नई दिल्ली/मंडी। वॉलीबुड अभिनेत्री और अब मंडी की सांसद कंगना रनौत अकसर अपने विवादों को लेकर सुर्खियों मंे बनी रहती है। ऐसे ही अपने एक बयान के बाद अब कंगना रनौत फिर से विवादों में घिर गई है। कॉन्ट्रोवर्सी क्वीन व मंडी की सांसद कंगना रनौत ने उत्तराखंड के एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ और ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पर तंज कसते हुए कहा है कि राजनेता राजनीति नहीं करेगा, तो क्या वह गोलगप्पे बेचेगा। कंगना के इस बयान के बाद अब नई बहस शुरू हो गई है।
महाराष्ट्र के सीएम के पक्ष में उतरी कंगना रनौत
कंगना ने शंकराचार्य पर यह तंज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की की आलोचना पर कसा है। शंकराचार्य ने 15 जुलाई को मुंबई में शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अलोचना करते हुए कहा था कि उद्धव ठाकरे के साथ विश्वासघात हुआ है। सनातन धर्म में विश्वासघात एक बहुत बड़ा पाप है। शंकराचार्य के इस बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में भुचाल आ गया था।
शंकराचार्य की शब्दावली को बताया गलत
शंकराचार्य के इसी बयान पर बॉलीवुड क्वीन और सांसद कंगना रनौत ने पलटवार किया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का समर्थन करते हुए कंगना ने कहा कि शंकराचार्य जी ने उनकी शब्दावली और अपने प्रभाव और धार्मिक शिक्षा का दुरुपयोग किया है। कंगना ने अपने सोशल मीडिया हेंडल पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है।
सोशल मीडिया पोस्ट लिखा
राजनीति में गठबंधन संधि और एक पार्टी का विभाजन होना बहुत सामान्य और संवैधानिक बात है, कांग्रेस पार्टी का विभाजन 1907 में और फिर 1971 में हुआ "अगर राजनीति में राजनीतज्ञ राजनीति नहीं करेगा तो क्या गोलगप्पे बेचेगा?"
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उन्होंने आगे लिखा है- धर्म ये भी कहता है कि अगर राजा ही प्रजा का शोषण करने लगे तो राजद्रोह ही आखिरी धर्म है। शंकराचार्य जी ने महाराष्ट्र के हमारे माननीय मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जी को अपमानजनक शब्दावली से गद्दार, विश्वासघाती जैसे आरोप लगाते हुए हम सब की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, शंकराचार्य जी इस तरह की छोटी और ओछी बातें करके हिंदू धर्म की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं।
शंकराचार्य ने की थी सीएम एकनाथ शिंदे की अलोचना
बता दें कि शंकराचार्य देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के पुत्र अनंत अंबानी के विवाह समारोह में भाग लेने मुंबई पहुंचे हुए थे। यहीं से वह उद्धव ठाकरे के आवास पर भी गए।
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जहां उन्होंने महाराष्ट्र के सीएम की अलोचना करते हुए कहा था कि जिस तरीके से विश्वासघात करके एक हिंदूवादी पार्टी को तोड़ा गया, उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया, वह ठीक नहीं है। जब तब वह दोबारा मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान नहीं हो जाताए तब तक हम सबके मन में पीड़ा और दर्द दूर नहीं हो सकता।