शिमला। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है। प्रदेश में अनुबंध अवधि के कारण जिन कर्मचारियों की दस साल की नियमित सेवा पूरी नहीं हुई हो, उन्हें अब OPS का लाभ मिल सकेगा।
सरकारी कर्मचारियों ने मोड़ा मुंह
विदित हो कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में OPS देने के चलते प्रदेश के डेढ़ लाख से अधिक कर्मचारियों को अपनी ओर आकर्षित किया था। जिसका लाभ भी कांग्रेस को मिला था। मगर हाल ही में बीते लोकसभा के चुनाव में सरकारी कर्मचारियों ने कांग्रेस से मुंह मोड़ लिया है। जिसका सीधा असर देखने को मिला है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को कुल 68 में से 7 विधानसभा क्षेत्रों में ही बढ़त मिल पाई है।
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वहीं, अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद OPS के बारे में राज्य सरकार के वित्त विभाग के प्रधान सचिव देवेश कुमार ने ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया है। इस कार्यालय आदेश में एक अहम शर्त भी रखी गई है।
किसको मिलेगा पेंशन का लाभ
आदेश के अनुसार, जिन कर्मचारियों का चयन हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग या कर्मचारी आयोग हमीरपुर के माध्यम से अनुबंध नीति में हुआ हो सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों को पेंशन का लाभ मिलेगा। जबकि, शर्त यह होगी कि अभी जिन कर्मचारियों ने OPS के बजाय NPS का विकल्प लिया है, वह अनुबंध सेवा की पेंशन गणना करने के पात्र नहीं होंगे।
पेंशन के लिए रखी गई है शर्त
साथ ही इन कर्मचारियों की अनुबंध और नियमित सेवा के बीच कोई ब्रेक नहीं होनी चाहिए। ऐसे सभी कर्मचारियों को अपने विभागाध्यक्ष के माध्यम से 30 दिन में विकल्प देना होगा। वहीं, नियमित हुए बगैर अनुबंध अवधि में ही जिनकी मृत्यु हो गई है तो ऐसे लोगों को भी पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा।
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उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 15 मई, 2003 से हिमाचल में NPS को लागू कर दिया था। इसे 31 मार्च, 2023 में फिर से ओल्ड पेंशन में कन्वर्ट किया गया है। वहीं, अब सरकार के इस फैसले से लाभान्वित होने वाले कर्मचारियों में खुशी की लहर है।
बता दें कि 7 अगस्त, 2023 को सुप्रीम कोर्ट से आयुर्वेद विभाग की शीला देवी केस में एक फैसले के बाद 10 जून को वित्त विभाग ने कार्यालय आदेश जारी किए हैं। जिससे अनुबंध अवधि पेंशन देने के लिए कंसीडर होगी। यह लाभ उन्हें मिलेगा जिन कर्मचारियों या पेंशनरों की दस साल की नियमित सेवा अनुबंध अवधि के कारण पूरी नहीं हुई है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, राज्य सरकार को ऐसे कर्मचारियों की अनुबंध अवधि पेंशन के लिए गिनना होगा, जो अनुबंध से सीधे नियमित हुए। अब प्रदेश सरकार ने इस फैसले को कुछ शर्तों के साथ लागू करने का निर्णय लिया है।