शिमला - हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला को परिभाषित करने के लिए यूं तो शब्दावली में कई शब्द हैं। लेकिन शांति और सौहार्द दो ऐसे शब्द हैं, जो राजधानी शिमला में रहाई का बखान करते हैं।
मगर, बीते कुछ दिनों से शिमला का संजौली इलाका पुलिस के पहरे में हैं। माना जा रहा है कि अगर पुलिस का पहरा हटेगा तो शांति और सौहार्द दोनों की सेहत बिगड़ जाएगी। इसके पीछे का कारण है बीते दिनों शिमला में उपजा पहला मज़हबी विवाद।
यह भी पढ़ें: संजौली के बाद अब मंडी में अवैध मस्जिद को गिराने की मांग, सड़कों पर उतरे लोग
इस विवाद में मात्र डेढ़ हफ्ते की अवधि में कल फिर हिंदू पक्ष की तरफ से तीसरे प्रदर्शन की चेतवानी दी गई है। वहीं, आज मानसून सत्र के आखिरी दिन मामले को ध्यान में रखते हुए स्थानीय विधायक हरीश जनारथा ने स्ट्रीट वेंडर पॉलिसी बनाकर शहर में वेंडर जॉन चिह्नित किए जाने की सिफारिश की है।
इस मामले को राष्ट्रिय राजनीति तक पहुंचाने वाले बयानवीर मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सदन में कहा है कि कुछ लोग मामले को सांप्रदायिक रंग देना चाहते हैं और इस पर राजनीतिक रोटियां सेंकना चाहते हैं।
यह भी पढ़ें: 5 मिनट में खत्म हो गया प्रश्नकाल, अंतिम दिन सुक्खू सरकार के पास नहीं थे जवाब
वहीं, अब तक इस मामले में हुई राजनीति, असल परेशानियों की अनदेखी और कुछ सवाल ऐसे भी हैं जिनका ज़िक्र जरूरी है।
आपस में उलझी कांग्रेस, आखिर गलती किसकी?
इस मामले में ना सिर्फ यह विचार योग्य बात है कि आखिर कैसे 2007 में बननी शुरू हुई अवैध मस्जिद 2010 में शिकायत हो जाने के बाद भी बनती ही रही। बल्कि यह भी सोचना चाहिए कि एक तरफ जहां शिमला में ईमारत को ढाई मंजिल से ज्यादा बनाने की आज्ञा ही नहीं है, तो फिर प्रशासन कैसे कुंभकर्णी नींद सोया रहा और ईमारत एक से दो और फिर दो से 4 मंजिला बन गई।
यह भी पढ़ें: हिमाचल : घर बैठे मोटी कमाई करने चली थी महिला, लगा 20.38 लाख का चूना
यहां किसी एक राजनितिक पार्टी को दोष नहीं दिया जा सकता है। क्योंकि यह मामला 14 वर्षों से विचाराधीन है, अबतक 44 बार अदालत बैठ चुकी है। यानी इस दौरान बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों की सरकारें रहीं लेकिन किसी का ध्यान इस ओर नहीं गया।
अब यह मामला सत्ताधारी दल कांग्रेस के मंत्री ने उठाया जो खुद मान रहे है कि बाहरी राज्यों से आ रहे विशेष समुदाय के लोगों के लिए संजौली का इलाका खासकर विवादित मस्जिद पनाहगाह बन गई है। वही, मंत्री अब कह रहे हैं कि मामले को सांप्रदायिक रंग देकर सरकार की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है।
यह भी पढ़ें: संजौली मामले पर सरकार का एक्शन, बाहरी लोगों के लिए पॉलिसी बनाएगी सरकार
लेकिन सवाल यह है की मामला सत्तापक्ष ने स्वयं उठाया विपक्ष ने सहयोग किया तो सरकार की छवि को खराब कौन करना चाह रहा है ? इस मामले में मंत्री अनिरुद्ध के पहले बयान के साथ ही कांग्रेस दो हिस्सों में बंट गई थी। स्थानीय विधायक हरीश जनारथा मामले को छोटा और विचाराधीन बताकर शांत करने में जुटे नज़र आए थे।
