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December 3, 2024

सक्खू सरकार की कर्ज लेने की लिमिट हुई खत्म-पेंशन देने के भी पैसे नहीं

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शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने वित्तीय संकट से जूझते हुए अभी बीते सप्ताह ही 500 करोड़ रुपए का कर्ज जुटाया था। जिससे अब राज्य की चालू वित्तीय वर्ष के लिए 6200 करोड़ रुपए की ऋण सीमा समाप्त हो गई। इसके अलावा राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की अंतिम तिमाही के लिए और अधिक ऋण लेने के लिए आवेदन किया है।

अभी नहीं हुआ है पेंशन का भुगतान

वित्तीय वर्ष 2023-24 की अंतिम तिमाही के लिए हिमाचल सरकार के लिए 1700 करोड़ रुपए का ऋण जुटाने की सीमा तय की गई थी। यह भी पढ़ें : हिमाचल का एक और वीर जवान शहीद, नागालैंड में मिली शहादत इस ऋण का एक हिस्सा सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों की पेंशन के भुगतान के लिए उपयोग किया जा सकता है। राज्य में 2.25 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों को उनकी वेतन राशि मिल चुकी है लेकिन सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अभी तक पेंशन का भुगतान नहीं किया गया है।

केंद्र से रहती है आस

प्रदेश सरकार को हर महीने अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं, जैसे वेतन और पेंशन के लिए करीब 2000 करोड़ रुपए की आवश्यकता होती है। यह भी पढ़ें : हिमाचल : आज घर पहुंचेगी नवल की पार्थिव देह, सियाचिन में हुए थे शहीद राज्य के पास राजस्व उत्पन्न करने का कोई बड़ा स्रोत नहीं है, जिससे राज्य को केंद्र से बहुत अधिक वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है।

पहले भी हो चुकी है देरी

दो महीने पहले प्रदेश में कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को वेतन और पेंशन में देरी हुई जिससे राज्य राष्ट्रीय मीडिया में चर्चा का विषय बन गया। यह भी पढ़ें: जयराम की CM सुक्खू को नसीहत- मेरे विधानसभा क्षेत्र में आएं, लेकिन यहां झूठ न बोलें मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसका बचाव करते हुए कहा था कि यह निर्णय केवल अतिरिक्त धन बचाने के लिए लिया गया था, ताकि महीने की पहली तारीख को ऋण चुकाने के लिए कोई भुगतान नहीं करना पड़े।

10 गारंटियों से पड़ा अतिरिक्त वित्तीय दबाव

सरकार ने नई पेंशन योजना (NPS) के तहत 1500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त ऋण जुटाने का विकल्प रखा था लेकिन पुरानी पेंशन योजना की बहाली के बाद यह संभव नहीं हो पाया। यह भी पढ़ें: हिमाचल के डिपुओं में अभी नहीं मिलेगा तेल, दाल भी 17 रुपए हुई महंगी वहीं, लोगों का कहना है कि, 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस द्वारा की गई 10 गारंटियों के तहत राज्य सरकार ने 1.35 लाख से अधिक कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया जिसके चलते सरकारी खजाने पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव पड़ा है।

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