सोलन। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के दीक्षा और स्थापना दिवस समारोह के दौरान प्रदेश सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी के सामने प्रदेश सरकार को घेरते हुए कहा कि नौणी विश्वविद्यालय को केवल 70 प्रतिशत वेतन और पेंशन मिल रही है, जबकि राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि वह 100 प्रतिशत का भुगतान करे।
सरकार वेतन नहीं देगी तो क्या करेगी
वहीं, राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने यह भी कहा कि अगर सरकार वेतन नहीं दे सकती तो फिर विश्वविद्यालय को और क्या सहायता मिलेगी। उनका कहना है कि शिक्षण संस्थानों में वेतन और पेंशन देना सरकार की जिम्मेदारी होती है। सरकार वेतन नहीं देगी तो क्या देगी।
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मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया था मुद्दा
राज्यपाल ने बताया कि वे इस मुद्दे को पहले मुख्यमंत्री के समक्ष भी उठा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय को मिलने वाले 30 प्रतिशत वेतन और पेंशन का हिस्सा केंद्र सरकार और कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) के तहत आता है। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा का दायित्व सरकार का होता है। चाहे वह किसी भी पार्टी की सरकार हो और यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह शिक्षण संस्थानों को पूरा वेतन और पेंशन प्रदान करे।
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मंत्री जगत सिंह नेगी ने किया खंडन
उधर, राज्यपाल के इस बयान पर बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ऐसा कोई मामला नहीं है कि विश्वविद्यालय को वेतन नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को प्रदेश सरकार से पूरी ग्रांट मिल रही है और यह कहना गलत है कि विश्वविद्यालय 30 प्रतिशत स्वयं उत्पन्न कर रहा है। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय में फीस भी एकत्रित होती है और अन्य संसाधन भी प्रदेश सरकार के होते हैं।
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जयराम ठाकुर को भी घेरा
जगत नेगी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष छोटे-छोटे मुद्दों में उलझ कर रह गया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि विपक्ष के नेता कभी समोसे पर बयान देते हैं, लेकिन वह भी खुद समोसा खाते हैं। इसके अलावा, मंत्री ने कहा कि बसों में किसी भी दल के खिलाफ आपत्तिजनक ऑडियो चलाना गलत है और इस पर नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है।