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August 11, 2024

8 महीने पानी में डूबा रहता है हिमाचल का यह मंदिर, स्वर्ग की सीढ़ियों के होते हैं दर्शन

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कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश को देवी-देवताओं की भूमि कहा जाता है। इस छोटे पहाड़ी राज्य में कई ऐतिहासिक मंदिर स्थापित हैं। यहां स्थित हर मंदिर का अपना अलग ही महत्व और मान्यता है। आज हम आपको ऐसे एक मंदिर के बारे में बताएंगे- जो कि साल के आठ महीने पानी में डूबा रहता है। यह अनोखा मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में स्थित है। यह मंदिर अपनी अद्भुत मान्यताओं के कारण काफी प्रसिद्ध है। यह मंदिर रहस्यमयी मंदिर भी माना जाता है। यह भी पढ़ें: 26 साल का फौजी शहीद, इकलौता बेटा था- 2 माह बाद शादी थी

8 महीने पानी में डूबा रहता है मंदिर

हम बात कर रहे हैं कांगड़ा के बाथू की लड़ी मंदिर की। इस मंदिर की खास बात यह है कि यह मंदिर साल के सिर्फ चार महीने ही दिखाई देता है और आठ महीने यह मंदिर पानी में डूबा रहता है। ऐसा लगभग 43 साल से हो रहा है।

पानी के नीचे बन जाती है अलग दुनिया

बाथू की लड़ी मंदिर महाराणा प्रताप सागर झील में पौंग बांध की दीवार से 15 किलोमीटर दूर एक टापू पर बना हुआ है। जैसे ही पौंग बांध झील के पानी का स्तर बढ़ता है, वैसे ही पानी के नीचे मंदिर की एक अलग ही दुनिया बन जाती है। मंदिर फरवरी से जुलाई महीने तक पानी के नीचे रहता है। मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के अलावा आठ छोटे-छोटे मंदिर भी बने हुए हैं। यह भी पढ़ें: हिमाचल का वीर जवान आतंकी मुठभेड़ में हुआ शहीद, मां-बाप से छिन गया सहारा

नहीं आता छवि में कोई बदलाव

यह मंदिर काफी समय तक पानी में डूबा रहता है, लेकिन बावजूद इसके इसकी संरचना में कोई बदलाव नहीं आता है। मान्यता है कि इसके पीछे का कारण है कि यह मंदिर बा थू नाम के शक्तिशाली पत्थर से बनाया गया है। मंदिर के अंदर भगवान गणेश और काली की मूर्तियों को पत्थरों पर उकेरा गया है। इसके अलावा शेषनाग पर आराम करते हुए विष्णु भगवान की मूर्ति मंदिर में स्थापित है।

बनी हैं स्वर्ग की 40 सीढ़ियां

स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण स्थानीय राजा ने करवाया था। जबकि, कुछ लोग इसे पांडवों से भी जोड़ते हैं। इस मंदिर में आज भी स्वर्ग को जाने वाली 40 सीढ़ियां मौजूद हैं। यह भी पढ़ें: खेतों की रखवाली करने जा रहे नंदलाल को बैल ने कुचला, नहीं बची जा.न पौराणिक कथाओं के अनुसार, पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां स्वर्ग की सीढ़ी बनाने की कोशिश की थी। उन्हें यह सीढ़ियां एक रात में बनानी थी, लेकिन वो ऐसा करने में सफल नहीं हो पाए थे। इसी के चलते पांडवों ने भगवान श्री कृष्ण की मदद मांगी। इसके बाद श्री कृष्ण ने एक रात को 6 महीने का कर दिया था। मगर उसके बाद भी पांडवों से स्वर्ग की सीढ़ियां तैयार नहीं हो सकती थी। पांडवों का काम अढ़ाई सीढि़यों से अधूरा रह गया और फिर सुबह हो गई। कहा जाता है कि इस मंदिर परिसर में एक पत्थर मौजूद है। जिस पर कंकड़ मारने पर खून निकलता है। मंदिर में आने वाले भक्त सीढ़ियों और पत्थर की पूजा-अर्चना करते हैं।

कैसे पहुंचें इस मंदिर तक?

बाथू की लड़ी मंदिर में आप हवाई, रेल और सड़क तीनों मार्ग से पहुंच सकते हैं। मंदिर के नजदीकी एयरपोर्ट गग्गल एयरपोर्ट है। जबकि, नजदीकी रेलवे स्टेशन कांगड़ा रेलवे स्टेशन है। यहां से आप टैक्सी लेकर आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो आप सड़क मार्ग से भी इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं। इस मंदिर में जाने के लिए पठानकोट से कांगड़ा की तरफ जसूर से जवाली की तरफ जाना पड़ता है। यहां से बस लेकर आप मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

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