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August 20, 2024

सप्रीम कोर्ट का सुक्खू सरकार को बड़ा झटका, बहुमत के बाद भी हारी थी चुनाव

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सोलन। हिमाचल में कांग्रेस सरकार को एक बड़ा झटका लगा हैं। सुक्खू सरकार को यह झटका सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोलन नगर निगम की मेयर ऊषा शर्मा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सुक्खू सरकार के उन फैसलों पर रोक लगा दी है, जिसमें ऊषा शर्मा व पूर्व मेयर पूनम ग्रोवर की पार्षद की सदस्यता को रद्द कर दिया गया था।
22 को होने थे चुनाव, उससे पहले आ गया सुप्रीम कोर्ट का झटका
सुख की सरकार ने सोलन नगर निगम की मेयर ऊषा शर्मा व पूर्व मेयर पूनम ग्रोवर पर यह कार्रवाई दलबदल कानून के तहत की थी और दोनों की पार्षद सदस्यता रद्द करने का 10 जून को फैसला सुनाया था। अब सुक्खू सरकार सोलन नगर निगम में मेयर के चुनाव करवाने जा रही थी। यह चुनाव दो दिन बाद यानी 22 अगस्त को होने थे, लेकिन उससे ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस और हिमाचल सरकार को बड़ा झटका दिया है।

सोलन नगर निगम की मेयर बनी रहेंगी ऊषा शर्मा

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब सोलन नगर निगम की मेयर ऊषा शर्मा अपने पद पर बनी रहेगी। क्योंकि सप्रीम कोर्ट ने सुक्खू सरकार के मेयर ऊषा शर्मा की सदस्यता को रद्द करने के आदेशों पर रोक लगा दी है।
बहुमत होने पर भी सोलन एमसी में नहीं बनी थी कांग्रेस की मेयर
दरअसल हिमाचल की एक राज्यसभा सीट के चुनाव की ही तरह ही कांग्रेस बहुमत होने के बाद भी सोलन नगर निगम के मेयर चुनाव हार गई थी। कांग्रेस से बगावत कर ऊषा शर्मा सोलन की मेयर बनी थी। जबकि भाजपा की मीरा आनंद डिप्टी मेयर बनाई गई थी। सोलन नगर निगम में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत होने के बाद भी मेयर और डिप्टी मेयर पर उसका कब्जा नहीं हुआ था। यह भी पढ़ें: दीवानगी: ग्रेट खली के लिए बेची जमीन, 4 लाख खर्च कर पूरे शरीर पर बनवाए टैटू

दलबदल कानून के तहत की थी कार्रवाई

इस चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस ने मेयर ऊषा शर्माए पूर्व मेयर पूनम ग्रोवरए पूर्व डिप्टी मेयर राजीव कौड़ा व पार्षद अभी शर्मा के खिलाफ शिकायत की थी। सुक्खू सरकार ने इस शिकायत पर कार्रवाई करते हुए मेयर ऊषा शर्मा व पूर्व मेयर पूनम ग्रोवर की पार्षद की सदस्यता को रद्द कर दिया था जबकि राजीव कौड़ा व अभय शर्मा कार्रवाई से बच गए थे। यह भी पढ़ें: रील बना रही थी 14 साल की बच्ची, अचानक से लगा करंट- सीधा खाई में गिरी

10 जून को सदस्यता रद्द करने के दिए थे आदेश

सुक्खू सरकार ने 10 जून को इनकी सदस्यता रद्द करने के आदेश जारी किए थे। जिसके बाद से सोलन नगर निगम में मेयर का पद खाली चल रहा था। इस पद पर अब सुक्खू सरकार दोबारा चुनाव करवाने वाली थी। हालांकि बहुमत होने के बाद चुनाव हारने के चलते सुक्खू सरकार ने पिछले दिनों एमसी एक्ट चुनाव के नियम में संशोधन किया था। इसके मुताबिक पार्षदों को राज्यसभा की तरह अपना वोट दिखाना होगा।
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कांग्रेस को क्यों लगा बड़ा झटका

सुक्खू सरकार ने सोलन नगर निगम में मेयर के पद के लिए 22 अगस्त को चुनाव की डेट तय की थी, लेकिन उससे ठीक दो दिन पहले आज सुप्रीम कोर्ट ने सुक्खू सरकार सहित कांग्रेस को बड़ा झटका दे दिया है। हालांकि सुक्खू सरकार सोलन नगर निगम के मेयर पद के लिए 22 अगस्त को चुनाव करवाने वाली थी। लेकिन दो दिन पहले यानी 20 अगस्त तक भी कांग्रेस में अभी तक मेयर पद के लिए कोई नाम तय नहीं हो पाया था। यह भी पढ़ें: हिमाचल में नौकरी का सुनहरा मौका: 200 पदों पर हो रही भर्ती, जानें डिटेल

बहुमत के बाद भी क्यों हारी कांग्रेस

बता दें कि हिमाचल की कांग्रेस सरकार में यह पहली बार नहीं हुआ है, जब वह पूर्ण बहुमत होने के बाद चुनाव हारी हो। इससे पहले हिमाचल की सुक्खू सरकार 40 विधायकों के होने के बाद भी राज्यसभा की एक सीट का चुनाव हार गई थी। जबकि कांग्रेस के पास उस समय 40 सीटें थी, और भाजपा के पास मात्र 25 सीटें थी। बावजूद इसके 40 सीटों वाली कांग्रेस 25 सीटों वाली भाजपा से राज्यसभा चुनाव हार गई थी।
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कांग्रेस सरकार ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले अपने छह विधायकों पर भी दलबदल कानून के तहत कार्रवाई की थी। जिसके चलते हिमाचल में छह सीटों पर विधानसभा उपचुनाव हुए थे। जिसमें से एक सीट पर ही भाजपा को जीत मिली थी, जबकि अन्य पांच सीटों को कांग्रेस ने जीत लिया था।

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