धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीत सत्र के पहले दिन विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव लाया गया। जिससे सदन की कार्यवाही प्रभावित हुई। बीजेपी विधायक रणधीर शर्मा ने CM कार्यालय, कांग्रेस नेताओं और अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए इन पर चर्चा की मांग की। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी ने सरकार के दो साल के कार्यकाल का कच्चा चिट्ठा राज्यपाल को सौंपा है, और इसके खिलाफ जांच होनी चाहिए।
नहीं हुआ प्रश्नकाल और शून्यकाल
बता दें कि विधानसभा सत्र के पहले दिन प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं हो सके। नियम 67 के तहत लाए गए काम रोको प्रस्ताव के कारण सभी कार्यों को स्थगित कर दिया गया। इस प्रस्ताव को लेकर विधानसभा में हंगामा मचा और विपक्ष ने सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया।
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सीएम सुक्खू का बयान
सत्र के पहले दिन विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर जोरदार विरोध किया और सरकार की नीतियों के खिलाफ सवाल उठाए। नियम 67 के तहत विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव पेश किया, जिसके कारण प्रश्नकाल और शून्यकाल जैसे महत्वपूर्ण कार्य स्थगित कर दिए गए। यह कदम विधानसभा की कार्यवाही को प्रभावित करने वाला साबित हुआ।
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इस पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने प्रतिक्रिया दी और कहा कि यदि विपक्ष के पास भ्रष्टाचार के पुख्ता प्रमाण हैं, तो सरकार इन आरोपों पर चर्चा और जांच करवाने के लिए तैयार है। इस मामले पर स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि कच्चे चिट्ठे में आरोप तो लगाए गए हैं, लेकिन इसमें भ्रष्टाचार से संबंधित कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं हैं।
एक घंटे के लिए कार्यवाही स्थगित
स्पीकर ने इस पर सबूत देने के लिए विपक्ष को 10 मिनट का समय दिया और फिर 10 मिनट के बाद सदन की कार्यवाही को एक घंटे के लिए स्थगित कर दिया। इस घटनाक्रम के बाद विपक्ष और सरकार के बीच तीखी बहस हुई और सदन की कार्यवाही बाधित हुई। विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोपों की गंभीरता को लेकर सवाल उठाए, जबकि सरकार ने आरोपों के समर्थन में ठोस प्रमाण पेश करने की मांग की।