वीरवार को दोपहर एक बजकर 15 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, धनतेरस शास्त्रोक्त रूप से 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। दोनों ही दिन त्रिपुष्कर योग का प्रभाव बना रहेगा।

क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?

इस बार धनतेरस के दिन खरीदारी करने के लिए तीन शुभ मुहूर्त हैं।
  • पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 31 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा।
  • प्रदोष काल मुहूर्त शाम 5 बजकर 37 मिनट से लेकर 8 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
  • वृषभ काल मुहूर्त शाम 6 बजकर 30 मिनट से लेकर 8 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।
  • सोना-चांदी खरीदारी का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 31 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
  • सोना-चांदी खरीदारी का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 36 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 32 मिनट तक रहेगा।
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धनतेरस पूजा विधि

  • घर के मुख्य दरवाजे पर रंगोली बनाई जाती है और आम के पत्तों का तोरण लगाया जाता है। माना जाता है कि इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में प्रवेश करती हैं।
  • पूजा के लिए भगवान धन्वंतरि, भगवान कुबेर, लक्ष्मी माता और कुबेर की प्रतिमाएं रखी जाती हैं।
  • सूर्यास्त के बाद दीप जलाने की परंपरा होती है। घर के हर कोने में दीप जलाकर अंधकार को दूर किया जाता है और सुख-समृद्धि का स्वागत किया जाता है।
  • पूजा में चावल, फूल, गंध, फल, मिठाई, दीप, अक्षत, और धूप की आवश्यकता होती है। कुबेर और लक्ष्मी जी को चावल, फूल और मिठाई चढ़ाई जाती है।
  • कुबेर देव को प्रसन्न करने के लिए भी कुबेर मंत्र का जाप किया जाता है।
  • नई वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है। खासकर चांदी, सोना या कोई बर्तन। यह समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है।
  • धनिया और झाड़ू खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है।
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धनतेरस का महत्व

मान्यता है कि इस दिन की गई खरीदारी घर में बरकत और सौभाग्य लाती है। धनतेरस का एक प्रमुख पहलू स्वास्थ्य है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्यता और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन दीप जलाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। कुबेर की पूजा करने से धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और परिवार में आर्थिक समृद्धि का संचार होता है।

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