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January 3, 2025

हिमाचल में देवआस्था: 1.5 लाख लोग.. 100 करोड़ खर्चा... 40 साल बाद भुंडा महायज्ञ

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शिमला। देवभूमि हिमाचल के कण कण में देवताओं का वास है। यहां के लोगों में भी इन देवी देवताआंे में गहरी श्रद्धा है। जिसका उदाहरण इन दिनों राजधानी शिमला के रोहड़ू में शुरू हुए भुंडा महायज्ञ में देखने को मिल रहा है।

हिमाचल में महाकुंभ जैसा नजारा

महाकुंभ की ही तरह इस भुंडा महायज्ञ में भी लाखों की संख्या में लोगों के पहुंचने की उम्मीद है। शिमला के रोहड़ू की स्पैल घाटी के दलगांव में 40 साल बाद इस ऐतिहासिक भुंडा महायज्ञ का पिछले कल से आगाज हुआ है।

40 साल बाद हो रहा भुंडा महायज्ञ

1985 के बाद अब 2 जनवरी 2025 यानी 40 साल बाद आयोजित हो रहा यह भुंडा महायज्ञ 6 जनवरी तक चलेगा। इस भुंडा महायज्ञ में 100 करोड़ से भी अधिक के खर्च का अनुमान है।

1500 लोग 1.5 लाख भक्तों के रहने खाने की कर रहे व्यवस्था

बड़ी बात यह है कि रोहड़ू की स्पैल वैली के भमनाला, करालश, खोड़सू, दयारमोली, बश्टाड़ी, गावणा, बठारा, कुटाड़ा, खशकंडी, दलगांव और भ्रेटली गांवों में 1500 से अधिक लोग इस भुंडा महायज्ञ में आने वाले मेहमानों की खातिरदारी करेंगे। यह लोग अपने घरों में टेंट लगाकर इन लोगों के रहने खाने की व्यवस्था करेंगे। यह भी पढ़ें : हिमाचल : चलती कार से निकलने लगा धुआं, अंदर बैठा था ड्राइवर; मची चीख-पुकार

देवताओं के साथ तलवारें लहराते पहुंचे गुर

दलगांव में देवता बकरालू मंदिर में आयोजित हो रहे भूंडा महायज्ञ में पहले दिन स्पैल घाटी के तीन प्रमुख देवता बौद्रा महाराज, महेश्वर, और मोहरी पहुंच गए है। देवताओं के साथ हजारों की संख्या में उनके गुर और ग्रामीण हाथों में तलवारें और तेजधार हथियारों के साथ नाचते गाते और झूमते हुए पहुंचे हैं। इस दौरान बेहद मनमोहक देव मिलन की मुख्य परंपरा भी निभाई गई। यह भी पढ़ें: हिमाचल का SSB जवान पंचतत्व में विलीन, छोटी बेटी ने दी पिता को मुखाग्नि

स्थानीय लोगों ने ऐसे किया देवताओं का स्वागत

स्थानीय लोगों ने देव मिलन का अभिवादन जयकारे के साथ और सिटियां बजा कर किया। दलगांव में देवताओं के अलग-अलग खूंदों के लिए लगे शिविरों के बाहर अलाव जलाया गया। ठंड की परवाह किए बिना लोग तंबुओं के बाहर झूमते रहे। इसके अलावा कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात की गई है। यह भी पढ़ें : हिमाचल : पहले दो पोतियों और अब दादी ने त्यागे प्राण; बेटा-बहू घर से फरार

क्या है भुंडा महायज्ञ की मान्यता

माना जाता है कि भुडा महायज्ञ की शुरूआत भगवान परशुराम ने की थी। इस यज्ञ में भगवान परशुराम ने नरमुंडों की बलि दी थी। इसलिए इसे नरमेघ यज्ञ भी कहा जाता है। ये अनुष्ठान, पूर्ववर्ती बुशैहर रियासत के राजाओं की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। हिमाचल में कुल्लू के निरमंडए रामपुर बुशहरए रोहड़ू में भी इसे सदियों से मनाया जा रहा है। यह भी पढ़ें : हिमाचल : मां की 13वीं पर बेटी के हाथ लगा फोन, मैसेज और रिकॉर्डिंग से खुले बड़ा राज
भुंडा महायज्ञ में में रस्सी से दो पहाड़ी पार करेंगे सूरत राम
भुंडा महायज्ञ में सभी की नजरें विशेष किस्म की घास की रस्सी पर रहेगी। इस रस्सी को दो पहाड़ियों के बीच बांधा जाता है। इस रस्सी को देवता के गुर सूरत राम पार करेंगे। वह इस रस्सी से मौत की घाटी पार करेंगे। वह दो पहाड़ियों के बीच लगाई जाने वाली रस्सी पर एक कोने से दूसरे कोने में जाएंगे। इसे देखने के लिए सबसे ज्यादा भीड़ उमड़ेगी। यह भी पढ़ें : हिमाचल : जेब में चिट्टा लिए घूम रहा था युवक, बीच रास्ते में हुआ गिरफ्तार

क्या बोले सूरत राम

इसे लेकर सूरत राम कहते हैं कि वह भाग्यशाली हैं, जो उन्हें यह मौका मिला है। वह बताते हैं कि इस रस्सी को नाग का प्रतीक माना जाता है। यह प्रदर्शन भुंडा महायज्ञ का अहम हिस्सा है। यह यज्ञ रामायण महाभारत काल मे नरमेघ से का स्वरूप माना जाता है। यह भी पढ़ें : हिमाचल में चुना जाएगा नया BJP अध्यक्ष: 9 नेता कर रहे लॉबिंग, जयराम ठाकुर को बड़ी जिम्मेदारी

भुंडा महायज्ञ में नहीं पहुंच पाए सीएम सुक्खू

दो जनवरी से शुरू हुए इस भुंडा महायज्ञ में आज दूसरे दिन शुक्रवार को सीएम सुक्खू को भी इस महायज्ञ में शामिल होना था। लेकिन सीएम सुक्खू इस भुंडा महायज्ञ में शामिल नहीं हो पाए। खराब मौसम के चलते ही सीएम सुक्खू का हेलिकाप्टर उड़ान नहीं भर पाा। जिसके चलते सीएम सुक्खू भुंडा महायज्ञ में शामिल नहीं हो पाए। यह भी पढ़ें : सीएम सुक्खू ने बुलाई नए साल की पहली कैबिनेट बैठक, जानें किन मुद्दों पर होगी चर्चा

पुलिस ने कसी कमर

इस भुंडा महायज्ञ के लिए पुलिस के साथ साथ प्रशासन ने कमर कस ली है। चप्पे चप्पे पर पुलिस का पहरा है। वहीं भुंडा महायज्ञ तक पहुंचने के लिए एचआरटीसी की स्पेशल बसें चलाई गई हैं।

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