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November 10, 2024

सुक्खू सरकार के हाथ-पांव फूले- खत्म होती जा रही लोन लिमिट के बीच कैसे चलेगा प्रदेश?

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शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में 500 करोड़ का कर्ज लेकर अगले माह के वेतन का जुगाड़ करने की कोशिश की है। वहीं, प्रदेश का राजस्व कोष देखकर प्रतीत हो रहा है कि आने वाले समय में सरकार को वित्तीय स्थिति को लेकर गंभीर विचार करने की जरूरत रहेगी। खासकर राज्य सरकार के कर्ज पर निर्भरता और दिसंबर माह में वेतन व पेंशन भुगतान के लिए धन जुटाने की कठिनाईयों को लेकर।

आर्थिक संकट की स्थिति

हिमाचल प्रदेश की सरकार ने आर्थिक संकट से निपटने के लिए कर्ज का सहारा लिया है। अक्टूबर महीने में सरकार ने कर्मचारियों को वेतन और पेंशन के रूप में 2600 करोड़ रुपये खर्च किए थे और नवंबर में भी यही पैटर्न जारी रखने के लिए कर्ज लेने की योजना बनाई है। लेकिन दिसंबर में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है, क्योंकि सरकार को 2000 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी, जबकि केंद्रीय करों और अन्य राजस्व स्त्रोतों से केवल 2500 करोड़ रुपये जुटाए जाने का अनुमान है। ह भी पढ़ें : हिमाचल : टल्ली होकर पड़े रहे ‘मास्टर जी’, शिक्षा विभाग ने ऐसे होश लाई ठिकाने

कर्ज और वित्तीय प्रबंधन

सरकार ने अक्टूबर में कर्ज के सहारे दिवाली से पहले कर्मचारियों को वेतन और पेंशन का भुगतान किया था और अब नवंबर में कर्ज लेने का इरादा है। 12 नवंबर को 500 करोड़ रुपये का लोन उठाने की प्रक्रिया शुरू होगी, जिससे राज्य सरकार के पास कर्ज लेने की सीमा 517 करोड़ रुपये तक रह जाएगी। इस लोन का उद्देश्य दिसंबर के वेतन और पेंशन के भुगतान के लिए धन जुटाना है। हालांकि, इस तरह की कर्ज-निर्भरता राज्य की वित्तीय स्थिति को स्थिर रखने के लिए दीर्घकालिक समाधान नहीं है और इससे कर्ज का बोझ बढ़ सकता है। ह भी पढ़ें : शादी की धाम खाकर घर लौट रहे थे दो युवक, नाले में गिर गई कार

दिसंबर की चिंता

दिसंबर में, राज्य सरकार को वेतन और पेंशन भुगतान के लिए कम से कम 2000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। हालांकि, केंद्रीय करों में हिस्सेदारी और रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट से कुछ वित्तीय मदद मिलेगी, फिर भी सरकार के पास पर्याप्त धनराशि जुटाने की चिंता बनी हुई है। अगर सरकार को कर्ज के माध्यम से इन वित्तीय जरूरतों को पूरा करना पड़ा, तो कर्ज की सीमा और बढ़ेगी, जिससे आने वाले महीनों में वित्तीय संकट की संभावना और बढ़ जाएगी। ह भी पढ़ें : हिमाचल : स्कूल में छात्रा से नीचता करना पड़ा महंगा, अंंग्रेजी का टीचर हुआ सस्पेंड प्रदेश की सरकार के सामने आने वाले महीनों में वित्तीय संकट को लेकर गंभीर स्थिति बन रही है। कर्ज पर निर्भरता और राजस्व की कमी राज्य सरकार को वित्तीय प्रबंधन के नए उपायों की आवश्यकता की ओर धकेल रही है। यदि स्थिति नियंत्रण से बाहर चली जाती है, तो यह राज्य की आर्थिक स्थिरता और विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

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