शिमला। आर्थिक तंगी से जुझ रही हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार की गाड़ी कर्ज के सहारे आगे बढ़ रही है। कर्ज लेकर सैलरी-पेंशन जैसे रोजाना के खर्चों का निपटारा किया जा रहा है। हाल ही में सुक्खू सरकार ने 700 करोड़ का लोन लेने पर विचार किया था, जिसके बाद वह कर्ज की राशि पिछले कल सरकार के खाते में आ गई है।
740 करोड़ भी मिले
कर्ज के साथ ही सुक्खू सरकार को भारत सरकार से केंद्रीय करों में अपना 740 करोड़ रुपए का हिस्सा मिल गया है। इस राशि के आने से सुक्खू सरकार को थोड़ी राहत जरूर मिली होगी। लेकिन इसके बावजूद अगले महीने की सैलरी के लिए सरकार को एक बार फिर जद्दोजहद करनी होगी। सरकार को ये टेंशन दिसंबर तक चलती रहेगी।
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सरकार को जुटाने है 2000 करोड़
हिमाचल प्रदेश की सरकार को हर महीना सैलरी और पेंशन चुकाने के लिए 2000 करोड़ की जरूरत रहती है। कर्मचारियों के वेतन के लिए 1200 करोड़ रुपए और पेंशनर्स के लिए 800 करोड़ रुपए की रकम सरकारी खजाने में चाहिए। 1 तारीख तक के समय में सुक्खू सरकार को यह राशि चाहिए।
5 को आएगी सैलरी?
सुक्खू सरकार को सैलरी जुटाने में अगर दिक्कत होती है तो इस बार भी 5 अक्तूबर तक ही सैलरी आएगी और ऐसे में पेंशन की टेड भी आगे बढ़ेगी।
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हालांकि सरकार द्वारा सैलरी में हो रही देरी के कारण सरकारी मुलाजिमों के घर का बजट गड़बड़ा गया है। सीएम सुक्खू ने विधानसभा सदन में भी कहा था कि हालात सुधरने तक सैलरी में देरी हो सकती है।
प्रदेश के वित्तीय हालात पर एक नजर
विधानसभा के मानसूनसत्र में प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वित्तीय चर्चा के दौरान प्रदेश का ब्यौरा सामने रखा था। सीएम ने बताया था कि इस वित्तीय वर्ष में दिसंबर 2024 तक राज्य सरकार की लोन लिमिट 6317 करोड़ रुपए की थी। लेकिन अब सरकार के पास केवल 1617 करोड़ रुपए बचे हैं। ऐसे में अलग संसाधनों से भी सरकार वित्तीय कोष को भरने का प्रयास कर रही है।
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सीएम ने पूर्व सरकार को कोसा
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य के आर्थिक संकट के लिए प्रदेश की पूर्व बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। सीएम ने डाटा रखते हुए बताया था कि पिछली सरकार के कार्यकाल में राज्य 1115 करोड़ रुपए के रेवेन्यू सरप्लस में था।
सीएम सुक्खू ने पूर्व की जयराम सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि जयराम सरकार ने डीए को डेफर किया, पूर्व सरकार अंतरिम राहत का भुगतान कर सकती थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया। जिसके कारण पूर्व सरकार के समय अतिंम साल में राजकोषीय घाटा 6336 करोड़ रुपए था।