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November 15, 2024

सुक्खू सरकार में मंत्री पद एक-तलबगार अनेक, जानें किसकी दावेदारी है सबसे मजबूत

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शिमला। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार में इस समय "एक अनार सौ बीमार" वाली कहावत दिख रही है। यानी सीएम सुक्खू के पास मंत्री पद तो सिर्फ एक ही है, लेकिन उसके तलबगार कई हैं। मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द होने के बाद से तो इस एक मंत्री पद के चाहवान और भी अधिक बढ़ गए हैं। कई विधायकों ने तो अपनी ऊंची पहुंच के तार भिड़ाने भी शुरू कर दिए हैं।

मंत्री पद के लिए विधायक भिड़ाने लगे तार

बता दें हिमाचल के सियासी गलियारों में कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं काफी जोरों से चल रही हैं। इन्हीं चर्चाओं के बीच कई विधायकों ने मंत्री पद के लिए लॉबिंग भी शुरू कर दी है। बीते रोज गुरुवार को ही दो विधायकों संजय अवस्थी और एमएल ब्राक्टा ने सीएम सुक्खू से शिमला में भी मुलाकात ही है। हालांकि उनके बीच क्या चर्चा हुई, इसका खुलासा नहीं हुआ है। लेकिन इनकी सीएम से मुलाकात को मंत्री पद से जोड़ कर देखा जा रहा है।

क्या सीएम फिर करेंगे कांगड़ा जिला की अनदेखी

प्रदेश की सत्ता की चाबी तय करने वाले कांगड़ा जिला की अनदेखी सीएम सुक्खू को एक बार पहले भी भारी पड़ चुकी है। अब देखना यह है कि समीकरण बैठाने के लिए कांगड़ा को तीसरा मंत्री पद मिलता है या नहीं। यहां से चंद्र कुमार और यादवेंद्र गोमा दो मंत्री है। लेकिन पूर्व की सरकारों में कांगड़ा जिला को तीन मंत्री मिलते आए हैं। ऐसे में कांगड़ा जिला भी मंत्री पद की रेस में सबसे आगे है।

कांगड़ा जिला में मंत्री पद के लिए लॉबिंग शुरू

कांगड़ा जिला में भी मंत्री पद के लिए लॉबिंग शुरू हो गई है। क्योंकि यहां के दो सीपीएस बाहर हो चुके हैं। अब यह दोनों ही मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। क्योंकि भवानी पठानिया और केवल पठानिया को सीएम ने पहले ही कैबिनेट रैंक दे रखे हैं। ऐसे में विरोध की चिंगारी से बचने के लिए सीएम सुक्खू कांगड़ा जिला के इन दो सीपीएस में से एक को मंत्री बना सकते हैं।

सीएम सुक्खू के करीबी भी मंत्री पद की दौड़ में शामिल

सीएम सुक्खू के करीबी संजय अवस्थी भी मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। हालांकि राजनीतिक समीकरण उनके खिलाफ हैं। क्योंकि सोलन जिला से धनीराम शांडिल पहले ही मंत्री पर बैठे हुए हैं। जबकि अर्की विधानसभा क्षेत्र शिमला संसदीय क्षेत्र में आता है और यहां से पहले ही छह मंत्री बनाए जा चुके हैं। ऐसे में संजय अवस्थी को मंत्री बनाए जाने में क्षेत्रीय समीकरण आड़े आ सकते हैं। यह भी पढ़ें : हिमाचल के डिपुओं में नहीं मिल रहा सस्ता राशन, जानिए क्या है कारण

सुंदर ठाकुर की दावेदार भी मानी जा रही मजबूत

कुल्लू के विधायक सुंदर सिंह ठाकुर की मंत्री पद की दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है। क्योंकि कुल्लू जिला से एक भी मंत्री नहीं बना है। हालांकि मंडी संसदीय क्षेत्र से जगत सिंह नेगी को मंत्री जरूर बनाया गया है, लेकिन वह ट्राबल कोटे से मंत्री बने हैं। ऐसे में सुंदर सिंह ठाकुर की दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है। अब देखना यह है कि सीएम सुक्खू कांगड़ा जिला को तीसरा मंत्री देते हैं, या कुल्लू जिला को पहला मंत्री मिलता है। यह भी पढ़ें : CPS केस में सुप्रीम कोर्ट पहुंची सुक्खू सरकार, जानिए क्या होगा आगे?

कमलेश ठाकुर और अनुराधा भी चर्चा में

सुक्खू कैबिनेट में एक भी महिला मंत्री नहीं है। ऐसे में सियासी गलियारों में लाहौल स्पीति की विधायक अनुराधा और देहरा की विधायक कमलेश ठाकुर के मंत्री बनने पर भी बड़ा फैसला लिया जा सकता है। हालांकि दोनों ने पहली बार चुनाव जीता है। कमलेश ठाकुर को मंत्री बनाए जाने से कांगड़ा जिला को मंत्री पद मिलेगा, लेकिन इससे सीएम सुक्खू पर परिवारवाद का ठप्पा लग सकता है और विपक्ष इसे मुद्दा बना सकता है। यह भी पढ़ें: CPS मामले के बीच CM सक्खू ने बुलाई कैबिनेट, यहां जानिए मीटिंग के ऐजेंडे

सीएम सुक्खू पहले भी झेल चुके हैं बगावत

सूत्रों की मानें तो हिमाचल की सियासत क्षेत्रीय समीकरणों पर ही चलती है। सुक्खू सरकार ने सत्ता संभालते ही क्षेत्रीय समीकरण नहीं बैठाए और कांगड़ा जिला को मात्र एक मंत्री पद दिया। जिसका खामियाजा उन्हें जल्द ही भुगतना पड़ा, जब सरकार के अंदर बगावत शुरू हो गई। यह भी पढ़ें: हिमाचल: घर से अचानक लापता हुई विवाहिता, पति बोला-भगा ले गया है कोई

सीएम सुक्खू के लिए अग्नि परीक्षा

धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा ने खुल कर सीएम सुक्खू की बगावत की थी। जिसके बाद सरकार पर सियासी संकट आ गया था। अब इस बार सीएम सुक्खू ऐसी को गलती नहीं करना चाहेंगे। ऐसे में एक मंत्री पद का चयन करना सीएम के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगा। यह भी पढ़ें : हिमाचल में आज बदलेगा मौसम का मिजाज, जानें कब और कहां होगी बारिश-बर्फबारी राजनीति के जानकारों की माने तो सीएम सुक्खू को सोच समझकर क्षेत्रीय संतुलन बिठाना होगा, क्योंकि उन पर पहले भी मित्र मंडली को खुश करने के आरोप लगते रहे है। विपक्ष को बार बार मित्रों की सरकार बोलता रहा है। इसलिए सीएम सुक्खू को राजनीतिक दृष्टि से सूझबूझ वाला निर्णय लेना होगा। ऐसा नहीं किया तो बगावत की चिंगारी फिर से भड़क सकती है।

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