शिमला: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुक्खू के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस सरकार के सामने शुरू से ही चुनौतियों का एक अंबार रहा है। लेकिन सुक्खू सरकार का कार्यकाल जैसे-जैसे आगे बढ़ा है, उसी अनुपात में चुनौतियों के अंबार में भी बढ़ोतरी ही हुई है।
देश भर में हो रही प्रदेश की आर्थिक बदहाली की चर्चाएं
अगले चार महीनों में प्रदेश की कांग्रेस सरकार में अपना 2 साल का कार्यकाल पूरा करने वाली है, लेकिन देश भर में हो रही हिमाचल की आर्थिक बदहाली की चर्चाओं ने साफ़ कर दिया है कि ये दिक्कतें आगे भी कम नहीं होने वाली हैं।
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अपनी चुनावी गारंटियों को सिर पर लिए बैठी सरकार के सामने इस वक्त कर्मचारियों और पेंशनरों की देनदारियां, बेरोज़गारी, शिक्षा का बिगड़ता स्तर, उद्योगों का पलायन और बागवानों-किसानों की मांगों जैसी कई सारी समस्याएं हैं।
सरकार हो सकती है अस्थिर
मगर हम आपको इस खबर में प्रदेश सरकार की उन तीन मुश्किलों की जानकारी देने जा रहे हैं, जो आने वाले वक्त में सरकार की नाक में दम कर सकती हैं और इस कारण से सरकार अस्थिर भी हो सकती है। हिमाचल के दो पड़ोसी राज्यों (हरियाणा और जम्मू-कश्मीर) में हो रहे विधानसभा चुनावों में हिमाचल की भी चर्चा हो रही है।
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हरियाणा के कुरुक्षेत्र और जम्मू-कश्मीर के डोडा में चुनावी जनसभाओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुले मंच से हिमाचल के आर्थिक हालातों का जिक्र किया।
प्रधनामंत्री की नाराजगी और बिगड़ते हालात
अब भले से PM मोदी के द्वारा चुनावी लाभ लेने के लिए ये बयान दिए गए हों। मगर इन बयानों से एक बात ये भी स्पष्ट होती है कि हिमाचल के आर्थिक हालातों पर प्रधानमंत्री लगातार अपनी नजर बनाए हुए हैं और मौजूदा स्थितियों को देखकर उनके मन में हिमाचल सरकार के प्रति नाराजगी भी है।
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प्रधानमंत्री द्वारा हिमाचल की आर्थिक बदहाली पर बात किए जाने से देश भर में एक बार फिर हिमाचल की वितीय स्थिति की चर्चाएं होने लगी हैं। ऐसे में अब प्रदेश की कांग्रेस सरकार इन हालातों से कैसे निपटती है ये देखने वाली बात होगी।
कर्मचारियों के खर्च सबसे भारी
इसके अलावा इन दिनों देश भर में हिमाचल के सरकारी कर्मचारियों 5-10 दिन की देरी से सैलरी पेंशन दिए जाने का मामला भी तूल पकड़ता हुआ नजर आया। इन खर्चों को पूरा करने के लिए हिमाचल सरकार को हर महीने 2000 करोड़ की जरूरत पड़ती है। मगर इस वक्त प्रदेश के हालत कुछ ऐसे हो गए हैं, एक महीने की सैलरी पेंशन का भुगतान करने के बाद सरकार के माथे पर इस बात की शिकन साफ़ नजर आती है कि अगले महीने में इन 2000 करोड़ रुपयों का इंतजाम कहां से किया जाएगा।
प्रदेश में फैला धार्मिक उन्माद
तमाम तरह की समस्याओं से घिरी हिमाचल सरकार के सामने संजौली विवाद के बाद से प्रदेश में बढ़ते धार्मिक उन्माद को रोकना भी अब एक बड़ी चुनौती बन गई है। बीते तीन हफ़्तों के दौरान प्रदेश 5 से 6 जिलों में अवैध मस्जिद को लेकर कई तरह के प्रदर्शन किए जा चुके हैं।
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इन प्रदर्शनकारियों पर की गई कार्रवाई के कारण भी सरकार सवालों के कटघरे में खड़ी नजर आ रही है और कहीं से भी इस तरह के मामलों का शोर प्रदेश में थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में अब प्रदेश सरकार इस तरह के मामलों पर कैसे काबू पाती है, यह देखने वाली बात होगी।