धर्मशाला। हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आज अंतिम दिन था। आज सदन की शुरूआत ही हंगामे के साथ हुई थी। सत्ता पक्ष से नाराज विपक्ष ने सदन से आज दो बार वॉकआउट किया। दरअसल सत्ता पक्ष के विधायक चंद्रशेखर की ओर से नियम 130 के तहत लाए गए प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विधानसभा के अंदर हंगामा हो गया। यह प्रस्ताव केंद्र सरकार से पीडीएनए (Post Disaster Needs Assessment)और अन्य पदों के तहत लाया गया था।
जगत सिंह नेगी की टिप्पणी पर भड़का विपक्ष
चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता विपिन परमार के बाद मंत्री जगत सिंह नेगी ने अपना वक्तव्य रखा तो विपक्ष ने उनके वक्तव्य पर कड़ी आपत्ति जताई। विपक्ष ने जगत सिंह नेगी पर पीएम मोदी पर अभद्र भाषा का प्रयोग करने के आरोप लगाए और मंत्री जगत सिंह नेगी और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए।
यह भी पढ़ें : सुक्खू सरकार ने दिया सरकारी कर्मचारियों को जोर का झटका- OPS के नियमों में बदलाव
जयराम बोले मंत्री ने किया अपमानजनक भाषा का प्रयोग
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार की ओर से लगातार अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया जा रहा है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि सत्ता पक्ष के नेता इतनी असयंमित भाषा बोल रहे हैं। वह कभी प्रधानमंत्री पीएम मोदी पर अमर्यादित टिप्पणियां कर रहे हैं तो कभी विपक्ष को निशाना बना रहे हैं। जयराम ने कहा कि सरकार के मंत्री ना तो संविधान को मानते हैं और ना ही अपने मुख्यमंत्री की बात।
यह भी पढ़ें : सरकार का कमाल! HRTC के 96 फीसदी रूट घाटे में- फिर भी समय पर मिल रहा वेतन
पीएम मोदी का अपमान नहीं करेंगे सहन
जयराम ठाकुर ने कहा कि राजस्व मंत्री ने चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार और विपक्ष के नेता के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया जिसे विपक्ष किसी हाल में बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि बार-बार इस तरह का व्यवहार करना मंत्री की आदत बन गई है। इस दौरान जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मंत्री के ऐसे व्यवहार को नियंत्रण में रखना मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है, लेकिन मुख्यमंत्री की वह नहीं सुनते हैं।
यह भी पढ़ें : राहुल गांधी पर बरसे अनुराग ठाकुर, बोले- अहंकार से भरे हैं, माफी के लायक भी नहीं
नेता प्रतिपक्ष ने दी ये चेतावनी
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हम भी जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि हैं। हम गाली.गलौज सुनने नहीं आए हैं। सत्ता पक्ष के नेताओं में न तो संयम है और न ही सदन की मर्यादा का खयाल। ऐसे रवैये के कारण विपक्ष को मजबूरन सदन से बाहर जाना पड़ा। नेता प्रतिपक्ष ने चेतावनी दी कि अगर ऐसा ही चलता रहा, तो आने वाले समय में विपक्ष को यह विचार करना होगा कि क्या ऐसे मंत्रियों को सुनना भी चाहिए या नहीं?