शिमला। हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुए एक राजनीतिक एपिसोड को प्रदेश के मुखिया सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बीजेपी से जोड़ा है। बिलासपुर में हुई 10 विधायकों की बैठक को लेकर पूछे गए एक सवाल में सीएम सुक्खू ने बयान दिया है कि वहां कांग्रेस के नहीं बल्कि बीजेपी के विधायक जुटे थे। ऐसे में कांग्रेस को चिंता करने की जरूरत नहीं है, बल्कि बीजेपी को इस पर गहन विचार करने की आवश्यकता है।
सीएम दे गए बीजेपी को सलाह
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि बिलासपुर में 10 विधायकों का एकत्र होना संभवतः भाजपा से संबंधित है। उन्होंने भाजपा नेताओं को कांग्रेस पर दोषारोपण करने के बजाय अपनी अंदरूनी समस्याओं पर ध्यान देने की सलाह दी। सीएम ने डोडरा क्वार में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि बिलासपुर में कांग्रेस के नहीं, बल्कि भाजपा के विधायकों की बैठक हुई होगी।
यह भी पढ़ें : हिमाचल में बंद किए जा रहे राशन कार्ड, जानें क्या है पूरा मामला
मंत्रिमंडल विस्तार पर क्या बोले
मंत्रिमंडल विस्तार के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रक्रिया हाईकमान की मंजूरी के बाद की जाएगी। उल्लेखनीय है कि कैबिनेट में एक पद फिलहाल खाली है, जिसका जल्द भरना अपेक्षित है।
यह भी पढ़ें : हिमाचल में आज बिजली बोर्ड कर्मचारी करेंगे प्रदर्शन, ब्लैक आउट की भी दी चेतावनी
बिजली बोर्ड के अनुदान पर सीएम की टिप्पणी
बताते चलें कि आज प्रदेश के मुखिया का जिला सोलन का दौरा है। इस दौरा सोलन के पाइनग्रोव स्कूल में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में सीएम सुक्खू ने बिजली बोर्ड को लेकर भी बड़ा बयान दिया है। सीएण सुक्खू ने कहा कि बोर्ड को अब अपने पांव पर खड़ा होना पड़ेगा। कब तक सरकार अनुदान के सहारे बोर्ड को चलाएगी?
यह भी पढ़ें : हिमाचल पुलिस ने साथी से खुलवाया मुंह और अरेस्ट हो गए 6 तस्कर, राधे गैंग का सच जानिए
उन्होंने बताया कि सरकार बिजली बोर्ड को 2,200 करोड़ रुपये की सब्सिडी देती है, जिसे ग्रामीण किसानों को दी जा सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बिजली की लागत ढाई रुपये प्रति यूनिट बोर्ड के कर्मचारियों और पेंशनरों पर खर्च होती है, उसके बाद जनता का नंबर आता है।
किसानों के हित में सुझाव
सीएम ने कहा कि बिजली बोर्ड के अधिकारियों और कर्मचारियों को इस बारे में सोचने की जरूरत है कि क्या उन्हें अपने पांव पर खड़ा होना चाहिए या फिर पोस्ट बढ़ाकर लाभ लेना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि बिजली बोर्ड को दी जाने वाली अनुदान राशि को गांव के किसानों पर लगाया जाए, तो इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।