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October 4, 2024

तीसरे नवरात्रि पर मां चंद्रघंटा की होती है पूजा, एक क्लिक में जानें विधि और महत्व

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शिमला। हिमाचल प्रदेश के शक्तिपीठों में सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है। मगर नवरात्र के दौरान इन शक्तिपीठों में विशेष रूप से भक्तों की संख्या में भारी वृद्धि होती है। हिमाचल प्रदेश में स्थित ज्वालामुखी, चामुंडा देवी, नैना देवी, ब्रजेश्वरी देवी और चिंतपूर्णी जैसे प्रसिद्ध शक्तिपीठ नवरात्र के समय लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनते हैं।

शक्तिपीठों में लगा भक्तों का तांता

नवरात्र के नौ दिनों में यहां भक्त बड़ी श्रद्धा और भक्ति भाव से देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना करते हैं। इन दिनों मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है और कई धार्मिक अनुष्ठान, हवन, जागरण और भंडारे आयोजित किए जाते हैं। लोग मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए व्रत रखते हैं और लंबी दूरी तय कर पैदल यात्रा करते हुए मंदिर पहुंचते हैं। यह भी पढ़ें : आज हिमाचल आएंगे JP नड्डा, केंद्रीय मंत्री बनने के बाद पहली बार आ रहे घर

मां चंद्रघंटा की स्वरूप

आज नवरात्रि का तीसरा दिन है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। देवी चंद्रघंटा मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं, जिन्हें उनके माथे पर चंद्रमा की अर्धचंद्राकार आकृति के कारण "चंद्रघंटा" कहा जाता है।

शक्ति और साहस का प्रतीक

मां चंद्रघंटा को शक्ति और साहस का प्रतीक है। भक्त इस दिन मां चंद्रघंटा की आराधना कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति और भय से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।को पूजा में सफेद फूल, दूध और मिठाई चढ़ाई जाती हैं। यह दिन शांति और सौम्यता का प्रतीक माना जाता है। यह भी पढ़ें : हिमाचल : सीमेंट से लदा ट्रक खाई में लुढ़का, चालक ने मौके पर तोड़ा दम

क्या है पूजा विधि?

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा विधि इस प्रकार होती है- स्नान एवं ध्यान- प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान को साफ करें और मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठकर ध्यान करें। मां चंद्रघंटा का आह्वान- मां चंद्रघंटा का ध्यान करते हुए उनके मस्तक पर अर्धचंद्र का स्मरण करें। "ॐ चंद्रघंटायै नमः" मंत्र का जाप करते हुए उनका आह्वान करें। पूजा सामग्री- पूजा में शुद्ध जल, रोली, चंदन, अक्षत (चावल), पुष्प, धूप, दीप, फल, नारियल, और मिठाई चढ़ाएं। मां चंद्रघंटा को विशेष रूप से सफेद रंग के फूल और दूध से बने प्रसाद प्रिय हैं। यह भी पढ़ें : हिमाचल में 10वीं पास के लिए नौकरी, 22 हजार तक मिलेगा वेतन; जानें पूरी डिटेल पंचोपचार पूजा- मां चंद्रघंटा को पंचोपचार विधि से पूजन करें। सबसे पहले उन्हें जल से स्नान कराएं, फिर अक्षत, चंदन और फूल अर्पित करें। धूप और दीप दिखाएं, और अंत में नैवेद्य अर्पित करें। मंत्र जाप- पूजा के दौरान मां चंद्रघंटा के निम्न मंत्र का जाप करें-"पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्र केरी। चन्द्रघंटेति च विन्याना देवी दानवघातिनी॥" आरती और प्रसाद वितरण- पूजा के अंत में मां चंद्रघंटा की आरती करें और प्रसाद वितरण करें। आरती के बाद घर के सभी सदस्यों को तिलक लगाएं और प्रसाद ग्रहण करें। यह भी पढ़ें : हिमाचल की कुसुम ने 200 मीटर रेस में जीता गोल्ड, फेफड़ों की बीमारी को दी मात

मां चंद्रघंटा की कथा

मां चंद्रघंटा का संबंध महिषासुर के वध से जुड़ी पौराणिक कथा से है। जब राक्षस महिषासुर ने तीनों लोकों में उत्पात मचाना शुरू किया, तो देवताओं ने भगवान शिव से मदद की गुहार लगाई। भगवान शिव ने देवी पार्वती को युद्ध के लिए प्रोत्साहित किया, जिन्होंने चंद्रघंटा रूप धारण किया। उनका यह रूप अत्यंत वीर और शक्तिशाली था। उनके मस्तक पर अर्धचंद्राकार घंटा (चंद्र) सुशोभित था, इसीलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। मां चंद्रघंटा ने युद्ध में महिषासुर और अन्य राक्षसों का संहार किया। उनका रूप योद्धाओं की देवी का है, जो अपने भक्तों की सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों और बाधाओं से रक्षा करती हैं। देवी चंद्रघंटा के इस रूप की पूजा करने से भक्तों को साहस, आत्मविश्वास और अपार शक्ति प्राप्त होती है। साथ ही, उनके आशीर्वाद से जीवन में शांति और सद्भाव की प्राप्ति होती है। मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व मां चंद्रघंटा की पूजा का नवरात्रि में विशेष महत्व है। यह पूजा न केवल आध्यात्मिक जागृति का मार्ग प्रशस्त करती है, बल्कि भक्तों को साहस, शांति और संतुलन भी प्रदान करती है। मां चंद्रघंटा दुर्गा के तीसरे स्वरूप का प्रतिनिधित्व करती हैं और उनका यह रूप शक्ति और शांति का मिश्रण है। उनके पूजन का महत्व निम्नलिखित है-

शक्ति और साहस की प्राप्ति-

मां चंद्रघंटा का आह्वान करने से भक्तों को मानसिक और शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है। यह पूजा जीवन में आने वाली चुनौतियों और संघर्षों से लड़ने का साहस देती है।

शांति और समृद्धि- मां चंद्रघंटा का रूप शांत और सौम्य है, इसलिए उनकी पूजा से मानसिक शांति और धैर्य मिलता है। भक्तों के जीवन में संतुलन और सामंजस्य स्थापित होता है। यह भी पढ़ें : हिमाचल : स्कूल से घर आते ही खाया था जह*र, दो दिन बाद छोड़ गया दुनिया भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति- मां चंद्रघंटा की पूजा से सभी प्रकार के भय, बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। भक्तों को आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति मिलती है, जिससे वे जीवन की कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं। सकारात्मकता का संचार- उनके पूजन से मन में सकारात्मक ऊर्जा और सोच का संचार होता है। यह पूजा नकारात्मक भावनाओं और विचारों को समाप्त करती है और व्यक्ति को सृजनशील और उत्साही बनाती है। यह भी पढ़ें : HRTC बस की टक्कर ने उजाड़ दिया परिवार: तीन लोग थे बाइक पर सवार आध्यात्मिक उन्नति- मां चंद्रघंटा की पूजा भक्तों को ध्यान और साधना में गहराई प्रदान करती है। इससे आत्मिक शुद्धता और आध्यात्मिक उन्नति होती है, जिससे व्यक्ति जीवन के उच्च उद्देश्यों को समझने में सक्षम होता है। कर्म और धर्म का मार्ग- मां चंद्रघंटा की कृपा से व्यक्ति धर्म, सत्य और न्याय के मार्ग पर चलता है। वह अपने कर्तव्यों को निभाते हुए धर्म के पथ पर अग्रसर रहता है।
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