शिमला। हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ इतना अधिक बढ़ गया है कि प्रदेश सरकार ने वित्त आयोग से 15 000 करोड़ से अधिक की मदद मांगी है। सुक्खू सरकार ने फाइनेंस कमीशन से 15700 करोड़ रुपए का विशेष ग्रांट प्रदेश सरकार को देने की मांग उठाई है।
गगल एयरपोर्ट, शिवधाम और सड़कों-पुलों के लिए फंड चाहिए
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार बजट के अभाव में गगल एयरपोर्ट, मंडी शिव धाम और सड़क तथा पुलों के निर्माण के लिए यह फंड लेना चाहती है। राज्य सरकार ने 16 में फाइनेंस कमीशन के प्रतिनिधि मंडल के सामने विशेष अनुदान के रूप में यह उदार मदद देने का आग्रह किया है।
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खाली खजाने ने किया हाल बेहाल
आर्थिक संकट से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश के सरकारी खजाने की हालत इतनी खराब हो गई है कि प्रदेश पर न सिर्फ कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है बल्कि आम लोगों के विकास हित के काम भी प्रदेश सरकार सही ढंग से नहीं करवा पा रही है।
सैलरी पेंशन में ही खर्च हो जा रहा 42% बजट
प्रदेश सरकार के कुल बजट का 42 वां हिस्सा कर्मचारियों को सैलरी और पूर्व कर्मचारियों को पेंशन देने में ही खर्च हो जा रहा है। ऐसे में नाम मात्र के पैसों से हिमाचल का विकास करना प्रदेश सरकार के लिए मुश्किल होता जा रहा है। स्थिति यह हो गई है की हिमाचल सरकार अपने दम पर ना तो कोई बड़ा प्रोजेक्ट पूरा कर सकती है और ना ही बिना मदद के कर्मचारी और पेंशनर्स को उनके हक का पैसा दे पा रही है।
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किसी प्रोजेक्ट के लिए कितने रुपए मांगे गए
- कांगड़ा स्थित गगल एयरपोर्ट के लिए 3500 हजार करोड़ रुपए की मांग की गई है
- सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 800 करोड़ रुपए में आगे गए हैं
- हमीरपुर, चंबा और नाहन मेडिकल कॉलेज की सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए 900 करोड़ रुपए मांगे गए हैं
- सभी जिलों में हेलीपोर्ट बनवाने के लिए 350 करोड़ रुपए की डिमांड की गई है
- मंडी एयरपोर्ट ग्रीनफील्ड के लिए भी 3500 करोड़ रुपए की मांग की गई है
- मंडी में शिव धाम बनाने के लिए भी पैसे मांगे गए हैं
- नशा मुक्ति केंद्रों के लिए 1200 करोड़ रुपए मांगे