शिमला। हिमाचल की सुक्खू सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार को फटकार लगाते हुए एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी को खेल कोटे में प्रथम श्रेणी अधिकारी के पद पर नियुक्ति देने से इंकार करने पर गहरी निराशा व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिमाचल के मुख्यमंत्री को इस मामले में व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए था।
खिलाड़ी को प्रथम श्रेणी अधिकारी के पद पर नियुक्ति का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले पर दखल देने से साफ इंकार करते हुए कहा कि हिमाचल की सरकार का रवैया खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने वाला नहीं है। दरअसल हिमाचल सरकार ने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी पूजा ठाकुर को खेल कोटे के तहत प्रदेश में प्रथम श्रेणी अधिकारी के पद पर नियुक्ति देने से इंकार किया था।
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सीएम का रवैया खिलाड़ियों के प्रति सही नहीं
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीक जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मुद्दे पर कि अगर हिमाचल सरकार के मुख्यमंत्री की ऐसी सोच हिमाचल के खिलाड़ियों के हित में नही है। खिलाड़ियों के प्रति उनका रवैया ठीक नहीं है।
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पूजा ठाकुर को सात साल से नहीं दी नियुक्ति
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने उदाहरण देते हुए कहा कि पूजा ठाकुर ने साल 2014 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था, लेकिन सात साल बीत जाने के बाद भी सरकार पूजा ठाकुर को इधर उधर दौड़ा रही है। जो कि सही नहीं है। इससे खेलों के प्रति लोगों का रूझान कम होगा।
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हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से किया इंकार
बता दें कि हिमाचल हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि पूजा ठाकुर को जुलाई 2015 से एक्साइज और टैक्सेशन ऑफिसर के पद पर नियुक्ति किया जाए। लेकिन सरकार ने हाइकोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए हिमाचल की सुक्खू सरकार को निर्देश दिए हैं कि सरकार जल्द से जल्द हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करे।
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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत हस्तक्षेप करने के लिए उपयुक्त मामला नहीं माना। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में किसी और के दखल से भी इंकार करते हुए प्रदेश सरकार को हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले पर विचार करने को कहा है।