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September 5, 2024

हिमाचल: विधानसभा में नहीं शुरू हुआ 'शून्यकाल', सरकार ने लगाई रोक

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शिमला। हिमाचल प्रदेश विधामसभा सदन में शुरू होने वाला शून्यकाल अभी टल गया है। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने बीते मंगलवार को इसे जारी करने बाबत बात कही थी, लेकिन सत्तापक्ष ने इसे शुरू करने पर सहमति नहीं जताई।

सरकार को कॉन्फिडेंस में नहीं लिया

विधानसभा स्पीकर ने आधा घंटा शून्यकाल शुरू करने की इच्छा जताई लेकिन सरकार ने कहा कि इस पहल के लिए सरकार को कॉन्फिडेंस में नहीं लिया गया। जिसके चलते जीरो ऑवर पर बात नहीं बनी। यह भी पढ़ें: स्पीकर और विपक्ष के बीच की टेंशन दूर, जानें कैसे समाप्त हुआ गतिरोध

सीएम बोले- हर संस्था की एक गरिमा

वहीं इस मुद्दे पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस मामले में अभी चर्चा की जरूरत है। चर्चा के बाद ही जीरो ऑवर को सदन में लागू किया जाना है। सीएम सुक्खू ने कहा कि हर संस्था की एक गरिमा है। अभी सरकार इसके लिए तैयार नहीं है। विधायकों और अफसरों से बैठक करने के बाद फैसला लिया जाएगा।

विपक्ष ने लगाया जोर

वही, सदन में जीरो ऑवर्स को लेकर हुई चर्चा में विपक्ष ने अध्यक्ष के फैसले को सदन में लागू करने की बात कही। बीजेपी विधायक रणधीर शर्मा ने कांग्रेस का विरोध किया और कहा कि अध्यक्ष की फैसले को सरकार चुनौती है। नेता प्रतिपक्ष ने भी इसे आसन का अपमान बताया। वहीं सरकार का तर्क था कि लोकसभा के अनुसार ही इसकी SOP तय होनी चाहिए। यह भी पढ़ें: कर्मचारियों को क्यों नहीं मिला वेतन और पेंशन, सामने आई बड़ी वजह

जनहित से जुड़े मुद्दे उठाएं

विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने कहा कि शून्यकाल में सिर्फ जनहित के मुद्दे उठाए जाएंगे। ताकि जनहित मुद्दों पर लिखित या फिर मौखिक चर्चा में विधायक हिस्सा ले सके। बता दें कि आगामी फैसले तक शून्यकाल टल गया है। सरकार अपने विधायक, मंत्रियों और अफसरों से बातचीत के बाद ही कोई फैसला लेगी।

जीरो ऑवर्स से क्या होगा-

सदस्य की आवाज़ को प्राथमिकता: जीरो ऑवर्स का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह सदस्यों को सीधे और बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अपनी बात उठाने का मौका प्रदान करता है। इससे उनकी चिंताओं और मुद्दों को त्वरित रूप से सुना जा सकता है। यह भी पढ़ें: हिमाचल शर्मसार: बाजार से किया बच्ची को अगवा, फिर किया गलत काम जनहित के मुद्दों को उजागर करना: इस समय का उपयोग करके सदस्य तत्कालीन जनहित के मुद्दों को उजागर कर सकते हैं, जो अन्यथा नियमित एजेंडा में शामिल नहीं हो पाते हैं। समस्याओं का समाधान: जीरो ऑवर्स में उठाए गए मुद्दों को सरकार और संबंधित विभागों के ध्यान में लाया जा सकता है, जिससे उनकी त्वरित समीक्षा और समाधान की संभावना होती है। सहयोग और बातचीत: यह समय सरकारी और विपक्षी दोनों पक्षों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने का एक अवसर भी होता है, जिससे विभिन्न मुद्दों पर समझौता या समाधान निकाला जा सकता है। लोकतंत्र को सशक्त बनाना: जीरो ऑवर्स के माध्यम से सांसदों को अपने निर्वाचन क्षेत्र की समस्याओं को उजागर करने और उन पर चर्चा करने का एक कानूनी और प्रभावी तरीका मिलता है, जिससे लोकतंत्र की प्रक्रिया सशक्त होती है.

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