शिमला। हिमाचल प्रदेश में पिछले एक महीने से DA और छठे वेतनमान के संशोधित एरियर को लेकर संघर्ष कर रहे कर्मचारियों का धैर्य अब फिर से टूटने लगा है। बीते कल यानी शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में सचिवालय सेवा परिसंघ के अध्यक्ष ने सुक्खू सरकार को स्पष्ट संदेश दिया कि सचिवालय के कर्मचारी न तो दबाव में आए हैं न झुके हैं और न ही समझौता किया है।
कर्मचारी मांगों को लेकर अभी भी संघर्षरत
परिसंघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने बताया कि, कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री की ओर से बातचीत के लिए निमंत्रण आने के बाद अपने प्रस्तावित जनरल हाउस को स्थगित करने का निर्णय लिया था।
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हालांकि, कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर अभी भी संघर्षरत हैं और उन्हें हासिल करके ही दम लेंगे। जनरल हाउस को इसलिए स्थगित किया गया था क्योंकि सरकार के साथ वार्ता चल रही थी। इसके अलावा मुख्यमंत्री के सचिव राजेश कंवर ने कर्मचारियों के सभी संगठनों से उनकी मांगों का चार्टर मांगा है और आश्वासन दिया है कि 30 सितंबर तक मुख्य सचिव के साथ वार्ता कराई जाएगी।
कर्मचारी दोबारा शुरू करेंगे विरोध प्रदर्शन
कर्मचारियों को यह भी भरोसा दिलाया गया है कि जैसे ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू स्वस्थ होकर लौटेंगे, उनकी सचिवालय सेवा परिसंघ के साथ वार्ता की जाएगी। इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों ने अपने आंदोलन को फिलहाल स्थगित कर दिया है। हालांकि यदि वार्ता नहीं होती है तो कर्मचारी दोबारा विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे।
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प्रिविलेज मोशन वापस लेने की मांग
संजीव शर्मा ने यह भी बताया कि 17 सितंबर को राज्य सचिवालय के प्रांगण में महासंघ का जनरल हाउस प्रस्तावित था। 16 सितंबर को ही मुख्यमंत्री के सचिव ने बातचीत के लिए फोन किया था। जिसके बाद 17 सितंबर को होने वाले जनरल हाउस को स्थगित कर दिया गया।
मुख्यमंत्री के सचिव ने बताया कि सीएम का स्वास्थ्य खराब हो गया है। इसलिए उन्हें वार्ता के लिए अधिकृत किया गया है। इसके बाद 21 सितंबर को सचिव राजेश कंवर के साथ वार्ता हुई। जिसमें प्रिविलेज मोशन और कर्मचारियों को दिए गए नोटिस वापस लेने की मांग उठाई गई थी।
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महासंघ अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेगा
साथ ही 1 जुलाई 2022 से लंबित 21 महीने के DA की किस्तें जल्द से जल्द जारी करने और अन्य प्रमुख मांगों पर भी चर्चा हुई। कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर दृढ़ हैं और यह लड़ाई अभी भी जारी है। किसी को इस बात का संदेह नहीं होना चाहिए कि महासंघ अपनी मांगों से पीछे हट गया है।
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