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August 13, 2024

हिमाचल के इस मंदिर में है चार मुख वाला शिवलिंग, पूजा करने से शांत होते हैं ग्रह

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ऊना। देवभूमि हिमाचल के मंदिरों में सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है। सावन मास के दौरान शिवालयों में सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ती है। ऐसे में प्रदेश के पुरातन शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए खास आयोजन किए जाते हैं। आज हम आपको हिमाचल के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे- जहां भगवान शिव चार मुख वाले शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं।

चार मुख वाला शिवलिंग

हम बात कर रहें हैं एतिहासिक चामुखा महादेव मंदिर की- जो कि हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला में स्थित है। यह मंदिर पांडवकालीन बताया जाता है। इस मंदिर से कई कथाएं और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। यह भी पढ़ें: नाले में मिली बाइक, 22 वर्षीय अभिषेक के बहने की आशंका- सर्च ऑपरेशन जारी

दुनिया में हैं ऐसे सिर्फ तीन मंदिर

आपको बता दें कि पूरी दुनिया में ऐसे सिर्फ तीन पुरातन शिव मंदिर हैं। जहां पर भगवान शिव चार मुख वाले शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। इन तीनों मंदिरों में सर्वोपरि-
  • नेपाल के काठमांडू स्थित पशुपति नाथ मंदिर।
  • हिमाचल प्रदेश के अंब से नादौन के मुख्य मार्ग पर ब्यास नदी के मुहाने और जिला कांगड़ा और हमीरपुर की सीमाओं पर कौलापुर गांव में स्थित पांडवकालीन तंत्र-मंत्र का प्रमुख केंद्र चामुक्खा।
  • जिला हमीरपुर और ऊना की सीमाओं पर अवस्थित सोलहसिंगी धार और पिपलु धार के बीच पनतेहड़ी गांव में पिपलु-बड़सर मार्ग पर पिपलु से 3 किलोमीटर दूर स्थित पांडवकालीन चामुखा महादेव।
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शिवलिंग का खुला है एक मुख

आज हम आपको ऊना के चामुखा मंदिर के बारे में बताएंगे। चामुखा महादेव मंदिर के गर्भ गृह में भगवान भोलेनाथ चारमुखी शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। जिसमें से तीन मुख बंद हैं और एक मुख पूर्व दिशा की ओर खुला हुआ है।

5500 साल से भी ज्यादा पुराना शिवलिंग

कहा जाता है कि यह मंदिर 5500 साल से भी ज्यादा पुराना है। मान्यता है कि मंदिर में स्थित चारमुखी शिवलिंग पांडव काल या उससे पहले से ही इसी जगह पर है। पांडव काल ने बनवास के दौरान इस शिवलिंग की पूजा-अर्चना की थी। [caption id="attachment_13694" align="alignnone" width="1200"]Chamukha Temple Chamukha Temple[/caption]

भगवान शिव ने दी थी भक्त को आवाज

कथाओं के अनुसार, चामुखा महादेव मंदिर के चारों कपाट सोने के बने हुए थे। मगर इन्हें चोरों ने चुरा लिया था। उस वक्त भगवान भोलेनाथ तपस्या में लीन थे। चोर कपाट चुरा कर पूर्व दिशा की ओर आगे बढ़ रहे थे। ऐसे में शिव ने उन्हें रोकने के लिए सोलह सिंगी धार पर अपने भक्त को आवाज दी थी। यह भी पढ़ें: शिमला के संजौली में गिर गई निर्माणाधीन टनल, एंट्री गेट पर हुआ लैंडस्लाइड हालांकि, तब तक चोर पहाड़ी उतर कर राजनीण के पास पहुंच गए हुए थे। इसी बीच अचानक उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि कपाट चोरी करके उन्होंने गलत काम किया है। इसी के चलते चोर एक नाले में कपाट छोड़कर भाग गए।

पूजा करने से शांत होते हैं ग्रह

मान्यता के अनुसार, चामुखा महादेव मंदिलर में स्थित शिवलिंग के पास और मंदिर के कपाटों के दोनों ओर शिवगण विराजमान है। इस मंदिर में आकर उनकी पूजा-अर्चना करने से गण्डमूल में जन्में किसी भी व्यक्ति के सारे ग्रह शांत होते हैं। इतना ही नहीं गण्डमूल के प्रकोप से भी छुटकारा मिलता है। [caption id="attachment_13695" align="alignnone" width="1200"]Chamukha Shivling Chamukha Shivling[/caption] इसके अलावा यहां रास्ते पर ककड़ सिंगी का बहुत पुराना पेड़ चामुखा महादेव मंदिर के पास ही है। मान्यता है कि यह पेड़़ भी चामुखा महादेव मंदिर जितना पुराना है। यह भी पढ़ें: एक साथ जली आठ चिताएं, पिता ने दी अपनी दो बेटियों और बेटे को मुखाग्नि

चारमुखी शिवलिंग की विशेषता

चारमुखी शिवलिंग की विशेषता है कि इसके चारों और चार-चार लिंग हैं। जिनमें प्रमुख हैं-
  • तलमेहडा स्थित घुनसर महादेव
  • राजनौण स्थित वनखण्डेश्वर महादेव
  • सुकनौण महादेव
  • कोट सिहाणा भ्याम्बि
  • बछरेटू महादेव

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