शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने दुकानों के बाहर नाम-पता लिखने के बयान पर कड़ा संज्ञान लिया है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार और नगर निगम शिमला को नोटिस जारी किया है और साथ ही तीन सप्ताह के भीतर याचिका का जवाब देने को कहा है।
सामाजिक तनाव के खतरा
बता दें कि कोर्ट का दरवाजा प्रार्थी टिकेंद्र सिंह ने खटखटाया था। याचिका प्रार्थी ने दायर याचिका में समाजिक तनाव का हवाला दिया था। न्होंने कहा कि शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने हाल ही में यह घोषणा की थी कि प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर दुकानों के बाहर नाम-पता लिखने का निर्णय लिया है।
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मंत्री के बयान पर की याचिका दायर
मंत्री ने मीडिया को बताया था कि यह फैसला खाद्य स्टालों पर लोगों के डर और आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। वहीं, मंत्री के बयान के बाद प्रदेश में फैले तनाव को लेकर भी याचिका में जिक्र किया गया है। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि उत्तर प्रदेश में इसी विषय पर जारी अधिसूचना पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है।
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माहौल खराब हो रहा
प्रार्थी ने कोर्ट में बताया है कि उन्हें दुकानों के बाहर पंजीकरण संबंधी जानकारी लगाने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन नाम और पता लिखने से सांप्रदायिकता का माहौल बन सकता है, जो देश की एकता और संवैधानिक मूल्यों के लिए उचित नहीं है।
13 को होगी सुनवाई
अब इस मामले की सुनवाई 13 नवंबर को होगी। उल्लेखनीय है कि पिछले महीने मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सभी भोजनालयों और फास्टफूड स्टालों पर ऑनर की पहचान पत्र (आईडी) लगाने के निर्देश दिए थे, लेकिन यह निर्णय बाद में वापस ले लिया गया। वहीं, कोर्ट ने इस बाबत सरकार से जवाब मांगा है।