मगर अनिरुद्ध सिंह का बयान सने के बाद खुद बीचबचाव करते हुए मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू को कहना पड़ा कि मंत्रियों, विधायकों को इस तरह के मामलों में नहीं पड़ना चाहिए।
क्या मस्जिद विवाद सिर्फ एक ट्रिगर पॉइंट
शिमला का हर इलाका आमतौर पर शांत रहता है। सैलानियों की चहल-पहल जरूर रहती है लेकिन बीते हफ्ते नारे लगाता लोगों का हुजूम इस शांति को तार-तार करता नज़र आया। इस मामले में अचानक दिखा उबाल इस ओर इशारा करता है की असल में यह मस्जिद का अवैध निर्माण और इसे गिरा दिए जाने की मांग एक छोटा मुद्दा है।
असल परेशानियां यह है की धीरे-धीरे कर शिमला में बाहरी राज्यों से आए मुस्लिम समुदाय के लोगों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है। महिलाएं आरोप लगा रही हैं कि जिन सड़कों पर वो बेख़ौफ़ चला करती थीं, वहां छेड़खानी की घटनाएं अब आम हो गई हैं।
यह भी पढ़ें: हिमाचल: अवैध मस्जिद निर्माण के लिए कहां से आया फंड? जल्द होगा खुलासा
सुरक्षित और शांत शिमला में लड़ाई-झगड़े और लूटपाट की घटनाएं अचानक बढने लगी हैं। वहीं, जिस मस्जिद में कभी दो परिवार ही सजदा करते थे, आज वहां नमाज़ पढ़ने वालों की अथाह भीड़ आती है।
सड़कों की सच्चाई बताएं तो शिमला में रेहड़ी फड़ी पर एक विशेष समुदाय का प्रभुत्व सा हो गया। लोगों का कहना है कि एक प्लान के तहत बाहरी लोगों को यहां बसाया जा रहा है, उन्हें यहां रेहड़ी-फड़ी दी जा रही है, जबकि इन लोगों का नाम पता भी फर्जी है।
फर्जी से लगने वाले आधार कार्ड और फर्जी नाम पते से जुड़े भुई ढेरों मामले प्रदेश भर में अलग-अलग इलाकों से सामने आए हैं और ये सब कुछ प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है।
क्या कल भी होगा संजौली में बवाल ?
अब कल यानी 11 सितम्बर को हिंदू संगठनों ने एक बार फिर संजौली में अवैध मस्जिद को गिराने की मांग को लेकर प्रदर्शन करने की चेतवानी दी है। कहा जा रहा है की इस आर-पार की लड़ाई में कई सारे महिला मंडल, युवक मंडल , NGO, कई सामाजिक और धार्मिक संगठन भी हिस्सा लेंगे।
यह भी पढ़ें: हिमाचल में दो दिन होगी भारी बारिश अलर्ट जारी, आज भी झमाझम बरसे मेघ
इन प्रदर्शनकारियों ने पहले से ही ये बात साफ कर दी है कि मस्जिद गिरवाने से कम किसी कीमत पर समझौता नहीं होगा। वहीं, सरकार और प्रशासन की तरफ से इस प्रदर्शन को दबाने के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है।
फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन है लिहाज़ा मस्जिद को गिराया जाना कानूनी प्रक्रिया में बाधा होगा। इस कारण से संजौली क्षेत्र में एहतियात बरतते हुए सरकार ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 (सीआरपीसी 1973 की पुरानी धारा 144) को लागू कर दिया है। जिला दंडाधिकारी अनुपम कश्यप ने इस बारे में जानकारी दी है।
बाक़ी कल क्या होगा किसने देखा है। इसलिए आपकी तरह हम भी कल का इंतज़ार करते हैं।