#राजनीति

September 27, 2024

हिमाचल विस स्पीकर ने BJP सांसद हर्ष महाजन को जारी किया नोटिस, जानें क्या है मामला

शेयर करें:

शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन को एक औपचारिक नोटिस जारी किया है। जिसमें उन्होंने हर्ष महाजन से अपने आरोपों के समर्थन में सबूत पेश करने या विधानसभा के विशेषाधिकार नियमों के तहत कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी गई है।

व्यक्तिगत आरोपों पर कड़ी आपत्ति

मालूम हो कि, BJP नेता महाजन ने हाल ही में चंबा की यात्रा के दौरान पठानिया पर कुछ राजनीतिक और व्यक्तिगत आरोप लगाए थे। जबकि पठानिया ने राजनीतिक बयानों का राजनीतिक जवाब देना उचित समझा है। उन्होंने व्यक्तिगत आरोपों पर कड़ी आपत्ति भी जताई है। यह भी पढ़ें: हिमाचल के 10 IPS समेत 152 पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों को मिलेगा DGP डिस्क अवार्ड

मुझे किसी के चरित्र प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं

पठानिया ने कहा, "मैं एक संवैधानिक पदाधिकारी हूं साथ ही पांच बार विधायक रह चुका हूं। मुझे किसी के चरित्र प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है।" उन्होंने कहा कि महाजन मीडिया के सामने कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाए हैं। अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए पठानिया ने महाजन को नोटिस भेजा जिसमें उन्हें अपने आरोपों को साबित करने या विधानसभा के विशेषाधिकार नियमों का सामना करने की चुनौती दी गई।

हर्ष महाजन के आरोपों से झलकती है हताशा

पठानिया ने आगे कहा कि हर्ष महाजन के आरोपों से उनकी हताशा झलकती है और अब वह उनके पुराने मित्र भी नहीं रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि महाजन अपने आरोपों को साबित करने में विफल रहते हैं तो विधानसभा उचित कार्रवाई करेगी। यह भी पढ़ें: NIT हमीरपुर में सहपाठी ने वीडियो कॉल कर छात्रा से की बदसलूकी, हुआ निष्कासित

राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन में थे पठानिया

राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन पर टिप्पणी करते हुए पठानिया ने कहा कि उन्होंने हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय भारत क्षेत्र राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन में भाग लिया। सम्मेलन का फोकस सतत और समावेशी विकास में विधायकों की भूमिका पर था। पठानिया ने पहाड़ी राज्यों विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश की अनूठी चुनौतियों पर चर्चा की और केंद्र सरकार से इन राज्यों के लिए विशेष सहायता की मांग की।

पहाड़ी राज्यों की विशेष जरूरतों का समर्थन करे

उन्होंने जोर देकर कहा कि हिमाचल प्रदेश में 65 प्रतिशत वन क्षेत्र है और 33 प्रतिशत भूमि कृषि योग्य है। जिससे विकास की दिशा में कुछ सीमाएं उत्पन्न होती हैं। उन्होंने कहा कि सतत विकास तभी संभव है जब केंद्र सरकार पहाड़ी राज्यों की विशेष जरूरतों का समर्थन करे और संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित हो।

पेज पर वापस जाने के लिए यहां क्लिक करें

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख