शिमला। हिमाचल प्रदेश में अब सड़क किनारे बैठ फास्ट फूड कॉर्नर चलाने वालों की ID चेक की जाएगी। शहरी विकास एवं नगर निगम की बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। इसमें सपष्ट किया गया है कि प्रदेश में भोजनालयों में मालिक की पहचान करने के लिए उनकी आईडी प्रदर्शित करना अब अनिवार्य होगा। शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने इसकी जानकारी फेसबुक पर साझा की।
उत्तर प्रदेश की राह पर हिमाचल
बता दें कि हाल ही में उत्तर प्रदेश में भी खाद्य पदार्थों में मानव अपशिष्ट और गंदगी की मिलावट के मामलों की बढ़ती संख्या के कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया था। उन्होंने सभी होटलों, ढाबों और रेस्तरां की गहन जांच, सत्यापन और नियमों में आवश्यक संशोधन के निर्देश दिए। शहरी विकास मंत्री ने कहा कि यह निर्णय हिमाचल में भी लागू किया जाएगा ताकि लोगों को सुरक्षित और स्वच्छ खाद्य सामग्री मिल सके।
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स्वास्थ्य सुरक्षा पर ध्यान
शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बैठक में बताया कि खाद्य पदार्थों में मिलावट की घटनाएं केवल स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं हैं बल्कि यह आम जन के विश्वास को भी तोड़ती हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए यह अनिवार्य है कि भोजनालयों के मालिक अपनी पहचान को स्पष्ट करें ताकि उपभोक्ता किसी भी समस्या की स्थिति में सीधे संपर्क कर सकें।
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नई तहबाजारी नीति
बता दें कि शिमला में नई तहबाजारी नीति को लागू करने की प्रक्रिया भी जारी है। शहरी विकास मंत्री ने नगर निगम को निर्देश दिए हैं कि वे 31 दिसंबर तक नई नीति को लागू करने की प्रक्रिया को पूरा करें। यह नीति न केवल बाहरी राज्यों से आने वाले तहबाजारियों की व्यवस्था को सही करने के लिए है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगी कि पंजीकृत तहबाजारी को उचित स्थान और सहारा मिल सके।
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शहर में 1059 तहबाजारी पंजीकृत
शिमला नगर निगम के रिकॉर्ड के अनुसार शहर में 1059 तहबाजारी पंजीकृत हैं। जिनमें से 750 पंजीकृत और 309 गैर-पंजीकृत हैं। शहरी विकास मंत्री ने कहा कि नगर निगम को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पंजीकृत तहबाजारी को उचित स्थान आवंटित किया जाए। उन्होंने विकलांगों, विधवा महिलाओं और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को प्राथमिकता देने का आश्वासन दिया, जिससे कि उन्हें भी व्यवसाय करने का अवसर मिल सके।
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